Tuesday, October 8, 2013

तेजी से बढ़ते शहरीकरण की चुनौति‍यों का सामना

07-अक्टूबर-2013 18:42 IST
समावेशी शहरी योजना की आवश्‍यकता- डॉ. गि‍रि‍जा व्यास
नई दिल्ली: 7 अक्टूबर 2013: (पीआईबी):केन्‍द्रीय शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्री डॉ. गि‍रि‍जा व्‍यास ने कहा है कि‍शहरी योजना और डि‍जाइन का कार्य सि‍र्फ परि‍वहन और बुनि‍यादी सुवि‍धाओं को बढ़ाने के बजाए इस बात केंद्रि‍त होना चाहि‍ए कि किस प्रकार लोगों और स्‍थानों को एक-दूसरे के साथ जोडा जाय ताकि शि‍क्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, वाणि‍ज्‍य और कृषि‍के क्षेत्र में लोगों को अच्छे अवसर मिल सके। श्रीमती व्‍यास आज वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस, 2013 के अवसर पर आयोजि‍त एक समारोह में बोल रही थीं। समारोह में संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रति‍नि‍धि‍यों के अलावा शहरी गरीबी उन्‍मूलन और आवास एवं शहरी वि‍कास नि‍गम (हुडको) मंत्रालय के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारि‍यों ने भी भाग लि‍या। 

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए हर साल अक्‍टूबर के पहले सोमवार को नामि‍त कि‍या है। इस साल यह 7 अक्‍टूबर, 2013 को मनाया गया। वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस का उद्देश्‍य हमारे शहरों और कस्‍बों में आश्रय को सभी के लि‍‍ए बुनियादी अधि‍कार के रुप में प्रति‍बिंबि‍त करना है। यह हमें याद दि‍लाता है कि‍भवि‍ष्‍य शहरों और कस्‍बों के आकार की जि‍म्‍मेदारी हमारी होगी। इस साल संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने इसका मूल विषय 'शहरी आवागमन' को चुना है क्‍योंकि‍आवागमन माल और सेवाओं तक और पहुंच शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। सभा की पहुँच वाले शहर यातायात के सतत साधनों को प्रोत्‍साहि‍त करते हैं, ताकि लोग अपने वाहनों को छोडकर जन परिवहन के साधनों जैसे- रेलगाडियों, बसों का का प्रयोग करें। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए 'शहरी आवागमन' का मूल विषय इस वर्ष के लि‍ए चुनी गई है जो ‍भारत के लि‍ए बहुत प्रासंगि‍क है। माल और सेवाओं में गति‍शीलता हमारे शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि‍हमारे देश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण हमारी योजनाकारों और डि‍जाइनरों के लि‍ए चुनौती है लेकि‍न आवागमन सि‍र्फ हमारे परि‍वहन उपयोग के बारे में नहीं है यह माल सेवाओं के साथ लोगों की कुशलता, तेजी और अच्‍छे परि‍वहन के बारे में भी है। उन्‍होंने कहा कि‍शहरों को अपने चरि‍त्र को बदलने की आवश्‍यकता है किस प्रकार कार से चलने वाले समुदाय, ऊर्जा संपन्‍न समुदाय साइकि‍ल, रि‍क्‍शा और अन्‍य बिना मोटरवाहनों का उपयोग कर सकते हैं। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍शहरी क्षेत्रों में 18.78 मि‍लि‍यन आवासों की कमी हैं और इसमें आर्थि‍क रूप से कमजोर तथा नि‍म्‍न आय वर्गों के लि‍ए यह 96 प्रति‍शत है। उन्‍होंने कहा कि‍शहरी गरीब अपने और परि‍वार को जोखि‍म में डालकर अपनी आजीवि‍का कमाने के लि‍ए मजबूरी में मलि‍न बस्तियों मे रहने को मजबूर हैं और आजीविका कमाने के लिए इन्हें दूर-दूर तक जाना पडता है जो न केवल उनके बल्कि सभी के लिए एक जोखिम है। इसलि‍ए शहरी गरीब और झुग्‍गि‍यों में रहने वाले लोगों के लि‍ए आजीवि‍का के साथ गति‍शीलता को भी एकीकृत करने की तत्‍काल जरूरत है। उन्‍होंने राजीव गांधी आवास योजना का जि‍क्र करते हुए कहा कि‍इसकी मदद से स्‍लम मुक्‍त भारत बनाया जा सकता है। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍उनका शहरों में रहने वाले गरीबों को आवास एवं रोजगार के साधन उपलब्ध करा रहा है। आवासीय असुरक्षा से नि‍पटने के लि‍ए लोगों और उनके परि‍वारों को सस्‍ता हाउसिंग लोन को बढ़ावा देने, कि‍राए के मकान बनाने, रोजगार बढ़ाने, क्रेडि‍ट गारंटी फंड को आसानी से पहुंचाने के लि‍ए प्रयास कर रहा है। मंत्रालय सक्रि‍य रूप से 'स्‍ट्रीट वेंडर्स वि‍धेयक, 2012' (आजीवि‍का के संरक्षण के लि‍ए और स्‍ट्रीट वेंडिंग) को अमलीजामा पहनाने का प्रयास कर रहा है। 

इस अवसर पर डॉ. व्‍यास ने 'भारत में मलि‍न बस्‍ति‍यों की स्थिति - एक सांख्‍यि‍कीय संग्रह, 2013' का वि‍मोचन कि‍या। जि‍से हुडको एवं बीएमपीपीसी के साथ एनबीओ के द्वारा प्रकाशि‍त इस कि‍ताब में मलि‍न बस्‍ति‍यों और नागरि‍कों से संबंधि‍त सुवि‍धाओं जैसे जनसंख्‍या, स्‍वास्‍थ्‍य, शि‍क्षा आदि‍वि‍षयों के महत्‍वपूर्ण राज्‍यवार आंकडे उपलब्‍ध हैं। उन्होंने कहा कि यह संग्रह शहरी वि‍कास और गरीबी उन्‍मूलन में नीति‍नि‍र्माताओं, योजनाकारों, प्रशासकों, समाज के नागरि‍कों की भागीदारी और अन्‍य हि‍तधारकों के लि‍ए एक महत्‍वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करेगी। 

वि.कासोटिया/कि‍शोर/मनीषा-6523

Tuesday, August 20, 2013

बिहार रेल दुर्घटना: देश भर में शोक की लहर

20-अगस्त-2013 15:49 IST
बिहार की रेल दुर्घटना पर राष्‍ट्रपति ने किया दुःख व्‍यक्‍त
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिहार में हुई दर्दनाक रेल दुर्घटना पर गहरा दुःख व्‍यक्‍त किया है, जिसमें कई कांवडि़यों की मौत हो गई और कई अन्‍य घायल हो गये। श्री मुखर्जी ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त की है और घायलों के शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य के लिए शुभकामनाएं दी हैं। 

राष्‍ट्रपति ने अधिकारियों से राहत और बचाव कार्य तेजी से करने को कहा है और उस क्षेत्र के लोगों से कहा है कि वे अधिकारियों को सहयोग दें।
उप राष्‍ट्रपति ने भी दुर्घटना में मरे लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की 
19-अगस्त-2013 16:47 IST
उप राष्‍ट्रपति श्री एम.हामिद अंसारी ने आज बिहार के ख‍गडि़या जिले में हुई रेल दुर्घटना में मारे गये लोगों के प्रति गहरा दु:ख प्रकट किया है। 
उप राष्‍ट्रपति ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है और घायल लोगों के शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना की है। 
 प्रधानमंत्री ने शोक व्‍यक्‍त किया 
--19-अगस्त-2013 14:48 IST
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बिहार में मानसी रेल खंड पर ख‍गडि़या जिले के बदला घाट रेलवे स्‍टेशन के निकट हुई रेल दुर्घटना में श्रद्धालुओं की मृत्‍यु पर गहरा दु:ख व्‍यक्‍त किया है। प्रधानमंत्री ने रेल मंत्रालय को बचाव और राहत कार्य चलाने के लिए सभी उपलब्‍ध संसाधनों को भेजने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है ताकि बचाव और राहत कार्य बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से चलाया जा सके। 
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बिहार रेल दुर्घटना: देश भर में शोक की लहर 

Thursday, August 15, 2013

सभी को इस स्वाधीनता दिवस पर बधाई-डा. मनमोहन सिंह

15-अगस्त-2013 08:42 IST
आज यकीनन ही खुशी लेकिन दिलों में दर्द भी
15 अगस्त 2013  को 67 वें स्वतन्त्रता दिवस पर लाल किले के सामने कुछ इस तरह का दृश्य था 


लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर से जय हिन्द का जय घोष करते प्रधानमन्त्री डाक्टर मनमोहन सिंह 
आज प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने स्‍वतंत्रता दि‍वस 2013 के अवसर पर लाल कि‍ले के प्राचीर से देश को संबोधि‍त कि‍या । इस अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है - 

“मेरे प्यारे भारतवासियो, 

भाइयो-बहनो और प्यारे बच्चो, 

मैं आप सभी को इस स्वाधीनता दिवस पर बधाई देता हूँ। 

आज यकीनन ही खुशी का दिन है। लेकिन आज़ादी के इस त्यौहार पर हमारे दिलों में इस बात का दर्द भी है कि उत्तराखण्ड के हमारे भाई-बहनों को करीब दो महीने पहले भारी तबाही का सामना करना पड़ा। हमारी संवेदना और सहानुभूति उन सभी परिवारों के साथ है जिनको जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा । मैं आज उत्तराखण्ड की जनता को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इस मुश्किल की घड़ी में सारा देश उनके साथ है। हमारी सरकार जल्द से जल्द लोगों के उजड़े हुए घर दोबारा बसाने और बर्बाद हुए Infrastructure को फिर से बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है। 

उत्तराखण्ड में कठिन परिस्थितियों में हमारी फौज़, अर्धसैनिक बलों और केन्द्र और राज्य सरकार के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों ने आम लोगों के साथ मिलकर, घिरे हुए लोगों को राहत पहुंचाने का जो काम किया, वह तारीफ के काबिल है। हम ख़ास तौर पर Air Force, ITBP और NDRF के उन अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने दूसरों को बचाने में अपनी जान कुर्बान कर दी। 

हमें इस बात का भी बेहद अफसोस है कि कल एक दुर्घटना में हमने अपनी पनडुब्बी INS Sindhurakshak को खो दिया। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के शहीद होने की आशंका है। यह नुकसान इसलिए और भी दर्दनाक है क्योंकि अभी हाल में हमारी Navy ने अपनी पहली Nuclear पनडुब्बी Arihant और Aircraft Carrier, INS Vikrant के रूप में दो बड़ी कामयाबियां हासिल की थीं। 

हम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। साथ-साथ Navy की सफलताओं के लिए उन्हें मुबारकबाद भी देते हैं। 

भाइयो और बहनो, 

1947 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में हमने आज़ादी हासिल की। उसके बाद के अपने सफर पर अगर हम ग़ौर करें तो पाएंगे कि हर दस साल पर हमारे देश में बड़े बदलाव आए हैं।

1950 के दशक में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के नेतृत्व में एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत ने अपने पहले कदम रखे। देश में Atomic Energy Commission, योजना आयोग और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई जिन्होंने आगे चलकर राष्ट्र निर्माण के काम में बहुत बड़ा योगदान दिया। पहली बार आम चुनाव कराए गए और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए पहली पंचवर्षीय योजना बनाने का सिलसिला शुरू किया गया। 

1960 के दशक में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने नए-नए उद्योग और कारखाने लगवाए, नई सिंचाई परियोजनाएं शुरू की और नए विश्वविद्यालय खोले। राष्ट्र निर्माण में विज्ञान और Technology के महत्व पर ज़ोर देकर उन्होंने इस प्राचीन देश को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया। 

1970 के दशक में इंदिरा जी ने हमारे राष्ट्र का आत्मविश्वास बढ़ाया। इस दौरान हमने अंतरिक्ष में अपना पहला उपग्रह छोड़ा। हरित क्रांति ने पहली बार हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्रदान की। 

राजीव गांधी जी ने अगले दशक में तकनीकी और आर्थिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान Information Technology के क्षेत्र में हमारी प्रगति की नींव रखी गई। 

पंचायती राज संस्थाओं के महत्व पर ज़ोर दिया गया जिसकी वजह से आगे चलकर इन संस्थाओं को मज़बूत और अधिकार संपन्न बनाने के लिए हमारे संविधान में संशोधन हुआ। 

साल 1991 में हमने श्री नरसिम्हा राव जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़े आर्थिक संकट का सामना बख़ूबी किया और देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए आर्थिक सुधारों को अपनाया। उस समय इन सुधारों का कई राजनैतिक दलों ने विरोध किया। लेकिन ये सुधार राष्ट्र हित में थे और इसीलिए बाद में आने वाली सभी सरकारों ने उनको जारी रखा। साल 1991 से लेकर आज तक सुधारों की ये प्रक्रिया आगे बढ़ती रही है। 

भाइयो और बहनो, 

मेरा मानना है कि पिछला दशक भी हमारे देश के इतिहास में बहुत बड़े बदलावों का दशक रहा है। देश की आर्थिक समृद्धि जितनी इस दशक में बढ़ी है उतनी पहले किसी दशक में नहीं बढ़ी। लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा मिला है और समाज के बहुत से वर्ग विकास की प्रक्रिया से पहली बार जुड़े हैं। आम आदमी को नए अधिकार मिले हैं जिनकी बदौलत उसकी सामाजिक और आर्थिक ताकत बढ़ी है। 

भाइयो और बहनो, 

मई 2004 में पहली UPA सरकार सत्ता में आई थी। तब से लेकर आज तक हमने एक प्रगतिशील और आधुनिक भारत बनाने के लिए लगन और ईमानदारी से काम किया है। 

हमने एक खुशहाल भारत की कल्पना की है। एक ऐसा भारत जो सदियों से चले आ रहे गरीबी, भूख और बीमारी के बोझ से मुक्ति पा चुका हो। जहाँ शिक्षा के उजाले से अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधेरे दूर हो चुके हों। 

जहां सामाजिक समानता हो और सबको एक जैसे आर्थिक अवसर प्राप्त हों। जहाँ समाज के किसी भी तबके को अन्याय और शोषण का सामना न करना पड़े। 

हमने एक ऐसे भारत का सपना देखा है जहाँ नौजवानों को रोज़गार के ऐसे अवसर मिलें जिनके जरिए वह राष्ट्र निर्माण के महान काम में योगदान कर सकें। 

हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज़ बुलंद करनी चाही है। हमने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहा है जिसे सारी दुनिया आदर और सम्मान के साथ देखे। 

इन सपनों को साकार करने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं। लेकिन सफर लंबा है, अभी बहुत फासला और तय करना है। 

भाइयो और बहनों, 

अभी कुछ दिन पहले हमने Food Security कानून बनाने की दिशा में एक Ordinance जारी किया है। Food Security Bill अब संसद के सामने है और हमें उम्मीद है यह जल्द ही पास हो जाएगा। इस कानून का फायदा हमारे गांवों की 75 प्रतिशत और शहरों की आधी आबादी को पहुंचेगा। इसके तहत 81 करोड़ भारतीयों को 3 रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो मोटा अनाज मिल पाएगा। यह दुनिया भर में इस तरह का सबसे बड़ा प्रयास है। 

हम अपने किसानों की मेहनत की वजह से ही इस कानून को लागू कर पाए हैं। साल 2011-12 में हमारी अनाज पैदावार 25.9 करोड़ टन रही, जो एक रिकार्ड है। 

बिना तेज़ कृषि विकास के हम अपने गांवों में खुशहाली पहुंचाने का मक़सद हासिल नहीं कर सकते हैं। पैदावार बढ़ाने और किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलवाने के लिए हमने लगातार कोशिशें की है। फसलों के खरीद मूल्यों में पिछले 9 सालों में पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ोत्तरी की गई है। गेहूं और धान के खरीद मूल्य दुगुने से भी अधिक किए गए हैं। कई ऐसे राज्यों में जहां पहले अनाज की कमी रहती थी आज उनकी अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पैदावार हो रही है। 

11 वीं पंच-वर्षीय योजना के दौरान कृषि विकास की औसत सालाना दर 3.6 प्रतिशत रही है जो 9वीं और 10वीं योजना, दोनों से ज्यादा है। 

अब ग्रामीण इलाकों में खुशहाली बढ़ने के साफ संकेत दिखाई देने लगे हैं। साल 2004 से लेकर 2011 तक प्रतिव्यक्ति उपभोग किया जा रहा सामान और सुविधाएं पहले के मुकाबले चार गुना तेजी से बढ़े हैं। 

ग्रामीण मजदूरी दर में भी कहीं अधिक तेजी से वृद्धि हुई है। मनरेगा की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों गरीब लोगों को रोज़गार मिल रहा है। 

गरीबी को नापना एक मुश्किल काम है। गरीबी की परिभाषा को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं। लेकिन हम गरीबी की चाहे कोई भी परिभाषा अपनाएं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि 2004 के बाद गरीबी कम होने की गति तेज़ हुई है। 

कई ऐसे राज्य, जो बहुत समय से पिछड़े माने जाते थे और जिनमें से कुछ को "बीमारू" कहा जाता था, आज तेज़ी से विकास कर रहे हैं। 

भारत में हर बच्चे को शिक्षा के अवसर देने के लिए हमने शिक्षा का अधिकार कानून बनाया है। आज देश में लगभग सभी बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं। 

कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या पिछले नौ सालों में दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। गरीबों और कमजोर तबकों के बच्चों को शिक्षा के अवसरों का फायदा दिलाने के लिए हमने बड़े पैमाने पर वज़ीफों के कार्यक्रम शुरू किए हैं। आज देश भर में 2 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को केन्द्र सरकार द्वारा वज़ीफे दिए जा रहे हैं। 

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई नए संस्थान खोले गए हैं। जैसे 8 नए IIT, 7 नए IIM, 16 नई Central Universities और 10 नए NIT । Scientific Research को बढ़ावा देने के लिए भी नई संस्थाएं खोली गई हैं। Science की पढ़ाई में ज्यादा छात्रों को शामिल करने के लिए और विदेशों से भारतीय Scientists की वापसी आसान करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। 

लेकिन शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बहुत सारे स्कूलों में अभी भी पीने का साफ पानी, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। शिक्षा की Quality को बेहतर बनाने की ज़रूरत है। इसके लिए अध्यापकों की training पर ज़्यादा जोर दिया जाना आवश्यक है। 

Mid-day-Meal योजना में रोज करीब 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में दोपहर का खाना दिया जा रहा है। यह योजना बच्चों की पढ़ाई और पोषण दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन इसको बेहतर तरह से लागू करना भी बहुत ज़रूरी है। बिहार में पिछले दिनों जो दर्दनाक हादसा हुआ वह देश में कहीं भी दोबारा नहीं होना चाहिए। 

2005 में हमने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। देश में Maternal Mortality Rate और Infant Mortality Rate दोनों तेज़ी से घटे हैं। पहले से कहीं अधिक बच्चों का जन्म आज अस्पतालों में होता है। टीकाकरण के प्रतिशत में भी काफी वृद्धि हुई है। 

पिछले दो सालों से हमारे देश में पोलियो का कोई भी केस सामने नहीं आया है। हमें एक ऐसे रोग को मिटाने में कामयाबी मिली है जो लाखों लोगों को अपंग बना दिया करता था। 

हमारे ग़रीब भाई-बहनों को अस्पतालों में इलाज के लिए मुफ्त बीमा सुविधा प्रदान कराने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अब साढ़े तीन करोड़ परिवारों को फायदा पहुंचा रही है। 

हमने शहरी क्षेत्रों में भी Health Mission लागू किया है जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा और उनमें सुधार आएगा। 

महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए, हमने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से संबंधित कानून को मज़बूत बनाया है। 

Infrastructure यानि सड़कों, रेलगाड़ी, बिजली उत्पादन, Civil Aviation, बंदरगाहों और Telecom जैसे क्षेत्रों में भी पिछले 9 सालों में काफी तरक्की हुई है। गांवों को जोड़ने वाली प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2 लाख किलोमीटर नई सड़कें बनाई गई हैं। सैंतीस हजार Kilometer से ज़्यादा नए Highway बनाए गए हैं जिनसे व्यापार और यात्रा अब ज़्यादा आसान हो गए हैं। चालीस से ज़्यादा हवाई अड्डों का निर्माण या नवीनीकरण किया गया है। सन् 2004 में सिर्फ 7 प्रतिशत लागों के पास telephone connection थे। आज 73 प्रतिशत लोगों को यह सुविधा प्राप्त है। ग्रामीण इलाकों में यह प्रतिशत 2 से बढ़कर 40 हो गया है। बिजली उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई है। 

भाइयो और बहनो, 

हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में यह बात चर्चा में रही है कि पिछले साल हमारी विकास दर कम होकर 5% रह गई है। यह बात सच है और हम इस हालत में सुधार लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ हमारा देश ही अकेला आर्थिक कठिनाईयों का सामना नहीं कर रहा है। पूरी विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पिछला साल मुश्किल भरा रहा है। यूरोप के बड़े देशों में इस वक्त मंदी चल रही है। दुनिया भर में हर जगह निर्यात बाज़ारों की स्थिति में गिरावट आई है। सभी विकासशील देशों को मंदी का सामना करना पड़ा है। 

मेरा मानना है कि भारत में धीमे विकास का दौर बहुत दिन नहीं चलेगा। पिछले 9 सालों में हमारी अर्थव्यवस्था में औसतन 7.9 प्रतिशत सालाना की बढ़ोत्तरी हुई है। विकास की यह रफ्तार अब तक किसी भी दशक में हुई प्रगति से कहीं ज्यादा है। 

भाइयो और बहनो, 

आज दुनिया के देश एक दूसरे से जितना जुड़े हुए हैं उतना पहले कभी नहीं रहे। हमने अपनी विदेश नीति के जरिए यह कोशिश की है कि भारत को इस बात का पूरा फायदा मिले। दुनिया की बड़ी ताकतों से पिछले 9 सालों में हमारे संबंध लगातार सुधरे हैं। पूर्व और दक्षिण पूर्व Asia में स्थित दस ASEAN राष्ट्रों के साथ हमारी Look East Policy के अच्छे नतीजे सामने आए हैं, खासकर आर्थिक मामलों में। हमारी यह भी कोशिश रही है कि पड़ोसी देशों के साथ हमारी दोस्ती बढ़े। लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर होने के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपनी सरज़मीन और अपने नियंत्रण वाली ज़मीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए न होने दे। 

राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी स्थिति में सुधार हुआ है। 2012 में और इस साल कुछ राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की चिंताजनक घटनाओं के बावजूद, पिछले 9 साल सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से अच्छे गुजरे हैं। आतंकवादी और नक्सली हिंसा में भी कमी आई है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हमें लगातार सावधानी बरतने की ज़रूरत है। समय-समय पर हो रहे नक्सली हमलों को पूरी तरह रोकने में हम सफल नहीं हो पाए हैं। छत्तीसगढ़ में पिछली 25 मई को जो नक्सली हिंसा हुई वह भारत के लोकतंत्र पर एक सीधा हमला था। भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर हाल में हमारे जवानों पर कायरतापूर्ण हमला किया गया। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हम हर मुमकिन कोशिश करेंगे। 

भाइयो और बहनो, 

सरकार के काम को ज़्यादा संवेदनशील, पारदर्शी, और ईमानदार बनाने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से मैं सिर्फ दो का ज़िक्र यहां करना चाहूंगा। 

RTI कानून के जरिए आम आदमी को अब सरकारी कामकाज के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा जानकारी मिल रही है। इस कानून का इस्तेमाल एक बड़े पैमाने पर, हर स्तर पर हो रहा है। यह कानून अक्सर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को सामने लाता है और सुधार का रास्ता खोलता है। मुझे यकीन है कि आने वाले समय में RTI की वजह से सरकारी कामकाज में और सुधार आएगा । 

हमने संसद में लोकपाल बिल प्रस्तुत किया है। लोक सभा ने इसे pass कर दिया है और अब इस पर राज्य सभा विचार कर रही है। यह कानून हमारी राजनैतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। 

भाइयो और बहनो, 

हमने पिछले दशक में एक लंबा सफर तय किया है। लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बदलाव का जो सिलसिला हमने शुरू किया है उसे आने वाले वक्त में जारी रखा जाएगा। 

जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, तेज़ आर्थिक विकास हमारे देश के लिए बेहद ज़रूरी है। गरीबी दूर करना, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और रोज़गार के नए-नए अवसर पैदा करना – यह सब तेज़ आर्थिक विकास के बगैर मुमकिन नहीं है। पिछले 9 साल में हमने आर्थिक विकास की जो औसत रफ्तार हासिल की है उससे हमारे देश की क्षमताओं का पता चलता है। लेकिन इस वक्त देश के आर्थिक विकास की दर में कमी आई है। हम इस कमी को दूर करने के लिए पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। 

उद्योगों के लिए सरकारी मंज़ूरियों की प्रक्रिया को तेज़ करने, देश में उद्योग और व्यापार के लिए बेहतर माहौल बनाने और निवेश को बढ़ाने के लिए हमने हाल ही में कई कदम उठाए हैं। बड़ी परियोजनाओं की मंजूरियों की प्रक्रिया में मदद करने के लिए एक विशेष cell की स्थापना की गई है। Cabinet Committee on Investment रुकी हुई परियोजनाओं की अड़चनें दूर करने का काम कर रही है। 

बिजली उत्पादन बढ़ाने के रास्ते में कोयले की आपूर्ति एक समस्या बन गई थी। इसको हमने काफी हद तक सुलझा लिया है। 

आने वाले महीनों में Infrastructure के क्षेत्र में बहुत सी बड़ी परियोजनाओं पर हम काम शुरू करने वाले हैं। इनमें 2 नए बंदरगाह, 8 नए हवाईअड्डे, नए Industrial Corridors और रेल परियोजनाएं शामिल हैं। 

Foreign Direct Investment को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में हमने कई क्षेत्रों में ऐसे निवेश की सीमा बढ़ाई है और इसकी प्रक्रिया को आसान बनाया है। 

निवेश बढ़ाने की इन कोशिशों के अच्छे नतीजे हमें अगले कुछ महीनों में साफ देखने को मिलेंगे। इससे आर्थिक विकास की रफ्तार तेज़ होगी, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और infrastructure में भी सुधार आएगा। 

भाइयो और बहनो, 

Food Security कानून बनने के बाद उसे प्रभावी ढंग से लागू करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक रहेगी। इस दिशा में हमने राज्यों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। Public Distribution System के Computerization के काम में तेज़ी लाई जाएगी। 

Mid-day-Meal Scheme में सुधार लाए जाएंगे। बच्चों को स्कूल में मिल रहा भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ साफ सुथरे ढंग से बना हुआ होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए हम ठोस कदम उठाएंगे। 

Skill Development के क्षेत्र में शुरुआत में हम उतनी अच्छी प्रगति नहीं कर पाए जितनी चाहते थे, लेकिन अब इसमें तेज़ी आई है। हमने कुछ महीने पहले National Skill Development Authority का गठन किया है। हम जल्द ही एक नई योजना शुरू करेंगे जिसके तहत उन नौजवानों को लगभग 10 हज़ार रुपये की राशि दी जाएगी, जिन्होंने सफलतापूर्वक नई Skills हासिल की हैं। इस योजना से अगले 12 महीने में करीब 10 लाख नौजवानों को फायदा पहुंचेगा। 

अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए Multi-Sectoral Development Programme में हाल ही में सुधार लाए गए हैं। अब इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। 

Minor Forest Produce के लिए खरीद मूल्य निर्धारित करने की स्कीम को मंजूरी दे दी गई है। इससे हमारे आदिवासी भाई-बहनों को लघु वन उपज के सही दाम मिलेंगे। इस योजना को हम जल्द-से-जल्द लागू करेंगे। 

आदिवासी भाई-बहनों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर के बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति की Report से हमें उनके लिए बेहतर योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। 

हम अपने देश में बहुत सी समस्याओं को बेहतर Technology के ज़रिए हल कर सकते हैं। इसकी एक मिसाल है आधार योजना। इस योजना के तहत इस साल के आख़िर तक पचास करोड़ लोगों को अपनी पहचान साबित करने का जरिया मिलेगा और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उनको सहूलियत पहुंचेगी। इसके ज़रिए हम करोड़ों लोगों को पहली बार बैंकों की सुविधाओं का लाभ दे पाएंगे। 

भाइयो और बहनो, 

एक आधुनिक, प्रगतिशील और Secular देश में तंग और सांप्रदायिक ख्यालों की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। ऐसी सोच हमारे समाज को बांटती है और हमारे लोकतंत्र को कमज़ोर करती है। हमें इसे रोकना होगा। हमें अपनी संस्कृति की उन परंपराओं को मज़बूत करना होगा, जो हमें अन्य विचारधाराओं के प्रति सहनशील होना और उनका सम्मान करना सिखाती हैं। मैं आज सभी राजनैतिक दलों, समाज के सभी वर्गों और आम जनता से इस दिशा में प्रयास करने की अपील करता हूँ । 

भाइयो और बहनो, 

कुछ देर पहले मैंने कहा था कि आज़ादी के बाद के हर दशक में भारत में बड़े परिवर्तन आये हैं। हमें आज यह सोचना है कि आने वाले दस सालों में हम किस तरह का परिवर्तन चाहते हैं। 

पिछले दस सालों में जैसी प्रगति हमने की है यदि हम उसे आगे भी जारी रखें तो वह वक्त दूर नहीं जब भारत को ग़रीबी, भूख, बीमारी और अशिक्षा से complete मुक्ति मिल जाएगी। हमारा भारत खुशहाल होगा और उसकी खुशहाली में सभी नागरिक बराबर के शरीक होंगे चाहे उनका धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा कुछ भी हो। 

इसके लिए हम सबको मिलकर देश में राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और सुरक्षा का माहौल भी बनाना होगा। 

आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाने के लिए अपने आपको फिर से समर्पित करें। 

प्यारे बच्चों, अब आप मेरे साथ मिलकर तीन बार बोलिए… 

जय हिन्द जय हिन्द - जय हिन्द ।”  (PIB)
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शरत/रतनानी/नवनीत/शाहबाज/सनोज/सतीश/लालमणी

Monday, May 27, 2013

के. रहमान खान ने कांग्रेसि‍यों पर हमले की नि‍न्‍दा की

27-मई-2013 13:38 IST
केन्‍द्रीय अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मेत्री श्री के. रहमान ने छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले की नि‍न्‍दा की है। 

''मैं छत्‍तीसगढ़ में हुए हमले की कड़े शब्‍दों में नि‍न्‍दा करता हॅूं, जि‍समें कई बेगुनाह मारे गए और कई अन्‍य घायल हो गए। मुझे गहरा सदमा पहुंचा है और मैं उन परि‍वारों के प्रति‍ सहानुभूति‍व्‍यक्‍त करता हॅू, जि‍नके परि‍जन मारे गए हैं। मैं घायलों के शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य लाभ की कामना करता हॅूं। सभ्‍य समाज में इस तरह की बर्बर घटनाओं के लि‍ए कोई जगह नहीं है। 

मैं हमलावरों से अपील करता हॅूं कि‍वे अगवा कि‍ए गए लोगों को यथा शीघ्र मुक्‍त कर दें।'' (PIB)

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वि‍.कासोटि‍या/राजेन्‍द्र/बि‍ष्‍ट- 2511

Friday, May 3, 2013

भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी की वार्षिक आमसभा

03-मई-2013 19:40 IST
राष्‍ट्रपति का युवाओं/युवतियों से स्‍वैच्छिक रक्‍तदान करने का आह्वान
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्‍ट्रपति भवन सभागार, नई दिल्‍ली में भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी (आईआरसीएस) और सेंट जॉन एम्‍बुलेंस (इंडिया) की वार्षिक आमसभा के रस्‍मी सत्र में हिस्‍सा लिया। इस अवसर पर उन्‍होंने स्‍वयंसेवियों और सेंट जॉन एम्‍बुलेंस (इंडिया) के केंद्रों को समर्पित भावना से की गई उनकी सेवाओं के लिये छह पदकों तथा चार शील्‍ड्स से सम्‍मानित किया। 

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने मानवता के लिये उल्‍लेखनीय सेवायें करने वाले सभी पदक विजेताओं को बधाई दी। उन्‍होंने कहा कि रेड क्रॉस ने अपने 150 वर्षो के इतिहास में मानवता, न्‍याय, तटस्‍थता, स्‍वतंत्रता, स्‍वयंसेवा, एकता और सार्वभौमिकता के बुनियादी मूल्‍यों को बरकरार रखा। उन्‍होंने कहा कि भारत में भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी और सेंट जॉन एम्‍बुलेंस सन् 1920 से मानवीय सेवाओं के मामले में हमेशा अग्रणी रहे हैं और अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से उन्‍होंने अपनी पहुंच बढ़ायी है। उन्‍होंने नर्सिंग स्‍क़ूलों, वृद्धाश्रमों, तपेदिक कार्यक्रमों, आपदा राहत और तैयारियों तथा बच्‍चों और युवाओं को सकारात्‍मक दृष्टिकोण सिखाने में अहम् भूमिका निभायी है। उन्‍होंने कहा कि इनके प्रयासों से लाखों लोग लाभांवित हुये हैं। 

राष्‍ट्रपति ने युवाओं और यु‍वतियों से बड़ी तादाद में आगे आने और स्‍वैच्छिक रक्‍तदान के अभियान में अपना योगदान देने के लिए कहा। उन्‍होंने कहा कि इस महत्‍वपूर्ण सामाजिक सेवाओं के लिए हमारे सभी युवाओं को संवेदनशील बनाना बेहद जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि हमें ये सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि प्रत्‍येक इंसान की रक्‍त की जरूरत पूरी हो सकें। इस अवसर पर केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य परिवार कल्‍याण मंत्री तथा पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ के राज्‍यपाल सहित अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी उपस्थित थे। (PIB)

वि.कासौटिया/रीता/गीता-2208

Monday, April 29, 2013

इंस्‍टैंट कॉफी संयंत्र का उद्घाटन

29-अप्रैल-2013 12:57 IST
डी पुरनदेश्‍वरी ने वियतनामी नेताओं से बातचीत की 

वाणिज्‍य और उद्योग राज्‍यमंत्री डॉक्‍टर डी पुरनदेश्‍वरी ने वियतनाम में कल और आज विभिन्‍न कार्यक्रमों में हिस्‍सा लिया। हो ची मिन्‍ह शहर में उन्‍होंने भारतीय और वियतनामी उद्यमियों को संबोधित किया। इस बैठक में वियतनाम में भारत के राजदूत श्री रंजीत राय और 40 उद्यमियों ने हिस्‍सा लिया। 

वियतनाम के डक लेक प्रांत में डॉक्‍टर डी पुरनदेश्‍वरी ने इंस्‍टैंट कॉफी संयंत्र का उद्घाटन किया। इसे सीसीएल प्रोडक्‍स इंडिया लिमिटेड ने तीन सौ करोड़ रूपये की लागत से स्‍थापित किया है। उद्घाटन समारोह में वियतनाम में भारत के राजदूत सहित वियतनाम के वेस्‍टर्न हाइलैंड की संचालन समिति की उप-प्रमुख श्री त्रि जुआन होआ, डक लेक प्रांत की पीपुल्‍स कमेटी की उपाध्‍यक्ष माई हुआन, कु क्‍वीन जिला समिति के उपाध्‍यक्ष एन गुवेन नामचुंग और अन्‍य वियतनामी नेता मौजूद थे। सीसीएल प्रोडक्‍ट्स इंडिया लिमिटेड के अध्‍यक्ष श्री चल्‍ला राजेन्‍द्र प्रसाद और एन गुआन कॉफी कंपनी के अध्‍यक्ष सहित कई भारतीय वियतनामी और अंतर्राष्‍ट्रीय प्रति‍निधि उपस्थित थे।

डॉक्‍टर डी पुरनदेश्‍वरी ने व्‍यापार और निवेश के परस्‍पर हित के मामलों पर वियतनामी नेताओं से बातचीत की। बातचीत में भारत की ओर से श्री रंजीत राय के अलावा वाणिज्‍य विभाग में संयुक्‍त सचिव श्री सिद्धार्थ तथा अन्‍य अधिकारियों ने भाग लिया। (PIB)
वि.कासोटिया/गांधी/सोनिका-2075

Monday, March 25, 2013

पेरिस में समलैंगिक विवाहों पर विरोध

समलैंगिक विवाहों के खिलाफ निकाला जुलूस 
फ़्रांस के कोने-कोने से राजधानी आए हज़ारों लोगों ने कल समलैंगिक विवाहों के खिलाफ जुलूस निकाला| फरवरी के मध्य में देश की संसद के निचले सदन ने ऐसा विधेयक पास कर दिया है जिसके अंतर्गत समलैंगिक विवाहों को अब कानूनी मान्यता मिल जाएगी और इस प्रकार बने परिवार बच्चों को गोद ले सकेंगे| अप्रैल के मध्य में ऊपरी सदन में इस विधेयक पर विचार होगा| इस जुलूस के आयोजकों ने अपनी अपील में कहा है: “हम फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति का आह्वान करते हैं कि वह इस विधेयक को वापिस बुला लें| यह विधेयक प्राकृतिक रिश्तों को अस्वीकार करता है और इस तरह समाज की जड़ खोदता है| इसका नतीजा यह होगा कि आर्थिक, सामाजिक और नैतिक समस्याएँ पैदा होंगी|”

Thursday, February 28, 2013

डाक नेटवर्क को आधुनिक बनाने के लिए 532 करोड़ रुपये

28-फरवरी-2013 15:19 IST
राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान के लिए अतिरिक्‍त 200 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव
वित्‍त मंत्री श्री पी चिदंबरम ने आज लोकसभा में वर्ष 2013-14 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि वर्तमान वर्ष में राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान 50 करोड़ रुपये के सामान्‍य आवंटन के साथ आरंभ किया गया था। पंचायती राज संस्‍थाओं में क्षमता निर्माण की महत्‍ता को ध्‍यान में रखते हुए 2013-14 में पंचायती राज मंत्रालय के लिए 455 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके अलावा 200 करोड़ रुपये देने का प्रस्‍ताव किया गया है। श्री चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने 4,909 करोड़ रुपये की लागत पर डाक नेटवर्क को आधुनिक बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी प्रेरित महत्‍वाकांक्षी परियोजना शुरू की है। डाकघर बुनियादी बैंकिंग समाधान का हिस्‍सा बन जाएंगे और साथ-साथ बैंकिंग सेवाएं भी प्रदान करेंगे। वित्‍त मंत्री ने 2013-14 में इस परियोजना के लिए 532 करोड़ रुपये देने का प्रस्‍ताव किया है। 

वित्‍त मंत्री ने कहा कि सरकार गदर आंदोलन की शताब्‍दी मनाने के लिए सरकार सेन-फ्रांसिस्‍को में गदर स्‍मारक को संग्रहालय एवं पुस्‍तकालय में बदलने के लिए धनराशि देगी। (PIB)

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मीणा/राजगोपाल/प्रदीप/ सुधीर/संजीव/इन्‍द्रपाल/बि‍ष्‍ट/ शदीद/सुनील/शौकत/मनोज- 772

Friday, February 22, 2013

एड्स जागरूकता के लिए रे‍ड रिबन एक्‍सप्रेस

22-फरवरी-2013 14:27 IST
23 राज्‍यों में 162 स्‍टेशनों पर 1.14 करोड़ लोगों को कि‍या जागरूक 
File Photo Punjab Screen
रेड रिब्‍बन एक्‍सप्रेस के तृतीय चरण की शुरूआत 12-1-2012 को की गयी थी। तब से प्रदर्शनी वाली इस रेल गाड़ी ने 23 राज्‍यों में 162 स्‍टेशनों पर ठहरकर 1.14 करोड़ लोगों को एड्स के खिलाफ जागरूक कि‍या है। रेलगाड़ी पर चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्देश्‍य एड्स के खिलाफ चौकसी बरतने और इससे बचने के उपायों का प्रचार करना, एड्स मरीजों के प्रति भेदभाव न करने और इस बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। 
प्रथम चरण के दौरान 62 लाख लोगों ने यह प्रदर्शनी देखी, 68 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया गया, जो इस बीमारी बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। 57 हजार से ज्‍यादा लोगों को एचआईवी के बारे में सलाह दी गई। यह जानकारी आज लोक सभा में स्‍वाथ्‍य एवं परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्री एस. गांधीसेल्‍वन ने एक प्रश्‍न के लि‍खि‍त उत्‍तर में दी। (PIB)
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मीणा/शुक्‍ल/ संजना- 683

Thursday, February 7, 2013

संसद के बजट सत्र

07-फरवरी-2013 12:37 IST
पंद्रहवीं लोकसभा के तेरहवें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत और अवधि 
                                                                                                                         Courtesy Photo
संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है। 

पंद्रहवीं लोक सभा के 13वें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और सरकारी कामकाज की अनिवार्यताओं के अध्याधीन 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है। 

राष्ट्रपति 21 फरवरी 2013, गुरुवार को संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रुप से नई दिल्ली स्थित संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में सुबह 11 बजे संबोधित करेंगे। 

मंत्रालयों/विभागों के अनुदान की मांगों पर स्थायी समिति द्वारा विचार और रिपोर्ट तैयार करने के लिए 22 मार्च 2013 को दोनों सदनों को अवकाश के लिए स्थगित किया जाएगा और 22 अप्रैल 2013 को सदन का सत्र पुनः आरंभ होगा। (PIB)

वि.कासोटिया/सुधीर पी. /विजयलक्ष्मी – 469

संसद के बजट सत्र 

Sunday, February 3, 2013

भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्‍यान केंद्रित किया

01-फरवरी-2013 15:23 IST
दो फ्रिगेट 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत        रक्षा पर विशेष लेख  
आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान *हामिद हुसैन
    भारतीय तटरक्षक 01 फरवरी, 2013 को अपनी 36वीं वर्षगांठ मना रहा है। अपनी स्‍थापना के बाद से यह सेवा एक बहुआयामी और एक उत्‍साहपूर्ण बल के रूप में यह उभरी है जो बहु-भूमिका वाले पोतों और विमानों की तैनाती कर हर समय भारत के समुद्री क्षेत्रों की चौकसी करता है।
    भारतीय नौ-सेना के दो फ्रिगेट और सीमा शुल्‍क विभाग के 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत कर आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान हैं। गत वर्ष के दौरान एक प्रदूषण नियंत्रण पोत, 6 गश्ती पोत, 4 वायु कुशन पोत, 2 इंटरसेप्‍टर नौकाएं शामिल की गई हैं। इसके अतिरिक्‍त क्षेत्रीय मुख्‍यालय (एनई) की स्‍थापना तथा 8 सीजी स्‍टेशन का सक्रियण, सक्रियण/3 सीजी स्‍टेशनों की शुरूआत की योजना 2013 के प्रारंभ में की गई है।
    भारतीय तटरक्षक आज तीव्र विस्‍तार की राह पर है। इसमें आधुनिक स्‍तर के पोत, नौकाएं और विमान का निर्माण विभिन्‍न शिपयार्ड/ सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम में किया जा रहा है और भविष्‍य में तटरक्षक अकादमी की स्‍थापना की जाएगी। तटरक्षक के संगठनात्‍मक ढाँचे में 5 क्षेत्रीय मुख्‍यालय, 12 जिला मुख्‍यालय, 42 स्‍टेशन तथा सभी भारतीय तटों पर 15 एयर यूनिट कार्य कर रहे हैं।
    श्रम शक्ति की दृष्टि से इस सेवा ने सामान्‍य ड्यूटी में महिला अधिकारियों के लिए अल्‍प सेवा नियुक्ति की शुरूआत, मेधावी अधीनस्थ अधिकारियों को विभागीय पदोन्‍नति और विशेष नियुक्ति अभियान चलाकर अपने श्रम शक्ति में विस्‍तार किया है।
    बृहत विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और तट रक्षा पर सतत निगरानी के लिए औसतन 20 पोत और 8-10 विमान तैनात किए गए है। भारतीय तटरक्षक ने तटीय निगरानी नेटवर्क (सीएसएन) की भी स्‍थापना की है जिसमें तटीय निगरानी रडार नेटवर्क और 46 सुदूर स्‍थलों पर इलेक्‍ट्रो ऑप्‍टीक सेंसर शामिल है। इन सेंसरों में 36 मुख्‍य क्षेत्र में, 6 लक्ष्‍यद्वीप समूह और 4 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में लगाएं गए हैं।
    भारतीय तटरक्षक द्वारा तट के आस-पास के गाँवों में नियमित समुदाय संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य मछली पकड़ने वाले समुदायों को मौजूदा सुरक्षा स्थितियों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उन्‍हें सतर्क रखना है। इसके अतिरिक्‍त गत वर्षों के दौरान भारतीय तट रक्षक ने 20 तटीय सुरक्षा अभ्‍यास और 21 तटीय सुरक्षा अभियान चलाया है।
    भारतीय तटरक्षक द्वारा हर समय भारतीय खोज और बचाव क्षेत्रों में समुद्री जांच और बचाव किया जाता है। इस कठिन परिस्थिति में साहस दिखाते हुए पिछले वर्ष तटरक्षरक ने 204 लोगों की जान बचाई है। इस अवधि के दौरान भारतीय तटरक्षक द्वारा कुल 30 चिकित्‍सा बचाव किए गए।
    भारतीय तटरक्षक ने अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी अपनी पहचान स्‍थापित की है। सहयोग समझौता/ ज्ञापन के तहत संस्‍थागत यात्राएं नियमित की जाती हैं। 12वीं भारत-जापान तटरक्षक उच्‍च स्‍तरीय बैठक जापान के टोक्‍यो में जनवरी, 2013 में की गई। अक्‍तूबर, 2012 में नई दिल्‍ली में 8वां एशियाई तटरक्षक प्रमुखों का सम्‍मेलन आयोजित किया गया। यह सम्‍मेलन काफी महत्‍वपूर्ण था क्‍योंकि इसे पहली बार भारत में आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्‍त, भारत-पाकिस्‍तान संयुक्‍त कार्य समूह बैठक का आयोजन पहली बार नई दिल्‍ली में जुलाई, 2012 में किया गया।
    भारतीय तटरक्षक लगातार अपना विस्‍तार कर रहा है और जिससे इसकी क्षमता में और विकास हो रहा है। सक्षम और पेशेवर अधिकारियों द्वारा आधुनिक पोतों और विमानों का संचालन किया जा रहा है जो देश सेवा और समुद्री सुरक्षा में कार्य कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते है। वर्ष 2013 के लिए भारतीय तटरक्षक का शीर्षक है 'समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित लक्ष्‍य'। यह शीर्षक इस सेवा की प्रतिबद्धता और संकल्‍प को प्रदर्शित करता है जो इसके आदर्श वाक्‍य 'वयम् रक्षाम:' में प्रतिबिम्‍बित है जिसका अर्थ है 'हम रक्षा करते है'। (PIB) (पसूका) 
*एपीआरओ (रक्षा) भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्‍यान केंद्रित किया 
मीणा/आनंद/लक्ष्‍मी - 33
पूरी सूची - 01.02.2013

Wednesday, January 9, 2013

प्रधानमंत्री की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक

उद्देश्‍य विभिन्‍न क्षेत्रों के प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना
विश्वभर से 13 प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों ने लिया भाग
प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक कल कोच्चि में हुई। विश्वभर से 13 प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों ने इसमें भाग लिया। बैठक में प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री श्री वायलार रवि, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री श्री आनंद शर्मा, विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद, मानव संसाधन मंत्री श्री एम.एम. पल्‍लम राजू, योजना आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉक्‍टर मोंटेक सिंह आहलुवालिया और केन्‍द्र सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया। 

बैठक में जिन प्रवासी भारतीयों ने भाग लिया, उनमें श्री करण एफ. बिलीमोरिया, श्री स्‍वदेश चटर्जी, सुश्री इला गांधी, लॉर्ड खालिद हमीद, डॉक्‍टर रेणु खाटोर, श्री किशोर मधुबनी, श्री एल.एन. मित्‍तल, लॉर्ड भीखु छोटालाल पारेख, श्री सैम‍पितरोदा, तान श्री दातो अजीत सिंह, श्री नेविले जोसफ रोस, प्रोफेसर श्रीनिवास एस.आर.वर्धन और श्री युसूफाली एम.ए. शामिल थे। 

बैठक में प्रतिभागियों ने महत्‍वपूर्ण अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों और भारत पर होने वाले उनके प्रभावों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया। इनमें वैश्विक आर्थिक स्थिति, पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र की घटनाएं, ऊर्जा सुरक्षा और एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रवृत्तियां जैसे मुद्दे शामिल थे। सदस्‍यों ने भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच तथा भारत और विभिन्‍न देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के बारे में भी अपने विचार प्रस्‍तुत किये। 

प्रधानमंत्री ने उनके दृष्टिकोण और रचनात्‍मक सुझावों के लिए सदस्‍यों का धन्‍यवाद किया। 

प्रधानमंत्री की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद का गठन वर्ष 2009 में हुआ था और हर साल इसकी बैठक होती है। इसका उद्देश्‍य दुनिया भर में फैले विभिन्‍न क्षेत्रों के प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना है, ताकि भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच सम्‍पर्कों के लिए व्‍यापक एजेंडा तैयार किया जा सके।(PIB) 
09-जनवरी-2013 12:52 IST
कोच्चि में प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक
मीणा/राजगोपाल/गीता-97

Sunday, January 6, 2013

सिक्किम की सुगंध-टेमी चाय

03-जनवरी-2013 14:58 IST
दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया 
टेमी चाय पर विशेष लेख                                                         * खगेन्‍द्रमणि प्रधान
                                                                                                                                  Courtesy Photo
आकर्षक और भव्‍य माउंट कंचन ज़ोंगा की पृ‍ष्‍ठभूमि में तीस्‍ता नदी की सुहावनी समीर के साथ सिक्किम हर सुबह टेमी चाय का आनंद लेता है। 4500 से 6,316 फुट की ऊंचाई पर फैली ढलान वाली 180 हेक्‍टेयर भूमि में टेमी चाय के बागान हैं, जहां बहुत ही बढ़िया परम्‍परागत चाय की पैदावार होती है, जिसकी चाय के कदरदान तारीफ करते नहीं थकते।
    टेमी चाय बागान की स्‍थापना सिक्किम के पूर्व नरेश चोग्‍याल के शासनकाल में 1969 में हुई थी और बड़े पैमाने पर इसका उत्‍पादन 1977 में शुरू हुआ। चाय बागान के रोजमर्रा के काम-काज को व्‍यवस्थित रखने के लिए 1974 में चाय बोर्ड की स्‍थापना की गई और बाद में यह सिक्किम सरकार के अंतर्गत उद्योग विभाग की सहायक कम्‍पनी बन गई। टेमी चाय से जहां एक ओर 4 हजार से अधिक श्रमिकों और 30 कर्मचारियों को सीधे रोजगार मिलता है, वहीं यह कम्‍पनी सरकारी क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने वाली एक बड़ी कम्‍पनी बन गई है।
    हल्‍की ढलान वाली यह भूमि तेंदोंग पर्वत श्रृंखला से शुरू होती है। 30-50 प्रतिशत ढलान वाली दुम्‍मट मिट्टी की यह भूमि चाय बागान के लिए बहुत ही उपयुक्‍त है और यहां साल में लगभग 100 टन चाय की पैदावार होती है। यदि बड़े चाय बागानों से मुकाबला किया जाए, तो यह पैदावार बहुत ज्‍यादा नहीं है, लेकिन इसकी गुणवत्‍ता और सुगंध ने भारत और दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया है।
    टेमी चाय बागान में पैदा हुई चाय को ''टेमी चाय'' जैसे कई ब्रांड नामों से पैक किया जाता है, जो सबसे बढ़िया क्‍वालिटी की चाय होती है, जिसमें सुनहरी फूलों जैसी नारंगी झलक वाली बढि़या काली चाय होती है। इसके बाद दूसरी बढ़िया चाय का लोकप्रिय ब्रांड नाम है 'सिक्किम सोलजा' और उसके बाद 'मिस्‍टीक चाय' और 'कंचनजंगा' चाय का नाम आता है। इसे 'ऑर्थोडोक्‍स डस्‍ट टी' के नाम से बेचा जाता है। चाय की लगभग 70 प्रतिशत पैदावार अधिकृत दलाल के माध्‍यम से कोलकाता में सार्वजनिक नीलामी से बेची जाती है और बा‍की की चाय के रिटेल (खुदरा बिक्री के लिए) पैकेट बनाए जाते हैं और स्‍थानीय बाजार में बेचे जाते हैं।
    चाय बागान की भूमि की भौगोलिक स्थिति और चाय के पौधों को जैविक खाद से पोषित करने से इस चाय बागान में पैदा होने वाली चाय के पत्‍तों की कीमत और सुगंध और बढ़ जाती है।
    टेमी चाय बागान ने स्विटज़रलैंड की बाजार नियंत्रण से संबंधित संस्‍था-आईएमओ  के निर्देशों का पालन किया और पर्यवेक्षण की अवधि पूरी होने के बाद आईएमओ इंडिया ने, जो आईएमओ स्विटज़रलैंड का सदस्‍य समूह है, 2008 में टेमी चाय बागान को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक का प्रमाण पत्र दिया। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के अंतर्गत भी यह आईएसओ-22,000 मानक के अनुसार एचएसीसीपी द्वारा भी परमाणीकृत चाय बागान है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बाजार पहुंचने वाला उत्‍पाद उत्‍तम गुणवत्‍ता वाला है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि टेमी चाय बागान को लगातार दो वर्षों से भारतीय चाय बोर्ड ने भी अखिल भारतीय गुणवत्‍ता पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया है।
    चाय उत्‍पादन की पूरी प्रक्रिया को परंपरागत से ऑर्गेनिक में बदलने से न केवल इसके लिए अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में मांग बढ़ी है, बल्कि सिक्किम जाने वाले पर्यटक भी बड़ी संख्‍या में इसकी मांग करते हैं। चाय की ऑर्गेनिक खेती के लिए जैविक खाद और वर्मिन-कम्‍पोस्‍ट खाद, नीम और अरंण्‍डी की बट्टियों के रूप में कीटनाशक भी उपलब्‍ध होते हैं। चाय बागान के पास लगभग 100 एकड़ वन भूमि भी है, जिससे बड़ी मात्रा में चाय बागान के लिए जैविक खाद-पदार्थों की पूर्ति हो जाती है, जो इसे आवश्‍यक संसाधनों की दृष्टि से आत्‍मनिर्भर बनाता है।
    खेती में रासायनिक खादों के इस्‍तेमाल को छोड़कर पैदावार के ऑर्गेनिक तरीके अपनाने से न केवल टेमी चाय बागान की उत्‍पादन लागत कम हुई है, बल्कि हानिकारक रसायनों से मुक्‍त ऑर्गेनिक पैदावार को पसंद करने वालों का एक बहुत बड़ा बाजार भी मिल गया है। टेमी चाय बोर्ड को अपनी सफलता पर गर्व है और वह सरकारी राजस्‍व में भी पर्याप्‍त योगदान दे रहा है।
    जर्मनी, ब्रिटेन, अमरीका और जापान टेमी चाय के प्रमुख खरीददार हैं। ग्रीन टी की बढ़ती मांग को देखते हुए इसमें विविधता लाने के कई प्रयास किए जा रहे है और इसकी कीमत बढ़ाने के लिए अधिक आकर्षक डिज़ाइन वाले पैकेट तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा सिक्किम की इस चाय के लिए विदेशी बाजार में सीधे खरीददार बनाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। चाय बोर्ड ने कनाडा और जापान को ऑर्गेनिक चाय के छोटे पैकेट सीधे निर्यात करना भी शुरू कर दिया है, जहां इसके लिए स्‍पर्धात्‍मक और आकर्षक दाम मिल रहे हैं।
    चाय बागान के विस्‍तार के लिए उपयुक्‍त भूमि न मिलने से इसके क्षेत्र का विस्‍तार नहीं हो पा रहा है। लेकिन टेमी चाय बागान छोटे किसानों और उत्पादकों को बढ़िया पौध और अन्‍य तकनीकी जानकारी की सहायता उपलब्‍ध करा रहा है। बागान की नर्सरी में बढ़िया पौध तैयार की जाती है, जिसका वितरण राज्‍य के छोटे चाय बागानों की सहकारिताओं में किया जाता है।
    हालांकि टेमी चाय चाय पारखियों की उम्‍मीदों पर खरी उतरी है, फिर भी चाय बागान की जलवायु संबंधी परिस्थितियों को देखते हुए यहां अधिक कीमत वाली और बढि़या चाय पत्‍तों वाली पैदावार की अभी भी गुंजायश है।
            (PIB)       (पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)सिक्किम की सुगंध-टेमी चाय
*फ्रीलांस पत्रकार
नोट: लेखक द्वारा इस लेख में व्‍यक्‍त किए गए विचार आवश्‍यक नहीं कि पत्र सूचना कार्यालय के विचारों से मेल खाते हों।

 सिक्किम स्क्रीन में भी देखें 
  
मीणा/राजगोपाल/लक्ष्‍मी-03

एक बच्‍चा एक लैम्‍प:

04-जनवरी-2013 19:35 IST
स्‍कूल के दिनों को रोशन करने की एक परियोजना
विशेष लेख                                                  *मनीष देसाई**भावना गोखले
ग्रामीण परिदृश्‍य में बदलाव

पिछले दो दशकों के दौरान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कई प्रकार के बदलाव आए हैं। वहां बेहतर सड़क संपर्क के साथ ही स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं में महत्‍वपूर्ण सुधार, साक्षरता में सुधार और हर किसी के लिए मोबाइल फोन की सुविधा देखने को मिलती हैं। किंतु बिजली की आपूर्ति में उतना सुधार देखने को नहीं मिलता है। देश के अधिकांश राज्‍यों में 12 से लेकर 14 घंटे तक बिजली नहीं मिलना एक सामान्‍य बात है। जब इतने लम्‍बे समय तक बिजली न मिले तो इससे स्‍कूल जाने वाले बच्‍चे सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में शामिल हैं।
     बिजली नहीं रहने के कारण छात्र या तो पढ़ाई नहीं कर पाते या फिर वे मिट्टी के तेल वाले लैम्‍प की रोशनी में पढ़ाई करते हैं। यह स्थिति अच्‍छी नहीं है। बिजली की आपूर्ति में कमी होने के कारण देश के 12 करोड़ से अधिक बच्‍चे अपनी पढ़ाई के लिए मिट्टी के तेल वाले लैम्‍प पर निर्भर करते हैं। मिट्टी के तेल वाले लैम्‍प से उतनी रोशनी नहीं होती, जिससे बच्‍चे आराम से पढ़ाई कर सकें। उससे कार्बन मोनोक्‍साइड गैस भी उत्‍सर्जित होती है, जो बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नुकसानदायक है। मिट्टी का तेल लीक होने की स्थिति में आग लगने का भी खतरा रहता है। अंतत: इसका परिणाम यह होता है कि छात्र अपनी पढ़ाई के साथ तालमेल रखने में असफल रहते हैं और जब वे उतीर्ण होते हैं, तो उनमें रोजगार के अवसरों तक पहुंचने के लिए आत्‍मविश्‍वास में कमी होती है और उनका कौशल स्‍तर भी कम होता है।
     इसलिए बच्‍चों की पढ़ाई के दौरान रोशनी की उपलब्‍धता काफी महत्‍वपूर्ण है। इसलिए हम इस समस्‍या का किस प्रकार समाधान करें ?

लेड अध्‍ययन लैम्‍प – सर्वोत्‍तम समाधान
     सभी संभव समाधानों के बीच सौर ऊर्जा पर आधारित सौर लैम्‍प सबसे सस्‍ता और सबसे त्‍वरित समाधान के रूप में दिखाई पड़ता है।
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उभरती हुई लेड रोशनी की प्रौद्योगिकी, जो एक सेमीकंडक्‍टर पर आधारित है, वह रोशनी की समस्‍या से जुड़ा एक बेहतरीन और सरल समाधान है। श्‍वेत लेड क्रांति के बल पर अब पढ़ाई के उद्देश्‍य के लिए एक उपयुक्‍त और सरल समाधान प्रस्‍तुत हो रहा है, जो एक चौथाई वाट से भी कम बिजली लेकर एक लैम्‍प की तुलना में 10 से लेकर 50 गुना अधिक रोशनी देता है।
हैदराबाद स्थित स्‍वैच्छिक संगठन – थ्राइव एनर्जी टेक्‍नोलॉजिज ने एक सौर अध्‍ययन लैम्‍प वि‍कसित किया है, जो अध्‍ययन के उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए पर्याप्‍त रोशनी प्रदान करता है। एक बार पूरा चार्ज करने पर इससे प्रतिदिन सात से आठ घंटे तक रोशनी मिलती है।
सौर लेड की विशेषताएं
*एक लैम्‍प द्वारा दो से तीन लक्‍स रोशनी की तुलना में यह लगभग 150 लक्‍स रोशनी प्रदान करता है।
*इसमें निकेल धातु वाली हाइड्राइड की बैट्री का इस्‍तेमाल होता है, जिसे 0.5 वाट वाले सोलर पैनल के जरिए अथवा ए.सी मोबाइल चार्जर या फिर सौर ऊर्जा आधारित चार्जिंग प्रणाली के जरिए चार्ज किया जा सकता है।
*इसमें विश्‍व के सर्वोत्‍तम लेड और एक उन्‍नत आईसी का इस्‍तेमाल होता है, जो कई वर्षों के इस्‍तेमाल के बाद भी निरंतर और बढि़या रोशनी देता है।
इस परियोजना से जुड़े आई.आई.टी बम्‍बई के रवि तेजवानी का कहना है – ‘सामान्‍यत: जो लैम्‍प तैयार किए जाते हैं, वे ग्रामीण पर्यावरण के लिए उतना उपयुक्‍त साबित नहीं होते। प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं में नवीनता के माध्‍यम से ये लैम्‍प व्‍यापारिक तौर पर बाजार में उपलब्‍ध समकक्ष गुणवत्‍ता वाले लैम्‍पों की तुलना में 40 प्रतिशत तक किफायती हैं।’
खरगौन का प्रयोग : एक बच्‍चा एक लैम्‍प
  
‘एक बच्‍चा एक लैम्‍प’ नामक परियोजना दक्षिण-पश्चिम मध्‍य प्रदेश के खरगौन जिले में शुरू की गई। इसका उद्देश्‍य जिले के प्रत्‍येक 100 स्‍कूलों के सौ-सौ बच्‍चों - कुल मिलाकर 10,000 बच्‍चों, को सोलर लैम्‍प प्रदान करना है। झिरन्‍या और भगवानपुरा तहसील के 100 स्‍कूलों को भी इस योजना में शामिल किए जाने का प्रस्‍ताव है, जो सबसे अधिक पिछड़े क्षेत्रों में शामिल हैं। मुख्‍य योजना जिले में 1,00,000 लैम्‍पों का वितरण करना है।
  मध्‍य प्रदेश के खरगौन जिले को एक शीर्ष जिले के रूप में चुना गया है, क्‍योंकि 84 प्रतिशत से अधिक जनसंख्‍या गांव में निवास करती है और इसमें से 40 प्रतिशत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी की है। रोशनी के लिए 40 प्रतिशत से अधिक लोग मिट्टी के तेल का इस्‍तेमाल करते हैं। मध्‍य प्रदेश में प्रति व्‍यक्ति बिजली का उपभोग मात्र लगभग 330 यूनिट प्रतिवर्ष है, जबकि भारत के लिए यह 750 यूनिट है और विश्‍वभर के लिए यह औसत 2000 यूनिट है। खरगौन जिले में स्थित एजुकेशन पार्क की ओर से इस परियोजना को कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें थ्राइव एनर्जी टेक्‍नोलॉजिज, हैदराबाद सहयोग कर रहा है। अब तक 4500 से भी अधिक सौर लेड लैम्‍प वितरित किए गए हैं।  इसका उद्देश्‍य सिर्फ वितरण करना है।
परियोजना की कार्य प्रणाली
 छात्रों के लिए सौर लैम्‍प की रियायती लागत केवल 200 रूपये है, हालांकि बाजार में इसकी कीमत 580 रूपये है। श्री तेजवानी का कहना है कि इन सौर लैम्‍पों को स्‍कूल के एक ही स्‍थान पर चार्ज किया जाएगा, जबकि छात्रों की पढ़ाई स्‍कूल के टैरेस में स्‍थापित एक साझा सौर पीवी मॉड्यूल के जरिए कराई जाएगी। दिन में इन लैम्‍पों को चार्ज किया जाएगा और 4 से 5 घंटे के चार्ज होने के बाद ये 2-3 दिनों तक रात के दौरान 2-3 घंटे तक रोशन प्रदान करने में सक्षम होंगे। जिन छात्रों के पास ये लैम्‍प होंगे, वे इसे घर ले जाकर रात में अपनी पढ़ाई करेंगे। जरूरत होने पर वे स्‍कूल ले जाकर इसे फिर से चार्ज कर सकेंगे।
परियोजना के लाभ    एक बार सफलतापूर्वक कार्यान्वित होने पर समाज के लिए यह परियोजना प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से लाभकारी होगी।
*10,000 छात्रों को सौर लैम्‍प मिल जाने पर इसके परिणामस्‍वरूप अध्‍ययन के लिए प्रतिवर्ष लगभग 30,00,000 अतिरिक्‍त घंटे उपलब्‍ध होंगे।
*इससे माता-पिता, शिक्षकों और प्रशासकों के बीच जागरूकता आएगी और लोग अपना-अपना सौर लैम्‍प प्राप्‍त करने के लिए प्रोत्‍साहित होंगे। घर में इस्‍तेमाल के लिए एक अन्‍य घरेलू लैम्‍प का मॉडल भी उपलब्‍ध है।
*इससे मिट्टी के तेल की मांग में कमी होगी, जिसकी आपूर्ति पहले से ही कम हो रही है और इसके बदले देश के लिए बहुमूल्‍य विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
*इससे मिट्टी के तेल वाले लैम्‍पों के इस्‍तेमाल से बच्‍चों को होने वाले स्‍वास्‍थ्‍य के खतरे में भी कमी आएगी।
*इस परियोजना के क्रियान्‍वयन के परिणामस्‍वरूप प्रतिवर्ष 15,00,000 टन कार्बनडाईऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में भी कमी आएगी।
इस परियोजना का उद्देश्‍य मध्‍य प्रदेश के सामाजिक जीवन पर होने वाले प्रभाव को दर्शाना और सरकार को रोशनी के लिए सौर लैम्‍पों को अपनाने हेतु प्रोत्‍साहित करना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोशनी के लिए सबसे अधिक किफायती समाधान है।
सौर ऊर्जा पर भारत का जोर    सरकार ने सौर ऊर्जा के महत्‍व को स्‍वीकार किया है और जवाहरलाल नेहरू राष्‍ट्रीय सौर मिशन नामक कार्यक्रम शुरू किया है। इस मिशन का तात्‍कालिक लक्ष्‍य देश में केंद्रित और विकेंद्रित - दोनों स्‍तरों पर सौर प्रौद्योगिकी को पहुंचाने के लिए एक वातावरण तैयार करने पर जोर देना है। इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से आई.आई.टी. बम्‍बई में राष्‍ट्रीय फोटोवोल्‍टाइक अनुसंधान और शिक्षा केंद्र (एनसीपीआरई) स्‍थापित किया गया है, ताकि आधारभूत और उन्‍नत अनुसंधान संबंधी गतिविधियां संचालित हो सके। एनसीपीआरई का उद्देश्‍य सौर पीवी को एक किफायती और प्रासंगिक प्रौद्योगिकी विकल्‍प बनाना है।  (PIB) (पसूका विशेष लेख)
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*निदेशक (मीडिया), पत्र सूचना कार्यालय, मुंबई
**मीडिया और संचार अधिकारी (मीडिया), पत्र सूचना कार्यालय, मुंबई


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