Sunday, October 28, 2012

केरल में जेलों के लिए सौर-ऊर्जा का उपयोग


26-अक्टूबर-2012 12:15 IST
विशेष लेख                                                                                               जैकब अब्राहम
Courtesy Photo
केंद्रीय जेल, तिरूवनंतपुरम स्‍वच्‍छ और नवीकरणीय सौर-ऊर्जा पर पूरी तरह निर्भर रहने वाली देश की पहली जेल बन गई है। तिरूवनंतपुरम में पूजापुरा स्थित इस केंद्रीय जेल में 7.9 करोड़ रूपये की लागत से सौर-ऊर्जा परियोजना स्‍थापित की गई है। जेल के विभिन्‍न ब्‍लॉकों की स्‍ट्रीट-लाइट और पंखे, खाना बनाने, चपाती बनाने और पानी के लिए पंप चलाने से संबंधित कार्य सौर-ऊर्जा से किये जायेंगे। इस परियोजना द्वारा लगभग 229 किलोवॉट बिजली का उत्‍पादन होगा।
     इस परियोजना से बिजली की खपत में काफी कमी आयेगी जिससे जेल विभाग को राहत मिलेगी। केरल राज्‍य बिजली बोर्ड ने पिछले वर्ष इस केंद्रीय जेल से 1.27 करोड़ रूपये का भुगतान लिया है। बिजली की दरें बढ़ने से यह राशि 2 करोड़ प्रतिवर्ष हो जायेगी। सौर बिजली के पारगमन से 24 घंटे बिजली की आपूर्ति और 12 घंटे का बैकअप सुनिश्चित किया जा सकेगा। राज्‍य के अपर महानिदेशक (जेल) के अनुसार सौर बिजली परियोजनाएं राज्‍य की सभी जेलों में स्‍थापित की जायेंगी, जिसके लिए 25.56 करोड़ रूपये की राशि निर्धारित की गई है। 13वें वित्‍त आयोग ने राज्‍य में जेलों के आधुनिकीकरण के लिए 154 करोड़ रूपये आवंटित किये थे। इसमें से 14.79 करोड़ रूपये केंद्रीय जेल पूजापुरा के विकास कार्यक्रमों के लिए रखे गये हैं।
     24 घंटे बिजली की आपूर्ति और 12 घंटे के बेकअप से केंद्रीय जेल की सुरक्षा व्‍यवस्‍था में मजबूती आई है। जेलों से कैदियों के फरार होने की अधिकांश घटनायें बिजली की कटौती के दौरान हुई है। सोलर-ऊर्जा के पारगमन से यह समस्‍या पूरी तरह समाप्‍त हो गई है।
     केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस परियोजना की कार्यान्‍व्‍यन लागत का 30 प्रतिशत अनुदान उपलब्‍ध करायेगा और इतना ही अनुदान गैर-परंपरागत ऊर्जा एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी (एएनईआरटी) के लिए राज्‍य की एजेंसी द्वारा उपलब्‍ध कराया जायेगा। केरल वर्तमान में बिजली की कमी का सामना कर रहा है और सरकार ने राज्‍य में प्रतिदिन 1 घंटा बिजली कटौती लागू कर रखी है। वर्ष 2020 तक राज्‍य की बिजली की आवश्‍यकता बढ़कर 6,000 मेगावाट हो जायेगी, जबकि वर्तमान बिजली उत्‍पादन इससे बहुत कम है।
     इन पहलुओं को ध्‍यान मे रखते हुए राज्‍य बडे स्‍तर पर सौर-ऊर्जा को उपयोग में लाने की योजना बना रहा है। सरकार ने राज्‍य में 10,000 घरों की छतों पर सोलर पैनल स्‍थापित करने के लिए एक पायलट योजना लागू करने का निर्णय लिया है। यह‍ सोलर पैनल 1 किलोवाट क्षमता के होंगे जिनसे उत्‍पादित बिजली को 1 बैटरी में संचित कर लिया जायेगा और इसका घर में लगे विद्युत उपकरणों को चलाने में उपयोग किया जा सकेगा। इस परियोजना से प्रत्‍येक वर्ष 10 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन करने में मदद मिलेगी। राज्‍य के विद्युत मंत्री श्री अर्यादान मोहम्‍मद ने कहा कि सफल होने पर इस परियोजना का अधिक से अधिक घरों में विस्‍तार किया जायेगा।
केरल में जेलों के लिए सौर-ऊर्जा का उपयोग
मीणा/इंद्रपाल/चंद्रकला-273

Wednesday, October 17, 2012

आवाज की रफ्तार से तेज़

17-अक्टूबर-2012 14:41 IST
विशेष लेख                                                                                            विज्ञान
उसकी स्थिति, मनुष्‍यों के लिए बल्‍लेबाज होने अथवा सुपरमैन होने के लगभग जैसी है। उन्‍होंने कार्बन फाइबर के पंखों की सहायता से क्‍वालालम्‍पुर में पेट्रोनस टॉवर से छलांग लगायी है, और यहां तक की इंग्लिश चैनल को उड़कर पार किया है। आकाश में गोता लगाने वाले ऑस्ट्रिया के नागरिक निर्भीक फैलिक्‍स से मिलिए, जिन्‍होंने हाल ही में आवाज की गति को मात करने वाले प्रथम पुरूष बनने का विश्‍व रिकॉर्ड बनाया है।
 जैसा कि विश्‍व के लाखों लोगों ने गोल नीली पृथ्‍वी के दृश्‍य का अनुभव किया, जो रेड बुल स्‍ट्राटोस मिशन के कैप्‍सूल के कैमरे द्वारा लिये गये चित्र के अनुसार अंतरिक्ष की कालिमा से घिरी हुई है, फैलिक्‍स बॉमर्टनर ने अपने पैराशूट की सहायता से शून्‍य में छलांग लगायी और न्‍यू मैक्सिको के मरूस्‍थल में सुरक्षित उतरने से पहले 1342 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति पर चार मिनट से अधिक समय तक तेजी से नीचे गिरे।
 उन्‍होंने वायुसेना के सेवानिवृत्‍त कर्नल जो किटिंगर, जो अब 84 वर्ष के हैं, द्वारा अर्द्ध शताब्‍दी पहले स्‍थापित ऊंचाई और गति के रिकॉर्ड तोड़े। किटिंगर ने रोज़वैल मिशन के नियंत्रण कक्ष से तनावपूर्ण क्षणों में फैलिक्‍स मार्गदर्शन किया। फैलिक्‍स ने अपनी ऐतिहासिक छलांग के दौरान विश्‍व के चार नये रिकॉर्डों में से तीन रिकॉर्ड बनाये।
1.      39.04 किलोमीटर की सर्वाधिक ऊँचाई पर पहुंचना।
2.      1342.08 किलोमीटर प्रति घंटे की सर्वाधिक गति, जो 1.24 मैश के बराबर है।
3.      कुल 36,529 मीटर की ऊँचाई से कूदना।
वे सबसे लंबी अवधि तक गिरने का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाये। उनकी छलांग की अवधि 4 मिनट 20 सैंकंड थी, जो उनके पथ प्रदर्शक, जो किटिंगर के वर्तमान विश्‍व रिकॉर्ड से 16 सैंकंड कम था।
    फैलिक्‍स ने अपने मिशन के दौरान संवाददाता सम्‍मेलन में कहा ‘यह जैसा कि मैने अपेक्षा की थी, उससे भी मुश्किल था। मुझ पर विश्‍वास कीजिए, जब आप विश्‍व के शिखर पर खड़े होते हैं, तो अत्यधिक विन्रम हो जाते हैं। यह रिकॉर्ड तोड़ने के बारे में नहीं है। यह वैज्ञानिक आंकड़े प्राप्‍त करने के बारे में नहीं है। यह सब तो घर लौटने के बारे में है।
रेड बुल स्‍ट्राटोस मिशन
   सेल्‍ज़बर्ग में जन्‍मे 43 वर्षीय फैलिक्‍स बॉमगार्टनरका नासा जैसा मिशन नियंत्रण कक्ष
बनाकर रेड बुल स्‍ट्राटोस ने मदद की। न्‍यू मैक्सिको के शहर रोजवैल स्थित इस मिशन
नियंत्रण कक्ष में 70 से अधिक इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और चिकित्‍सकों सहित 300 से अधिक लोगों ने काम किया। 
  यह मात्र अत्‍यधिक साहसिक खेल जैसा मिशन नहीं था। रिकॉर्ड बनाने के अलावा रेड बुल स्‍ट्राटोस दल के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों का उद्देश्‍य ऐसे आंकड़े एकत्र करना था जो भविष्‍य में पायलटों, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष पर्यटकों को कूदकर जान बचाने में सहायक होंगे। इस मिशन का उद्देश्‍य नये अंतरिक्ष सूटों का परीक्षण करना, अत्‍यधिक ऊँचाई पर एकदम प्रेशर कम हो जाने पर बचाव संबंधी नवाचार भी था। इससे बढ़कर प्रत्‍येक व्‍यक्ति यह भी जानना चाहता था कि जब आवाज की गति से तेजी से गिरने का मानव शरीर पर क्‍या असर पड़ता है।
आवाज की गति से अधिक तेजी से गिरने के मिशन के बारे में जनवरी 2010 में घोषणा की गई थी और यह मिशन ऊर्जा पेय कंपनी-रेड बुल द्वारा प्रायोजित किया गया था। यह निर्णय किया गया कि फैलिक्‍स बॉमगार्टनर 36 हजार फुट की ऊँचाई से छलांग लगाएंगे और इस प्रकार आवाज की गति को तोड़ने वाले वे पहले पैराशूट धारक बन जाएंगे। यह संभव होगा। आकाश में ऊँचाई से छलांग लगाने की सामान्‍य गति लगभग 320 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
तैयारी की अवधि बड़ी दुष्‍कर थी। हालांकि फैलिक्‍स को इमारतों और पुलों के ऊपर से छलांग लगाने और इंग्लिश चैनल के ऊपर उड़ान भरने में कोई कठिनाई नहीं थी, लेकिन उन्‍होंने उस समय मानसिक रूप से कठिनाई महसूस की, जब उन्‍हें दाबानुकूलित (प्रेसुराइज्‍ड) सूट और हेलमेट पहनकर विवश होना पडा। सन् 2010 में एक समय सहनशीलता परीक्षण से गुजरने की बजाय वे हवाई अड्डे पर गये और अमरीका जा रहे विमान पर सवार हो गये। बाद में उन्‍होंने एक खेल मनोवैज्ञानिक और अन्‍य विशेषज्ञों की सहायता से क्लॉस्ट्रफोबिया से निपटने की तकनीक सीखी।
छलांग
 कार्यक्रम के अनुसार फैलिक्‍स को 9 अक्‍टूबर, 2012 को सवेरे छलांग लगानी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण मिशन में देरी हो गयी। प्रक्षेपण स्‍थल पर तकनीशियनों ने यह भी देखा कि कैप्‍सूल का एक संचार रेडियो दोषपूर्ण है, इस कारण विवश होकर प्रक्षेपण के समय में परिवर्तन करना पडा।
 अंतत: मिशन रविवार 14 अक्‍टूबर, 2012 को सवेरे 9.30 बजे साफ मौसम में और हवा के 5.5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर चलने पर आरंभ किया गया। उस समय पृथ्‍वी का तापमान 14 डिग्री सेल्सियस था। फैलिक्‍स बॉमगार्टनर के हीलियम गुब्‍बारे से जुड़े विशेष रूप से तैयार कैप्‍सूल को आवश्‍यक ऊँचाई तक पहुंचने में लगभग 2.5 घंटे लगे।
 आर्मस्‍ट्रांग सीमा पार करने के तत्‍काल बाद स्थिति कुछ कठिन हो गयी और फैलिक्‍स के वाइजर में कुछ खराबी आ गई। आर्मस्‍ट्रांग सीमा वह ऊँचाई है जहां पहुंचने पर वातावरणीय दबाव इतना कम हो जाता है कि मानव शरीर जैसे सामान्‍य तापमान पर भी पानी उबलने लगता है। इस सीमा के बाद मनुष्‍य बिना प्रेशर वाला माहौल में जीवित नहीं रह सकता।

  फैलिक्‍स ने जो तरीके अपनाए उनमें से एक था कि उन्‍होंने ऊपर की उड़ान के दौरान अपने
आपको व्‍यस्‍त रखा। वे रोजवैल नियंत्रण कक्ष में श्री किटिंगर के साथ लगातार बातचीत कर रहे और 40 वस्‍तुओं की सूची पढ़ते रहे तथ अपनी हर चाल दोहराते रहे, जो वे कैप्‍सूल से अलग होने के समय करेंगे।
 जब निश्चित समय आया तो श्री किटिंगर ने फैलिक्‍स से कहा, ‘हां, बाहरी पायदान पर कदम रखो। कैमरे चालू करो। और अब परमात्‍मा तुम्‍हारी रक्षा करेंगे।‘ ये वास्‍तव में दैवी शब्‍द थे।
 फैलिक्‍स ने छलांग लगायी और एक संदेश दिया जो रेडियो तंरगों द्वारा ग्रहण किया गया। बाद में उन्‍होने अपने संदेश को दोहराते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि समूचा विश्‍व देख रहा है और मैं कामना करता हूं कि जो मैं देख रहा हूं उसे समूचा विश्‍व देखे। यह जानने के लिए कि वास्‍तव में आप कितने छोटे हैं, कभी-कभी आपको वास्‍तव में ऊँचा जाना पड़ता है..........मैं अब घर आ रहा हूं।‘
 बामगार्टनर ने नमस्‍कार किया और स्‍थानीय समय के अनुसार 12.08 बजे आगे छलांग लगायी। छलांग लगाने के 42 सैकंड बाद फैलिक्‍स 1,342 किलोमीटर प्रति घंटे (834 मील प्रति घंटे) की सर्वाधिक गति पर पहुंच गये । दो मिनट में ही उन्‍होंने अपनी शरीर का नियंत्रण खो दिया और उनका शरीर बेकाबू होकर घूमने लगा। नियंत्रण कक्ष में वे चिंताजनक क्षण थे क्‍योंकि यदि स्थिति पर जल्‍दी काबू नहीं पाया गया तो वह घातक सिद्ध हो सकता था और फैलिक्‍स की आंखों से खून निकल पड़ता। 
 सौभाग्‍य की बात है कि फैलिक्‍स ने स्थिति संभाल ली। उनके पास एक अबोर्ट स्विच था जिसे दबाकर वे ड्रोग पैराशूट को खोल सकते थे जिससे शरीर का चक्‍कर खाना रूक सकता था, लेकिन इससे उसकी गति के रिकॉर्ड में बाधा आ सकती थी।
 फैलिक्‍स यह नहीं बता सके कि आवाज से तेज रफ्तार से गिरने पर उन्‍होंने कैसा महसूस किया। उन्‍होंने कहा कि दाबानुकूलित (प्रेसुराइज्‍ड) अंतरिक्ष सूट के कारण वे सुपरसोनिक बूम का अनुभव नहीं कर पाये। कैप्‍सूल से छलांग लगाने के 11 मिनट बाद बामगार्टनर पूर्वी न्‍यू मैक्सिको में सफलतापूर्वक उतर गये।
 श्री किटिंगर ने कहा कि फैलिक्‍स ने यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्‍य सर्वाधिक ऊँचाई से गिरने पर भी बच सकता है। भावी अंतरिक्ष यात्री उस अंतरिक्ष सूट को पहनेंगे जिसे फैलिक्‍स ने आज छलांग लगाते समय पहना था।
 रेड बुल स्‍ट्रैटोस ने अपनी बेवसाइट पर घोषणा की ‘मिशन सफल रहा’

Click here to see image                        पसूका मुंबई से साभार


मीणा/क्‍वात्रा/शुक्‍ल/मधुप्रभा–268

Monday, October 8, 2012

केबल सेट टॉप बॉक्स द्वारा बिजली की खपत

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण
पिछले दिनों कुछ समाचारपत्रों में छपा है कि केबल टीवी के डिजिटीकरण से सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) के जरिए बिजली की खपत काफी बढ़ जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया है कि यह खबर गलत है कि एसटीबी की बिजली की खपत 20 वाट है। मल्टी सिस्टम और स्थानीय केबल ऑपरेटरों द्वारा एसटीबी के कई तरह के मेक और मॉडल सप्लाई किए जाते हैं। अलग-अलग किस्मों के केबल एसटीबी की बिजली की खपत के आंकड़े नीचे तालिका में दिए गए हैं, जिनसे पता चलता है केबल एसटीबी इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता करीब आठ वाट बिजली खर्च करते हैं, जो सीएफएल की खपत से भी कम है।
तालिका 1- विभिन्न मेकों के केबल एसटीबी की बिजली खपत की दरें
एसटीबी मेक एवं मॉडल
बिजली खपत  (वाट)
चालू स्थिति
प्रतीक्षा स्थिति
डेन एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स
स्काईवर्थ 7000
8
7
स्काईवर्थ 7600
8
7
स्काईवर्थ 7631
8
7
डिजिकेबल
इंडियोन एलडीसीए 1000
5.4
4.5
चांगहोंग C8899C0
7.5
6.9
स्काईवर्थ C371N EN
10
8
आईएमसीएल
एसडी एसटीबी
12
10
मॉयबॉक्स
7.5
6.9
हैथवे डेटाकॉम
स्काईवर्थ 9000
8
7
हुमा एनडी-1200C
15
5
डब्ल्यूडब्ल्यूआईएल
हेंडोन 1002C
6.5
5.8
हेंडोन 1041C
6.5
5.8
एरियोन 5012S
7.5
6.9
चांगहोंग C8899C0
7.5
6.9
मॉयबॉक्स
7.5
6.9
स्रोतः विनिर्माताओं के उत्पादों के विवरण से प्राप्त
विभिन्न घरेलू बिजली उपकरणों द्वारा बिजली की खपत की दरें नीचे तालिका 2 में दर्शायी गई हैं।
तालिका 2- विभिन्न मेकों के केबल एसटीबी की बिजली खपत की दरें
उपभोक्ता उपकरण
मॉडल
बिजली खपत (वॉट)
फ्रिज
210 लीटर
270
कूलर (डेजर्ट)
बजाज DC 2012
200
टेलीविजन
सोनी  KV-SZ292M88 CRT - 29”
138
टेलीविजन
एलजी  14D7RBA CRT
80
टेलीविजन
सोनी  KLV 20S400A LCD
60
टेलीविजन
सोनी  KDL 26EX550 LCD
50
पंखा
क्रॉम्पटन ग्रीव्ज – 56”
80
पंखा
ओरियंट 32 – टेबल पंखा
70
पीसी (कंप्यूटर)
एचपी V185E
60
पीसी (कंप्यूटर)
मॉनीटर – 17”
80
लाइट
बल्ब इनकेंडिसेंट
100
डीवीडी प्लेयर
सोनी BDP S350
26
लाइट
फ्लोरेसेंट ट्यूब
50
लाइट
सीएफएल
10
एसटीबी
केबल टीवी के लिए औसत
8
स्रोतः विनिर्माताओं के उत्पादों और एनपीसीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण
जैसा कि उपरोक्त तालिका से पता चलता है कि  टेलीविजन,पंखें और ट्यूबलाइटें 60-60 वाट की बिजली की खपत करती हैं,जबकि एसटीबी की खपत 8 वाट है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति एक घंटे तक टेलीविजन देखता है और एक कमरे मे एक पंखा और एक ट्यूबलाइट भी चलाता है तो इन उपकरणों द्वारा एक घंटे में बिजली की खपत एसटीबी की खपत से ज्यादा होगी, चाहे उसे 24 घंटे तक क्यों न चलाया जाए। दूसरे शब्दों में एसटीबी की खपत 1 दिन में 1/5 यूनिट है जबकि एक पंखे, एक टेलीविजन और एक ट्यूबलाइट की खपत 1.5 यूनिट है। इसी प्रकार घरेलू फ्रिज की खपत रोजाना औसतन 4-5 यूनिट है, जो एसटीबी की एक दिन की खपत के 20 गुना से भी ज्यादा है। इस प्रकार केबल एसटीबी की खपत महीने में 5-6 यूनिट बैठती है और अन्य बिजली उपकरणों के मुकाबले बहुत मामूली है।
डिजिटिकरण से उपभोक्ताओं को तस्वीर और आवाज की बेहतर क्वालिटी मिलेगी और चैनल चुनने की आजादी होगी। फिल्म और गेम आदि भी अपनी पसंद के मांगे जा सकेंगे और यह सब बिजली की मामूली खपत पर ही उपलब्ध होंगे।
आमतौर पर घरों में एसटीबी स्विच ऑफ नहीं किए जाते है। जब टीवी नहीं देखा जा रहा होता, तब भी एसटीबी को प्रतीक्षा स्थिति में रखा जाता है, ताकि ऑफ होने के बाद एसटीबी को फिर से शुरू करने में और समय न लगे। प्रतीक्षा स्थिति में एसटीबी के ऑन रहने के बिजली की खपत और भी कम होती है।(PIB)  (08-अक्टूबर-2012 15:17 IST)

मीणा/राजगोपाल/अर्जुन- 4825           

Saturday, October 6, 2012

यूपीए अध्‍यक्ष की विदेश यात्रा और इलाज

05-अक्टूबर-2012 18:40 IST
सरकार ने इस सबका कोई खर्च नहीं उठाया-सरकारी प्रेस वक्‍तव्‍य
यूपीए अध्‍यक्ष की विदेश यात्राओं पर सरकारी खजाने से भारी खर्च के बारे में मीडिया में आई खबरें प्रधानमंत्री कार्यालय के ध्‍यान में आई हैं। 

इन खबरों में जो 1880 करोड़ रूपये के खर्च का हवाला दिया गया है, वह झूठ और गुमराह करने वाला है। 

केन्‍द्रीय सूचना आयुक्‍त पहले ही इन खबरों का खंडन कर चुके हैं और बयान दे चुके हैं। 

प्रधानमंत्री कार्यालय इस बात को रिकॉर्ड में रखना चाहता है कि सरकार ने यूपीए अध्‍यक्ष की विदेश यात्राओं का कोई खर्च नहीं उठाया। उनकी सुरक्षा पर हुआ खर्च विशेष सुरक्षा ग्रुप (एसपीजी) ने उठाया। 

पिछले 8 वर्ष के दौरान बेल्जियम सरकार के निमंत्रण पर उन्‍होंने बेल्जियम की एक यात्रा की है। वह एक राष्‍ट्रीय सम्‍मान लेने के लिए वहां गई थीं, जिसका खर्च भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद ने उठाया। इस पर कुल तीन लाख रूपये से भी कम खर्च आया। 

यह बात भी स्‍पष्‍ट की जाती है कि सरकार ने यूपीए अध्‍यक्ष के विदेश और भारत में इलाज का कोई खर्च नहीं उठाया। (पत्र सूचना कार्यालय)

मीणा/कविता/यशोदा- 4814