Tuesday, October 8, 2013

तेजी से बढ़ते शहरीकरण की चुनौति‍यों का सामना

07-अक्टूबर-2013 18:42 IST
समावेशी शहरी योजना की आवश्‍यकता- डॉ. गि‍रि‍जा व्यास
नई दिल्ली: 7 अक्टूबर 2013: (पीआईबी):केन्‍द्रीय शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्री डॉ. गि‍रि‍जा व्‍यास ने कहा है कि‍शहरी योजना और डि‍जाइन का कार्य सि‍र्फ परि‍वहन और बुनि‍यादी सुवि‍धाओं को बढ़ाने के बजाए इस बात केंद्रि‍त होना चाहि‍ए कि किस प्रकार लोगों और स्‍थानों को एक-दूसरे के साथ जोडा जाय ताकि शि‍क्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, वाणि‍ज्‍य और कृषि‍के क्षेत्र में लोगों को अच्छे अवसर मिल सके। श्रीमती व्‍यास आज वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस, 2013 के अवसर पर आयोजि‍त एक समारोह में बोल रही थीं। समारोह में संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रति‍नि‍धि‍यों के अलावा शहरी गरीबी उन्‍मूलन और आवास एवं शहरी वि‍कास नि‍गम (हुडको) मंत्रालय के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारि‍यों ने भी भाग लि‍या। 

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए हर साल अक्‍टूबर के पहले सोमवार को नामि‍त कि‍या है। इस साल यह 7 अक्‍टूबर, 2013 को मनाया गया। वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस का उद्देश्‍य हमारे शहरों और कस्‍बों में आश्रय को सभी के लि‍‍ए बुनियादी अधि‍कार के रुप में प्रति‍बिंबि‍त करना है। यह हमें याद दि‍लाता है कि‍भवि‍ष्‍य शहरों और कस्‍बों के आकार की जि‍म्‍मेदारी हमारी होगी। इस साल संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने इसका मूल विषय 'शहरी आवागमन' को चुना है क्‍योंकि‍आवागमन माल और सेवाओं तक और पहुंच शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। सभा की पहुँच वाले शहर यातायात के सतत साधनों को प्रोत्‍साहि‍त करते हैं, ताकि लोग अपने वाहनों को छोडकर जन परिवहन के साधनों जैसे- रेलगाडियों, बसों का का प्रयोग करें। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए 'शहरी आवागमन' का मूल विषय इस वर्ष के लि‍ए चुनी गई है जो ‍भारत के लि‍ए बहुत प्रासंगि‍क है। माल और सेवाओं में गति‍शीलता हमारे शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि‍हमारे देश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण हमारी योजनाकारों और डि‍जाइनरों के लि‍ए चुनौती है लेकि‍न आवागमन सि‍र्फ हमारे परि‍वहन उपयोग के बारे में नहीं है यह माल सेवाओं के साथ लोगों की कुशलता, तेजी और अच्‍छे परि‍वहन के बारे में भी है। उन्‍होंने कहा कि‍शहरों को अपने चरि‍त्र को बदलने की आवश्‍यकता है किस प्रकार कार से चलने वाले समुदाय, ऊर्जा संपन्‍न समुदाय साइकि‍ल, रि‍क्‍शा और अन्‍य बिना मोटरवाहनों का उपयोग कर सकते हैं। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍शहरी क्षेत्रों में 18.78 मि‍लि‍यन आवासों की कमी हैं और इसमें आर्थि‍क रूप से कमजोर तथा नि‍म्‍न आय वर्गों के लि‍ए यह 96 प्रति‍शत है। उन्‍होंने कहा कि‍शहरी गरीब अपने और परि‍वार को जोखि‍म में डालकर अपनी आजीवि‍का कमाने के लि‍ए मजबूरी में मलि‍न बस्तियों मे रहने को मजबूर हैं और आजीविका कमाने के लिए इन्हें दूर-दूर तक जाना पडता है जो न केवल उनके बल्कि सभी के लिए एक जोखिम है। इसलि‍ए शहरी गरीब और झुग्‍गि‍यों में रहने वाले लोगों के लि‍ए आजीवि‍का के साथ गति‍शीलता को भी एकीकृत करने की तत्‍काल जरूरत है। उन्‍होंने राजीव गांधी आवास योजना का जि‍क्र करते हुए कहा कि‍इसकी मदद से स्‍लम मुक्‍त भारत बनाया जा सकता है। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍उनका शहरों में रहने वाले गरीबों को आवास एवं रोजगार के साधन उपलब्ध करा रहा है। आवासीय असुरक्षा से नि‍पटने के लि‍ए लोगों और उनके परि‍वारों को सस्‍ता हाउसिंग लोन को बढ़ावा देने, कि‍राए के मकान बनाने, रोजगार बढ़ाने, क्रेडि‍ट गारंटी फंड को आसानी से पहुंचाने के लि‍ए प्रयास कर रहा है। मंत्रालय सक्रि‍य रूप से 'स्‍ट्रीट वेंडर्स वि‍धेयक, 2012' (आजीवि‍का के संरक्षण के लि‍ए और स्‍ट्रीट वेंडिंग) को अमलीजामा पहनाने का प्रयास कर रहा है। 

इस अवसर पर डॉ. व्‍यास ने 'भारत में मलि‍न बस्‍ति‍यों की स्थिति - एक सांख्‍यि‍कीय संग्रह, 2013' का वि‍मोचन कि‍या। जि‍से हुडको एवं बीएमपीपीसी के साथ एनबीओ के द्वारा प्रकाशि‍त इस कि‍ताब में मलि‍न बस्‍ति‍यों और नागरि‍कों से संबंधि‍त सुवि‍धाओं जैसे जनसंख्‍या, स्‍वास्‍थ्‍य, शि‍क्षा आदि‍वि‍षयों के महत्‍वपूर्ण राज्‍यवार आंकडे उपलब्‍ध हैं। उन्होंने कहा कि यह संग्रह शहरी वि‍कास और गरीबी उन्‍मूलन में नीति‍नि‍र्माताओं, योजनाकारों, प्रशासकों, समाज के नागरि‍कों की भागीदारी और अन्‍य हि‍तधारकों के लि‍ए एक महत्‍वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करेगी। 

वि.कासोटिया/कि‍शोर/मनीषा-6523