Saturday, September 29, 2012

आखिर क्यों जनता के पैसे का दुरुप्योग ?

गरीब खुद ब खुद भूख और ज़िल्लत से मर जायेगा, 
सन्सैक्स ज़रूर ४०००० और निफ़्टी ३०००० को पार कर जायेगा
बोधिसत्व कस्तूरिया
२००८ से लेकर आज तक एफ़ सी आई के गोदामों मे ३६ हज़ार टन गेंहू सड गया,चूहे खा गये, बारिश या बाढ की भेंट चढ गया! यदि प्रति व्यक्ति ४४० ग्राम की खपत ही मान ली जाय तो,लगभग ८ करोड भारतीयों का पेट भर सकता था! इस कुप्रबन्धन के लिये कौन ज़िम्मेदार है और किनको सरकार ने उत्तर्दायी पाया और उनके विरुद्ध कौन सी द्ण्डात्मक कार्यवाही की गई?यदि नही की गई तो कया इसमे भ्रष्टाचार की बू नही आती कि वाकई सडा, या इधर उधर कर दिया गया,  अधिकरियों ने अपना घर भर लिया और गरीब के लिये दे दिये चन्द नये टैक्स का बोझ ! आज सभी राजनैतिक दल सीएज़ी की रिपोर्ट के आधार पर कोल्गेट की संभावित भ्र्ष्टाचार का पुर्वाकलन कर संसद को रोक सकते है लेकिन उपरो्क्त बरबादी के लिये सरकार पर लगाम लगाने के लिये ,द्ण्डात्मक कानून लाने के लिये दवाब नही बनाते है ,आखिर क्यों जनता के पैसे का दुरुप्योग हो रहा है , खाद्य विभाग मे खाने की वस्तु बरबाद हो रही है और यहाँ महगाई की सुरसा भ्र्ष्टाचार के गल्बहियाँ डाल गरीबों का ज़ीना हराम किये हुये है ! हाँ सरकारी अधिकारियों को उनके इस पुनीत कार्य के लिये ७% का मँहगाई भत्ता अवश्य प्रदान कर दिया, लेकिन गरीब वर्ग जो इस राशन के दाने पर ही चूल्हा फ़ूंकता है उसके हिस्से मे तो चूल्हे का सिलिन्डर भी त्याज्य वस्तु हो गया है !हम डा० एपीजे अब्दुल कलाम साहब की २०२० के स्व्प्न को मँहगाई के तराज़ू के भारी पलडे के झुकाब से तौलेंगे जब १०० रुपये दूध,५० रुप्ये गेहूं,दाले ३०० रुपये प्रति किलो, चावल २५० रुपये किलो हो जायेगा ! गरीब खुद ब खुद भूख और ज़िल्लत से मर जायेगा , सन्सैक्स ज़रूर ४०००० और निफ़्टी ३०००० पर होगा ,जिसके आधार पर माननीय वित्त मंत्री और अर्थ -शास्त्री प्रधान-मंत्री भारत को विश्व पटल पर इण्डिया बन कर उभरते हुये देखना चाहते है ! यह समस्या कि किसी भी बरबादी या समयबद्ध सीमा मे ना हो पाने पर कोई उत्तदायी नही है बेशक बज़ट और प्रोजैक्ट २५%से ५०%अधिक हो जाये! केवल खाद्द्य बिभाग ही नही पीड्ब्लूडी, सेतु निगम, रेल, वाणिज्य,परिवहन सभी विभागो मे कठोर द्ण्डात्मक कानून बना दिये जाये तो ना बार बार अन्तर राष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज़ लेने की आवश्यकता पडेगी और नाही विदेशी निवेश से उस कर्ज़ को चुकाने की !  
बोधिसत्व कस्तूरिया, 
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा, 
आगरा २८२००७

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