Monday, December 24, 2012

सफलता गाथा

21-दिसंबर-2012 16:07 IST
क्रीएटिव एसएचजी–प्रगति और निरंतरता के पथ पर
विशेष लेख                                                                       *सुमन गजमेर
     सिक्किम की ग्रामीण विकास एजेंसी ने जो ग्रामीण प्रबंधन एवं विकास विभाग के अंतर्गत काम करती है, क्रीएटिव स्‍व-सहायता समूह (एसएचजी) नामचेबोंग, पाकयोंग को 16 लाख रूपये की राशि मंजूर की है, ताकि वह एक ग्रामीण विपणन केंद्र की स्‍थापना कर सके।
    क्रीएटिव एसएचजी की स्‍थापना केन्‍द्र प्रायोजित स्‍कीम स्‍वर्ण जयंती ग्रामीण स्‍वरोजगार योजना के अंतर्गत 6 सदस्‍यों के साथ 2010 में की गई थी। यह स्‍व-सहायता समूह नूडल बनाने के काम में लगा हुआ है और आत्‍मनिर्भर बनने की कोशिशें कर रहा है। यह समूह पूर्वी जिले का सबसे सफल स्‍व–सहायता समूह माना जाता है। दार्जिलिंग जिले के कालिमपोंग और आस-पास के क्षेत्र में नूडल उद्योग अच्‍छा चल रहा है। सिक्किम में नूडल उत्‍पादन की अच्‍छी संभावनाएं देखते हुए क्रीएटिव एसएचजी ने इसी क्षेत्र पर अपना ध्‍यान केन्दित किया और विभिन्‍न विचार पाने के उद्देश्‍य से कालिमपोंग और आस-पास के अनेक नूडल उत्‍पादक केन्‍द्रों का दौरा किया। इस स्‍व-सहायता समूह ने कुछ युवा लोगों को इन केन्‍द्रों पर काम करने के लिए भेजा, ताकि वे नूडल बनाने की प्रक्रिया सीख सकें।
    क्रीएटिव एचएचजी तीन प्रकार के नूडल बाजार में उपलब्‍ध कराता है। इनका नाम सिक्किम कंचन प्रोडक्‍ट रखा गया है। तीन प्रकार के नूडल हैं – प्‍लेन, वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन। इस उत्‍पाद के लिए गंगटोक, पाकियोंग, सिंगताम और रांगपो विशेष बाजार हैं। यह समूह सिक्किम के अन्‍य भागों में भी अपना बिक्री जाल फैलाने का लक्ष्‍य बना रहा है।
    12 सदस्‍यों वाले समूह की प्रमुख, लक्ष्‍मी राय ने कहा कि हमने इस काम में कुछ पुरूष सदस्‍यों को शामिल कर लिया है, क्‍योंकि हमें उनकी मदद की जरूरत है। लक्ष्‍मी ने आगे कहा कि हर सदस्‍य की आर्थिक दशा में इस स्‍व-सहायता समूह के गठन के बाद सुधार हुआ है। हर सदस्‍य को मालूम है कि सामूहिक प्रयासों का क्‍या महत्‍व है।
    सिक्किम रूरल एजेंसी के प्रोजेक्‍ट ऑफिसर श्री डी.आर. शर्मा ने कहा कि क्रीएटिव एचएचजी पूर्वी जिले का सर्वश्रेष्‍ठ स्‍व-सहायता समूह है। इस समूह ने सैकेंड ग्रेडिंग पूरा कर लिया है और हमने इसे एक लाख रूपये की सब्सिडी जारी कर दी है। ग्रामीण महिलाओं को इस समूह से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।     यह स्‍व-सहायता समूह अपनी गतिविधियों को उद्यमिता तक ही सीमित नहीं रखता। यह सिक्किम की महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए भी सक्रिय है। इसके द्वारा वह महिलाओं को सशक्‍त बनाना चाहता है। अभी तक इस समूह ने रेनॉक, रोंगली, असम, लिंजी और राज्‍य के अन्‍य भागों में प्रेरणा कार्यक्रम शुरू किये हैं।
    क्रीएटिव एचएचजी अपना तजुर्बा और अपने ज्ञान के लाभ दूसरे वर्तमान स्‍व-सहायता समूहों को भी देता है। उसने पूर्वी जिले के नामचेबोंग, दलपचांग और मचोंग में पहले ही जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये हैं। यह गंगतोक, जोरथांग और राज्‍य के बाहर भी प्रदशर्नियों और बिक्री में नियमित रूप से शामिल होता है। इसके सदस्‍यगण इस स्‍व-सहायता समूह द्वारा तैयार माल सिक्किम से बाहर भी तब ले जाते हैं, जब वे अन्‍य भागों में लगाई गई प्रदशर्नियों में शामिल होने के लिए जाते हैं।                                     (पीआईबी फीचर्स)


*फ्रीलैन्‍स पत्रकार
डिस्‍क्‍लेमर – लेखक फ्रीलैन्‍स पत्रकार हैं और उनके द्वारा इस फीचर में प्रकट किये गये विचार उनके अपने हैं। यह जरूरी नहीं है कि पत्र सूचना कार्यालय उनसे पूरी तरह सहमत हो।

पूरी सूची – 21.12.2012      
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Wednesday, December 19, 2012

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता

इन्हे बस अपने–अपने वोट बैंक की चिंता
Tue, Dec 18, 2012 at 9:03 AM
                      यह तस्वीर समय लाईव से साभार 
राज्यसभा द्वारा सोमवार को भारी बहुमत से 117वाँ संविधान विधयेक के पास होते ही पदोन्नति मे आरक्षण विधेयक के पास होने का रास्ता अब साफ हो गया है. अब यह विधेयक लोकसभा मे पेश किया जायेगा. हलांकि इस विषय के चलते भयंकर सर्दी के बीच इन दिनो राजनैतिक गलियारो का तपमान उबल रहा था. परंतु इस विधेयक के चलते यह भी साफ हो गया कि गठबन्धन की इस राजनीति मे कमजोर केन्द्र पर क्षेत्रिय राजनैतिक दल हावी है. अभी एफडीआई का मामला शांत भी नही हुआ था कि अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये पदोन्नति मे आरक्षण के विषय ने जोर पकड लिया. एफडीआई को लागू करवाने मे सपा और बसपा जैसे दोनो दल सरकार के पक्ष मे खडे होकर बहुत ही अहम भूमिका निभायी थी, परंतु अब यही दोनो दल एक-दूसरे के विरोध मे खडे हो गये है. इन दोनो क्षेत्रीय दलो के ऐसे कृत्यो से यह एक सोचनीय विषय बन गया है कि इनके लिये देश का विकास अब कोई महत्वपूर्ण विषय नही है इन्हे बस अपने – अपने वोट बैंक की चिंता है कि कैसे यह सरकार से दलाली करने की स्थिति मे रहे जिससे उन्हे तत्कालीन सरकार से अनवरत लाभ मिलता रहे.
लेखक राजीव गुप्ता 
2014 मे आम चुनाव को ध्यान मे रखकर सभी दलो के मध्य वोटरो को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. उत्तर प्रदेश के इन दोनो क्षेत्रीय दलो के पास अपना – अपना एक तय वोट बैंक है. एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी पर अपना विरोध प्रकट करते हुए यूपीए सरकार से अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये आरक्षण पर पांचवी बार संविधान संशोधन हेतु विधेयक लाने हेतु सफल दबाव बनाते हुए एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने दलित वोट बैंक को सुदृढीकरण करने का दाँव चला तो दूसरी तरफ सपा ने उसका जोरदार तरीके से विरोध जता करते हुए कांग्रेस और भाजपा के अगडो-पिछडो के वोट बैंक मे सेन्ध लगाने का प्रयास कर रही है.इस विधेयक के विरोध मे उत्तर प्रदेश के लगभग 18 लाख कर्मचारी हडताल पर चले गये तो समर्थन वाले कर्मचारियो ने अपनी – अपनी कार्यावधि बढाकर और अधिक कार्य करने का निश्चय किया. भाजपा के इस संविधान संशोधन के समर्थन की घोषणा करने के साथ ही उत्तर प्रदेश स्थित उसके मुख्यालय पर भी प्रदर्शन होने लगे. सपा सुप्रीमो ने यह कहकर 18 लाख कर्मचारियो की हडताल को सपा-सरकार ने खत्म कराने से मना कर दिया कि यह आग उत्तर प्रदेश से बाहर जायेगी और अब देश के करोडो लोग हडताल करेंगे. दरअसल मुलायम की नजर अब एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने को राष्ट्रीय नेता की छवि बनाने की है क्योंकि वो ऐसे ही किसी मुद्दे की तलाश मे है जिससे उन्हे 2014 के आम चुनाव के बाद किसी तीसरे मोर्चे की अगुआई करने का मौका मिले और वे अधिक से अधिक सीटो पर जीत हासिल कर प्रधानमंत्री बनने का दावा ठोंक सके.

मुलायम को अब पता चल चुका है कि दलित वोट बैंक की नौका पर सवार होकर प्रधानमंत्री के पद की उम्मीदवारी नही ठोंकी जा सकती अत: अब उन्होने अपनी वोट बैंक की रणनीति के अंकगणित मे एक कदम आगे बढते हुए अपने “माई” (मुसलमान-यादव) के साथ-साथ अपने साथ अगडॉ-पिछडो को भी साथ लाने की कोशिशे तेज कर दी है. उनकी सरकार द्वारा नाम बदलने के साथ-साथ कांशीराम जयंती और अम्बेडकर निर्वाण दिवस की छुट्टी निरस्त कर दी जिससे दलित-गैर दलित की खाई को और बढा दिया जा सके परिणामत: वो अपना सियासी लाभ ले सकने मे सफल हो जाये. दरअसल यह वैसे ही है जैसे कि चुनाव के समय बिहार मे नीतिश कुमार ने दलित और महादलित के बीच एक भेद खडा किया था ठीक उसी प्रकार मुलायम भी अब समाज मे दलित-गैर दलित के विभाजन खडा कर अपना राजनैतिक अंकगणित ठीक करना चाहते है.

कांग्रेस ने भी राज्यसभा मे यह विधेयक लाकर अपना राजनैतिक हित तो साधने के कोई कसर नही छोडा क्योंकि उसे पता है कि इस विधेयक के माध्यम से वह उत्तर प्रदेश मे मायावती के दलित वोट बैंक मे सेन्ध लगाने के साथ-साथ पूरे देश के दलित वर्गो को रिझाने मे वह कामयाब हो जायेंगी और उसे उनका वोट मिल सकता है. वही देश के सवर्ण-वर्ग को यह भी दिखाना चाहती है कि वह ऐसा कदम मायावती के दबाव मे आकर उठा रही है, साथ ही एफडीआई के मुद्दे पर बसपा से प्राप्त समर्थन की कीमत चुका कर वह बसपा का मुहँ भी बन्द करना चाहती है. भाजपा के लिये थोडी असमंजस की स्थिति जरूर है परंतु वह भी सावधानी बरतते हुए इस विधेयक मे संशोधन लाकर एक मध्य-मार्ग के विकल्प से अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश मे है. दरअसल सपा-बसपा के बीच की इस लडाई की मुख्य वजह यह है कि जहाँ एक तरफ मायावती अपने को दलितो का मसीहा मानती है दूसरी तरफ मुलायम अपने को पिछ्डो का हितैषी मानते है. मायवती के इस कदम से मुख्य धारा मे शामिल होने का कुछ लोगो को जरूर लाभ मिलेगा परंतु उनके इस कदम से कई गुना लोगो के आगे बढने का अवसर कम होगा जिससे समाजिक समरसता तार-तार होने की पूरी संभावना है परिणामत: समाज मे पारस्परिक विद्वेष की भावना ही बढेगी.

समाज के जातिगत विभेद को खत्म करने के लिये ही अंबेडकर साहब ने संविधान मे जातिगत आरक्षण की व्यवस्था की थी परंतु कालांतर मे उनकी जातिगत आरक्षण की यह व्यवस्था राजनीति की भेंट चढ गयी. 1990 मे मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के निर्णय ने राजनैतिक दलो के राजनैतिक मार्ग को और प्रशस्त किया परिणामत: समूचा उत्तर प्रदेश इन्ही जातीय चुनावी समीकरणो के बीच फंसकर विकास के मार्ग से विमुख हो गया. इन समाजिक - विभेदी नेताओ को अब ध्यान रखना चाहिये कि जातिगत आरक्षण को लेकर आने वाले कुछ दिनो आरक्षण का आधार बदलने की मांग उठने वाली है और जिसका समर्थन देश का हर नागरिक करेगा, क्योंकि जनता अब जातिगत आरक्षण-व्यवस्था से त्रस्त हो चुकी है और वह आर्थिक रूप से कमजोर समाज के व्यक्ति को आरक्षण देने की बात की ही वकालत करेगी.

बहरहाल आरक्षण की इस राजनीति की बिसात पर ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो समय के गर्भ में है, परंतु अब समय आ गया है कि आरक्षण के नाम पर ये राजनैतिक दल अपनी–अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना बंद करे और समाज - उत्थान को ध्यान में रखकर फैसले करे ताकि समाज के किसी भी वर्ग को ये ना लगे कि उनसे उन हक छीना गया है और किसी को ये भी ना लगे कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी उन्हें मुख्य धारा में जगह नहीं मिली है. तब वास्तव में आरक्षण का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा और जिस उद्देश्य को ध्यान मे रखकर संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी वह सार्थक हो पायेगा.      - राजीव गुप्ता(9811558925)

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता

Saturday, December 15, 2012

लोक सभा में प्रश्‍न/उत्‍तर


कल्‍याण योजनाओं में जनजातियों को शामिल करना
       जनजातीय कार्य राज्‍य मंत्री श्रीमती रानी नाराह ने आज लोक सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि विकास योजनाएं चलाने की प्रक्रिया में अनुसूचित जनजातियों की सहभागिता ग्राम सभाओं की भागीदारी के माध्‍यम से सुनिश्चित की गई है, जिसमें से जिला योजना तैयार की जाती है। जनजातीय उप योजना के तहत निधियां आबंटित करनी होती है जो जनजातीयों का तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास करने के लिए जनजातीय उपयोजना तैयार करने हेतु राज्‍यों में कुल जनसंख्‍या की जनजातीय आबादी की प्रतिशतता के कम से कम समान हो। इस संबंध में पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में इस मंत्रालय की अनेक केन्‍द्रीय क्षेत्र योजनाएं, केन्‍द्रीय प्रायोजित योजनाएं तथा विशेष क्षेत्र कार्यक्रम कार्यान्वित किये जा रहे हैं। ये योजनाएं इस प्रकार है:-
क्र.सं.
योजनाओं का नाम
विशेष क्षेत्र कार्यक्रम (एसएपी)
1
जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) को विशेष केन्‍द्रीय सहायता (एससीए)
2
संविधान का अनुच्‍छेद 275 (1)
केन्‍द्रीय क्षेत्र योजनाएं (सीएस)
3
कोचिंग त‍था संबद्ध योजना और अनुकरणीय सेवाओं के लिए अवार्ड सहित अनुसूचित जनजातियों के लिए एनजीओ को सहायता अनुदान
4
जनजातीय क्षेत्रों में व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केन्‍द्र
5
कम साक्षरता वाले जिलों में अनुसूचित जनजातीय लड़कियों की शिक्षा का सुदृढ़ीकरण
6
जनजातीय उपज/उत्‍पादों का विपणन विकास
7
लघु वन उत्‍पाद के लिए राज्‍य जनजातीय विकास सहकारिता निगम को सहायता अनुदान
8
विशेष रूप से कमजोर जनजाति (पीटीजी) का विकास
9
राष्‍ट्रीय/राज्‍य अनुसूचित जनजाति वित्‍त और विकास निगम को समर्थन
10
अनुसूचित जनजाति विद्यार्थियों के लिए राजीव गांधी राष्‍ट्रीय अध्‍येतावृत्ति
11
उत्‍कृष्‍टता वाले संस्‍थानों की योजना/उच्‍च श्रेणी संस्‍थान
12
राष्‍ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति योजना
केन्‍द्रीय प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस)
13
पीएमएस, पुस्‍तक बैंक और अनुसूचित जनजातीय विद्यार्थियों का प्रतिभा उन्‍नयन
14
9वीं तथा 10वीं कक्षाओं में पढ़ने वाले अनुसूचित जनजातीय विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति
15
अनुसूचित जनजातीय लड़कियों तथा लड़कों के लिए छात्रावास योजना
16
आश्रम विद्यालयों की स्‍थापना
17
अनुसंधान सूचना तथा जन शिक्षा, जनजातीय त्‍योहार तथा अन्‍य

***                       (PIB)  14-दिसंबर-2012 19:27 IST

वि.कासोटिया/यादराम/रामकिशन-6123

Saturday, December 1, 2012

चिकित्सा पर्यटन

30-नवंबर-2012 14:05 IST
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पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. के. चिरंजीवी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में चिकित्सा पर्यटन का संवर्धन करने के लिए सरकार ने फरवरी, 2009 में अपने क्षेत्राधिकार में चिकित्सा पर्यटन सहित मार्केट विकास सहायता (एडीए) योजना का विस्तार किया है। इस योजना के अंतर्गत, अनुमोदित चिकित्सा पर्यटन सेवा प्रदाताओं अर्थात ज्वायंट कमीशन फॉर इंटरनेशनल एक्रीडिटेड हॉस्पीटल्स (जेसीआई) तथा नेशनल अक्रेडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) के प्रतिनिधियों और पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित और चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सा पर्यटन सुविधा प्रदाताओं (ट्रेवल एजेंटों/टूर ऑपरेटरों) को निधियों की उपलब्धता एवं योजना दिशा-निर्देशों के अनुपालन की शर्त पर वित्तीय सहायता दी जाती है। मार्केट विकास सहायता की नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। तथापि, मंत्रालय ने चिकित्सा पर्यटन पर किसी संगठन/निकाय के साथ कोई करार नहीं किया है। 

पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों और अन्य स्टेकहोल्डरों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मार्केटों में विशिष्ट उत्पाद के रूप में चिकित्सा पर्यटन का संवर्धन करता है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के साथ संभावित मार्किटों में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय यात्रा कार्यक्रमों ओर रोड शो का आयोजन करने सहित चिकित्सा और निरोगता पर्यटन का विशेष संवर्धन भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त, अतुल्य भारत अभियान के माध्यम से भी संवर्धन किया जाता है। (PIB)  
चिकित्सा पर्यटन
मीणा/बिष्ट/शदीद -5656