Wednesday, October 17, 2012

आवाज की रफ्तार से तेज़

17-अक्टूबर-2012 14:41 IST
विशेष लेख                                                                                            विज्ञान
उसकी स्थिति, मनुष्‍यों के लिए बल्‍लेबाज होने अथवा सुपरमैन होने के लगभग जैसी है। उन्‍होंने कार्बन फाइबर के पंखों की सहायता से क्‍वालालम्‍पुर में पेट्रोनस टॉवर से छलांग लगायी है, और यहां तक की इंग्लिश चैनल को उड़कर पार किया है। आकाश में गोता लगाने वाले ऑस्ट्रिया के नागरिक निर्भीक फैलिक्‍स से मिलिए, जिन्‍होंने हाल ही में आवाज की गति को मात करने वाले प्रथम पुरूष बनने का विश्‍व रिकॉर्ड बनाया है।
 जैसा कि विश्‍व के लाखों लोगों ने गोल नीली पृथ्‍वी के दृश्‍य का अनुभव किया, जो रेड बुल स्‍ट्राटोस मिशन के कैप्‍सूल के कैमरे द्वारा लिये गये चित्र के अनुसार अंतरिक्ष की कालिमा से घिरी हुई है, फैलिक्‍स बॉमर्टनर ने अपने पैराशूट की सहायता से शून्‍य में छलांग लगायी और न्‍यू मैक्सिको के मरूस्‍थल में सुरक्षित उतरने से पहले 1342 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति पर चार मिनट से अधिक समय तक तेजी से नीचे गिरे।
 उन्‍होंने वायुसेना के सेवानिवृत्‍त कर्नल जो किटिंगर, जो अब 84 वर्ष के हैं, द्वारा अर्द्ध शताब्‍दी पहले स्‍थापित ऊंचाई और गति के रिकॉर्ड तोड़े। किटिंगर ने रोज़वैल मिशन के नियंत्रण कक्ष से तनावपूर्ण क्षणों में फैलिक्‍स मार्गदर्शन किया। फैलिक्‍स ने अपनी ऐतिहासिक छलांग के दौरान विश्‍व के चार नये रिकॉर्डों में से तीन रिकॉर्ड बनाये।
1.      39.04 किलोमीटर की सर्वाधिक ऊँचाई पर पहुंचना।
2.      1342.08 किलोमीटर प्रति घंटे की सर्वाधिक गति, जो 1.24 मैश के बराबर है।
3.      कुल 36,529 मीटर की ऊँचाई से कूदना।
वे सबसे लंबी अवधि तक गिरने का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाये। उनकी छलांग की अवधि 4 मिनट 20 सैंकंड थी, जो उनके पथ प्रदर्शक, जो किटिंगर के वर्तमान विश्‍व रिकॉर्ड से 16 सैंकंड कम था।
    फैलिक्‍स ने अपने मिशन के दौरान संवाददाता सम्‍मेलन में कहा ‘यह जैसा कि मैने अपेक्षा की थी, उससे भी मुश्किल था। मुझ पर विश्‍वास कीजिए, जब आप विश्‍व के शिखर पर खड़े होते हैं, तो अत्यधिक विन्रम हो जाते हैं। यह रिकॉर्ड तोड़ने के बारे में नहीं है। यह वैज्ञानिक आंकड़े प्राप्‍त करने के बारे में नहीं है। यह सब तो घर लौटने के बारे में है।
रेड बुल स्‍ट्राटोस मिशन
   सेल्‍ज़बर्ग में जन्‍मे 43 वर्षीय फैलिक्‍स बॉमगार्टनरका नासा जैसा मिशन नियंत्रण कक्ष
बनाकर रेड बुल स्‍ट्राटोस ने मदद की। न्‍यू मैक्सिको के शहर रोजवैल स्थित इस मिशन
नियंत्रण कक्ष में 70 से अधिक इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और चिकित्‍सकों सहित 300 से अधिक लोगों ने काम किया। 
  यह मात्र अत्‍यधिक साहसिक खेल जैसा मिशन नहीं था। रिकॉर्ड बनाने के अलावा रेड बुल स्‍ट्राटोस दल के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों का उद्देश्‍य ऐसे आंकड़े एकत्र करना था जो भविष्‍य में पायलटों, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष पर्यटकों को कूदकर जान बचाने में सहायक होंगे। इस मिशन का उद्देश्‍य नये अंतरिक्ष सूटों का परीक्षण करना, अत्‍यधिक ऊँचाई पर एकदम प्रेशर कम हो जाने पर बचाव संबंधी नवाचार भी था। इससे बढ़कर प्रत्‍येक व्‍यक्ति यह भी जानना चाहता था कि जब आवाज की गति से तेजी से गिरने का मानव शरीर पर क्‍या असर पड़ता है।
आवाज की गति से अधिक तेजी से गिरने के मिशन के बारे में जनवरी 2010 में घोषणा की गई थी और यह मिशन ऊर्जा पेय कंपनी-रेड बुल द्वारा प्रायोजित किया गया था। यह निर्णय किया गया कि फैलिक्‍स बॉमगार्टनर 36 हजार फुट की ऊँचाई से छलांग लगाएंगे और इस प्रकार आवाज की गति को तोड़ने वाले वे पहले पैराशूट धारक बन जाएंगे। यह संभव होगा। आकाश में ऊँचाई से छलांग लगाने की सामान्‍य गति लगभग 320 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
तैयारी की अवधि बड़ी दुष्‍कर थी। हालांकि फैलिक्‍स को इमारतों और पुलों के ऊपर से छलांग लगाने और इंग्लिश चैनल के ऊपर उड़ान भरने में कोई कठिनाई नहीं थी, लेकिन उन्‍होंने उस समय मानसिक रूप से कठिनाई महसूस की, जब उन्‍हें दाबानुकूलित (प्रेसुराइज्‍ड) सूट और हेलमेट पहनकर विवश होना पडा। सन् 2010 में एक समय सहनशीलता परीक्षण से गुजरने की बजाय वे हवाई अड्डे पर गये और अमरीका जा रहे विमान पर सवार हो गये। बाद में उन्‍होंने एक खेल मनोवैज्ञानिक और अन्‍य विशेषज्ञों की सहायता से क्लॉस्ट्रफोबिया से निपटने की तकनीक सीखी।
छलांग
 कार्यक्रम के अनुसार फैलिक्‍स को 9 अक्‍टूबर, 2012 को सवेरे छलांग लगानी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण मिशन में देरी हो गयी। प्रक्षेपण स्‍थल पर तकनीशियनों ने यह भी देखा कि कैप्‍सूल का एक संचार रेडियो दोषपूर्ण है, इस कारण विवश होकर प्रक्षेपण के समय में परिवर्तन करना पडा।
 अंतत: मिशन रविवार 14 अक्‍टूबर, 2012 को सवेरे 9.30 बजे साफ मौसम में और हवा के 5.5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर चलने पर आरंभ किया गया। उस समय पृथ्‍वी का तापमान 14 डिग्री सेल्सियस था। फैलिक्‍स बॉमगार्टनर के हीलियम गुब्‍बारे से जुड़े विशेष रूप से तैयार कैप्‍सूल को आवश्‍यक ऊँचाई तक पहुंचने में लगभग 2.5 घंटे लगे।
 आर्मस्‍ट्रांग सीमा पार करने के तत्‍काल बाद स्थिति कुछ कठिन हो गयी और फैलिक्‍स के वाइजर में कुछ खराबी आ गई। आर्मस्‍ट्रांग सीमा वह ऊँचाई है जहां पहुंचने पर वातावरणीय दबाव इतना कम हो जाता है कि मानव शरीर जैसे सामान्‍य तापमान पर भी पानी उबलने लगता है। इस सीमा के बाद मनुष्‍य बिना प्रेशर वाला माहौल में जीवित नहीं रह सकता।

  फैलिक्‍स ने जो तरीके अपनाए उनमें से एक था कि उन्‍होंने ऊपर की उड़ान के दौरान अपने
आपको व्‍यस्‍त रखा। वे रोजवैल नियंत्रण कक्ष में श्री किटिंगर के साथ लगातार बातचीत कर रहे और 40 वस्‍तुओं की सूची पढ़ते रहे तथ अपनी हर चाल दोहराते रहे, जो वे कैप्‍सूल से अलग होने के समय करेंगे।
 जब निश्चित समय आया तो श्री किटिंगर ने फैलिक्‍स से कहा, ‘हां, बाहरी पायदान पर कदम रखो। कैमरे चालू करो। और अब परमात्‍मा तुम्‍हारी रक्षा करेंगे।‘ ये वास्‍तव में दैवी शब्‍द थे।
 फैलिक्‍स ने छलांग लगायी और एक संदेश दिया जो रेडियो तंरगों द्वारा ग्रहण किया गया। बाद में उन्‍होने अपने संदेश को दोहराते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि समूचा विश्‍व देख रहा है और मैं कामना करता हूं कि जो मैं देख रहा हूं उसे समूचा विश्‍व देखे। यह जानने के लिए कि वास्‍तव में आप कितने छोटे हैं, कभी-कभी आपको वास्‍तव में ऊँचा जाना पड़ता है..........मैं अब घर आ रहा हूं।‘
 बामगार्टनर ने नमस्‍कार किया और स्‍थानीय समय के अनुसार 12.08 बजे आगे छलांग लगायी। छलांग लगाने के 42 सैकंड बाद फैलिक्‍स 1,342 किलोमीटर प्रति घंटे (834 मील प्रति घंटे) की सर्वाधिक गति पर पहुंच गये । दो मिनट में ही उन्‍होंने अपनी शरीर का नियंत्रण खो दिया और उनका शरीर बेकाबू होकर घूमने लगा। नियंत्रण कक्ष में वे चिंताजनक क्षण थे क्‍योंकि यदि स्थिति पर जल्‍दी काबू नहीं पाया गया तो वह घातक सिद्ध हो सकता था और फैलिक्‍स की आंखों से खून निकल पड़ता। 
 सौभाग्‍य की बात है कि फैलिक्‍स ने स्थिति संभाल ली। उनके पास एक अबोर्ट स्विच था जिसे दबाकर वे ड्रोग पैराशूट को खोल सकते थे जिससे शरीर का चक्‍कर खाना रूक सकता था, लेकिन इससे उसकी गति के रिकॉर्ड में बाधा आ सकती थी।
 फैलिक्‍स यह नहीं बता सके कि आवाज से तेज रफ्तार से गिरने पर उन्‍होंने कैसा महसूस किया। उन्‍होंने कहा कि दाबानुकूलित (प्रेसुराइज्‍ड) अंतरिक्ष सूट के कारण वे सुपरसोनिक बूम का अनुभव नहीं कर पाये। कैप्‍सूल से छलांग लगाने के 11 मिनट बाद बामगार्टनर पूर्वी न्‍यू मैक्सिको में सफलतापूर्वक उतर गये।
 श्री किटिंगर ने कहा कि फैलिक्‍स ने यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्‍य सर्वाधिक ऊँचाई से गिरने पर भी बच सकता है। भावी अंतरिक्ष यात्री उस अंतरिक्ष सूट को पहनेंगे जिसे फैलिक्‍स ने आज छलांग लगाते समय पहना था।
 रेड बुल स्‍ट्रैटोस ने अपनी बेवसाइट पर घोषणा की ‘मिशन सफल रहा’

Click here to see image                        पसूका मुंबई से साभार


मीणा/क्‍वात्रा/शुक्‍ल/मधुप्रभा–268

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