Monday, December 24, 2012

सफलता गाथा

21-दिसंबर-2012 16:07 IST
क्रीएटिव एसएचजी–प्रगति और निरंतरता के पथ पर
विशेष लेख                                                                       *सुमन गजमेर
     सिक्किम की ग्रामीण विकास एजेंसी ने जो ग्रामीण प्रबंधन एवं विकास विभाग के अंतर्गत काम करती है, क्रीएटिव स्‍व-सहायता समूह (एसएचजी) नामचेबोंग, पाकयोंग को 16 लाख रूपये की राशि मंजूर की है, ताकि वह एक ग्रामीण विपणन केंद्र की स्‍थापना कर सके।
    क्रीएटिव एसएचजी की स्‍थापना केन्‍द्र प्रायोजित स्‍कीम स्‍वर्ण जयंती ग्रामीण स्‍वरोजगार योजना के अंतर्गत 6 सदस्‍यों के साथ 2010 में की गई थी। यह स्‍व-सहायता समूह नूडल बनाने के काम में लगा हुआ है और आत्‍मनिर्भर बनने की कोशिशें कर रहा है। यह समूह पूर्वी जिले का सबसे सफल स्‍व–सहायता समूह माना जाता है। दार्जिलिंग जिले के कालिमपोंग और आस-पास के क्षेत्र में नूडल उद्योग अच्‍छा चल रहा है। सिक्किम में नूडल उत्‍पादन की अच्‍छी संभावनाएं देखते हुए क्रीएटिव एसएचजी ने इसी क्षेत्र पर अपना ध्‍यान केन्दित किया और विभिन्‍न विचार पाने के उद्देश्‍य से कालिमपोंग और आस-पास के अनेक नूडल उत्‍पादक केन्‍द्रों का दौरा किया। इस स्‍व-सहायता समूह ने कुछ युवा लोगों को इन केन्‍द्रों पर काम करने के लिए भेजा, ताकि वे नूडल बनाने की प्रक्रिया सीख सकें।
    क्रीएटिव एचएचजी तीन प्रकार के नूडल बाजार में उपलब्‍ध कराता है। इनका नाम सिक्किम कंचन प्रोडक्‍ट रखा गया है। तीन प्रकार के नूडल हैं – प्‍लेन, वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन। इस उत्‍पाद के लिए गंगटोक, पाकियोंग, सिंगताम और रांगपो विशेष बाजार हैं। यह समूह सिक्किम के अन्‍य भागों में भी अपना बिक्री जाल फैलाने का लक्ष्‍य बना रहा है।
    12 सदस्‍यों वाले समूह की प्रमुख, लक्ष्‍मी राय ने कहा कि हमने इस काम में कुछ पुरूष सदस्‍यों को शामिल कर लिया है, क्‍योंकि हमें उनकी मदद की जरूरत है। लक्ष्‍मी ने आगे कहा कि हर सदस्‍य की आर्थिक दशा में इस स्‍व-सहायता समूह के गठन के बाद सुधार हुआ है। हर सदस्‍य को मालूम है कि सामूहिक प्रयासों का क्‍या महत्‍व है।
    सिक्किम रूरल एजेंसी के प्रोजेक्‍ट ऑफिसर श्री डी.आर. शर्मा ने कहा कि क्रीएटिव एचएचजी पूर्वी जिले का सर्वश्रेष्‍ठ स्‍व-सहायता समूह है। इस समूह ने सैकेंड ग्रेडिंग पूरा कर लिया है और हमने इसे एक लाख रूपये की सब्सिडी जारी कर दी है। ग्रामीण महिलाओं को इस समूह से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।     यह स्‍व-सहायता समूह अपनी गतिविधियों को उद्यमिता तक ही सीमित नहीं रखता। यह सिक्किम की महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए भी सक्रिय है। इसके द्वारा वह महिलाओं को सशक्‍त बनाना चाहता है। अभी तक इस समूह ने रेनॉक, रोंगली, असम, लिंजी और राज्‍य के अन्‍य भागों में प्रेरणा कार्यक्रम शुरू किये हैं।
    क्रीएटिव एचएचजी अपना तजुर्बा और अपने ज्ञान के लाभ दूसरे वर्तमान स्‍व-सहायता समूहों को भी देता है। उसने पूर्वी जिले के नामचेबोंग, दलपचांग और मचोंग में पहले ही जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये हैं। यह गंगतोक, जोरथांग और राज्‍य के बाहर भी प्रदशर्नियों और बिक्री में नियमित रूप से शामिल होता है। इसके सदस्‍यगण इस स्‍व-सहायता समूह द्वारा तैयार माल सिक्किम से बाहर भी तब ले जाते हैं, जब वे अन्‍य भागों में लगाई गई प्रदशर्नियों में शामिल होने के लिए जाते हैं।                                     (पीआईबी फीचर्स)


*फ्रीलैन्‍स पत्रकार
डिस्‍क्‍लेमर – लेखक फ्रीलैन्‍स पत्रकार हैं और उनके द्वारा इस फीचर में प्रकट किये गये विचार उनके अपने हैं। यह जरूरी नहीं है कि पत्र सूचना कार्यालय उनसे पूरी तरह सहमत हो।

पूरी सूची – 21.12.2012      
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Wednesday, December 19, 2012

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता

इन्हे बस अपने–अपने वोट बैंक की चिंता
Tue, Dec 18, 2012 at 9:03 AM
                      यह तस्वीर समय लाईव से साभार 
राज्यसभा द्वारा सोमवार को भारी बहुमत से 117वाँ संविधान विधयेक के पास होते ही पदोन्नति मे आरक्षण विधेयक के पास होने का रास्ता अब साफ हो गया है. अब यह विधेयक लोकसभा मे पेश किया जायेगा. हलांकि इस विषय के चलते भयंकर सर्दी के बीच इन दिनो राजनैतिक गलियारो का तपमान उबल रहा था. परंतु इस विधेयक के चलते यह भी साफ हो गया कि गठबन्धन की इस राजनीति मे कमजोर केन्द्र पर क्षेत्रिय राजनैतिक दल हावी है. अभी एफडीआई का मामला शांत भी नही हुआ था कि अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये पदोन्नति मे आरक्षण के विषय ने जोर पकड लिया. एफडीआई को लागू करवाने मे सपा और बसपा जैसे दोनो दल सरकार के पक्ष मे खडे होकर बहुत ही अहम भूमिका निभायी थी, परंतु अब यही दोनो दल एक-दूसरे के विरोध मे खडे हो गये है. इन दोनो क्षेत्रीय दलो के ऐसे कृत्यो से यह एक सोचनीय विषय बन गया है कि इनके लिये देश का विकास अब कोई महत्वपूर्ण विषय नही है इन्हे बस अपने – अपने वोट बैंक की चिंता है कि कैसे यह सरकार से दलाली करने की स्थिति मे रहे जिससे उन्हे तत्कालीन सरकार से अनवरत लाभ मिलता रहे.
लेखक राजीव गुप्ता 
2014 मे आम चुनाव को ध्यान मे रखकर सभी दलो के मध्य वोटरो को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. उत्तर प्रदेश के इन दोनो क्षेत्रीय दलो के पास अपना – अपना एक तय वोट बैंक है. एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी पर अपना विरोध प्रकट करते हुए यूपीए सरकार से अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये आरक्षण पर पांचवी बार संविधान संशोधन हेतु विधेयक लाने हेतु सफल दबाव बनाते हुए एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने दलित वोट बैंक को सुदृढीकरण करने का दाँव चला तो दूसरी तरफ सपा ने उसका जोरदार तरीके से विरोध जता करते हुए कांग्रेस और भाजपा के अगडो-पिछडो के वोट बैंक मे सेन्ध लगाने का प्रयास कर रही है.इस विधेयक के विरोध मे उत्तर प्रदेश के लगभग 18 लाख कर्मचारी हडताल पर चले गये तो समर्थन वाले कर्मचारियो ने अपनी – अपनी कार्यावधि बढाकर और अधिक कार्य करने का निश्चय किया. भाजपा के इस संविधान संशोधन के समर्थन की घोषणा करने के साथ ही उत्तर प्रदेश स्थित उसके मुख्यालय पर भी प्रदर्शन होने लगे. सपा सुप्रीमो ने यह कहकर 18 लाख कर्मचारियो की हडताल को सपा-सरकार ने खत्म कराने से मना कर दिया कि यह आग उत्तर प्रदेश से बाहर जायेगी और अब देश के करोडो लोग हडताल करेंगे. दरअसल मुलायम की नजर अब एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने को राष्ट्रीय नेता की छवि बनाने की है क्योंकि वो ऐसे ही किसी मुद्दे की तलाश मे है जिससे उन्हे 2014 के आम चुनाव के बाद किसी तीसरे मोर्चे की अगुआई करने का मौका मिले और वे अधिक से अधिक सीटो पर जीत हासिल कर प्रधानमंत्री बनने का दावा ठोंक सके.

मुलायम को अब पता चल चुका है कि दलित वोट बैंक की नौका पर सवार होकर प्रधानमंत्री के पद की उम्मीदवारी नही ठोंकी जा सकती अत: अब उन्होने अपनी वोट बैंक की रणनीति के अंकगणित मे एक कदम आगे बढते हुए अपने “माई” (मुसलमान-यादव) के साथ-साथ अपने साथ अगडॉ-पिछडो को भी साथ लाने की कोशिशे तेज कर दी है. उनकी सरकार द्वारा नाम बदलने के साथ-साथ कांशीराम जयंती और अम्बेडकर निर्वाण दिवस की छुट्टी निरस्त कर दी जिससे दलित-गैर दलित की खाई को और बढा दिया जा सके परिणामत: वो अपना सियासी लाभ ले सकने मे सफल हो जाये. दरअसल यह वैसे ही है जैसे कि चुनाव के समय बिहार मे नीतिश कुमार ने दलित और महादलित के बीच एक भेद खडा किया था ठीक उसी प्रकार मुलायम भी अब समाज मे दलित-गैर दलित के विभाजन खडा कर अपना राजनैतिक अंकगणित ठीक करना चाहते है.

कांग्रेस ने भी राज्यसभा मे यह विधेयक लाकर अपना राजनैतिक हित तो साधने के कोई कसर नही छोडा क्योंकि उसे पता है कि इस विधेयक के माध्यम से वह उत्तर प्रदेश मे मायावती के दलित वोट बैंक मे सेन्ध लगाने के साथ-साथ पूरे देश के दलित वर्गो को रिझाने मे वह कामयाब हो जायेंगी और उसे उनका वोट मिल सकता है. वही देश के सवर्ण-वर्ग को यह भी दिखाना चाहती है कि वह ऐसा कदम मायावती के दबाव मे आकर उठा रही है, साथ ही एफडीआई के मुद्दे पर बसपा से प्राप्त समर्थन की कीमत चुका कर वह बसपा का मुहँ भी बन्द करना चाहती है. भाजपा के लिये थोडी असमंजस की स्थिति जरूर है परंतु वह भी सावधानी बरतते हुए इस विधेयक मे संशोधन लाकर एक मध्य-मार्ग के विकल्प से अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश मे है. दरअसल सपा-बसपा के बीच की इस लडाई की मुख्य वजह यह है कि जहाँ एक तरफ मायावती अपने को दलितो का मसीहा मानती है दूसरी तरफ मुलायम अपने को पिछ्डो का हितैषी मानते है. मायवती के इस कदम से मुख्य धारा मे शामिल होने का कुछ लोगो को जरूर लाभ मिलेगा परंतु उनके इस कदम से कई गुना लोगो के आगे बढने का अवसर कम होगा जिससे समाजिक समरसता तार-तार होने की पूरी संभावना है परिणामत: समाज मे पारस्परिक विद्वेष की भावना ही बढेगी.

समाज के जातिगत विभेद को खत्म करने के लिये ही अंबेडकर साहब ने संविधान मे जातिगत आरक्षण की व्यवस्था की थी परंतु कालांतर मे उनकी जातिगत आरक्षण की यह व्यवस्था राजनीति की भेंट चढ गयी. 1990 मे मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के निर्णय ने राजनैतिक दलो के राजनैतिक मार्ग को और प्रशस्त किया परिणामत: समूचा उत्तर प्रदेश इन्ही जातीय चुनावी समीकरणो के बीच फंसकर विकास के मार्ग से विमुख हो गया. इन समाजिक - विभेदी नेताओ को अब ध्यान रखना चाहिये कि जातिगत आरक्षण को लेकर आने वाले कुछ दिनो आरक्षण का आधार बदलने की मांग उठने वाली है और जिसका समर्थन देश का हर नागरिक करेगा, क्योंकि जनता अब जातिगत आरक्षण-व्यवस्था से त्रस्त हो चुकी है और वह आर्थिक रूप से कमजोर समाज के व्यक्ति को आरक्षण देने की बात की ही वकालत करेगी.

बहरहाल आरक्षण की इस राजनीति की बिसात पर ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो समय के गर्भ में है, परंतु अब समय आ गया है कि आरक्षण के नाम पर ये राजनैतिक दल अपनी–अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना बंद करे और समाज - उत्थान को ध्यान में रखकर फैसले करे ताकि समाज के किसी भी वर्ग को ये ना लगे कि उनसे उन हक छीना गया है और किसी को ये भी ना लगे कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी उन्हें मुख्य धारा में जगह नहीं मिली है. तब वास्तव में आरक्षण का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा और जिस उद्देश्य को ध्यान मे रखकर संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी वह सार्थक हो पायेगा.      - राजीव गुप्ता(9811558925)

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता

Saturday, December 15, 2012

लोक सभा में प्रश्‍न/उत्‍तर


कल्‍याण योजनाओं में जनजातियों को शामिल करना
       जनजातीय कार्य राज्‍य मंत्री श्रीमती रानी नाराह ने आज लोक सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि विकास योजनाएं चलाने की प्रक्रिया में अनुसूचित जनजातियों की सहभागिता ग्राम सभाओं की भागीदारी के माध्‍यम से सुनिश्चित की गई है, जिसमें से जिला योजना तैयार की जाती है। जनजातीय उप योजना के तहत निधियां आबंटित करनी होती है जो जनजातीयों का तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास करने के लिए जनजातीय उपयोजना तैयार करने हेतु राज्‍यों में कुल जनसंख्‍या की जनजातीय आबादी की प्रतिशतता के कम से कम समान हो। इस संबंध में पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में इस मंत्रालय की अनेक केन्‍द्रीय क्षेत्र योजनाएं, केन्‍द्रीय प्रायोजित योजनाएं तथा विशेष क्षेत्र कार्यक्रम कार्यान्वित किये जा रहे हैं। ये योजनाएं इस प्रकार है:-
क्र.सं.
योजनाओं का नाम
विशेष क्षेत्र कार्यक्रम (एसएपी)
1
जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) को विशेष केन्‍द्रीय सहायता (एससीए)
2
संविधान का अनुच्‍छेद 275 (1)
केन्‍द्रीय क्षेत्र योजनाएं (सीएस)
3
कोचिंग त‍था संबद्ध योजना और अनुकरणीय सेवाओं के लिए अवार्ड सहित अनुसूचित जनजातियों के लिए एनजीओ को सहायता अनुदान
4
जनजातीय क्षेत्रों में व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केन्‍द्र
5
कम साक्षरता वाले जिलों में अनुसूचित जनजातीय लड़कियों की शिक्षा का सुदृढ़ीकरण
6
जनजातीय उपज/उत्‍पादों का विपणन विकास
7
लघु वन उत्‍पाद के लिए राज्‍य जनजातीय विकास सहकारिता निगम को सहायता अनुदान
8
विशेष रूप से कमजोर जनजाति (पीटीजी) का विकास
9
राष्‍ट्रीय/राज्‍य अनुसूचित जनजाति वित्‍त और विकास निगम को समर्थन
10
अनुसूचित जनजाति विद्यार्थियों के लिए राजीव गांधी राष्‍ट्रीय अध्‍येतावृत्ति
11
उत्‍कृष्‍टता वाले संस्‍थानों की योजना/उच्‍च श्रेणी संस्‍थान
12
राष्‍ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति योजना
केन्‍द्रीय प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस)
13
पीएमएस, पुस्‍तक बैंक और अनुसूचित जनजातीय विद्यार्थियों का प्रतिभा उन्‍नयन
14
9वीं तथा 10वीं कक्षाओं में पढ़ने वाले अनुसूचित जनजातीय विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति
15
अनुसूचित जनजातीय लड़कियों तथा लड़कों के लिए छात्रावास योजना
16
आश्रम विद्यालयों की स्‍थापना
17
अनुसंधान सूचना तथा जन शिक्षा, जनजातीय त्‍योहार तथा अन्‍य

***                       (PIB)  14-दिसंबर-2012 19:27 IST

वि.कासोटिया/यादराम/रामकिशन-6123

Saturday, December 1, 2012

चिकित्सा पर्यटन

30-नवंबर-2012 14:05 IST
Courtesy Photo
पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. के. चिरंजीवी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में चिकित्सा पर्यटन का संवर्धन करने के लिए सरकार ने फरवरी, 2009 में अपने क्षेत्राधिकार में चिकित्सा पर्यटन सहित मार्केट विकास सहायता (एडीए) योजना का विस्तार किया है। इस योजना के अंतर्गत, अनुमोदित चिकित्सा पर्यटन सेवा प्रदाताओं अर्थात ज्वायंट कमीशन फॉर इंटरनेशनल एक्रीडिटेड हॉस्पीटल्स (जेसीआई) तथा नेशनल अक्रेडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) के प्रतिनिधियों और पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित और चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सा पर्यटन सुविधा प्रदाताओं (ट्रेवल एजेंटों/टूर ऑपरेटरों) को निधियों की उपलब्धता एवं योजना दिशा-निर्देशों के अनुपालन की शर्त पर वित्तीय सहायता दी जाती है। मार्केट विकास सहायता की नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। तथापि, मंत्रालय ने चिकित्सा पर्यटन पर किसी संगठन/निकाय के साथ कोई करार नहीं किया है। 

पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों और अन्य स्टेकहोल्डरों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मार्केटों में विशिष्ट उत्पाद के रूप में चिकित्सा पर्यटन का संवर्धन करता है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के साथ संभावित मार्किटों में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय यात्रा कार्यक्रमों ओर रोड शो का आयोजन करने सहित चिकित्सा और निरोगता पर्यटन का विशेष संवर्धन भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त, अतुल्य भारत अभियान के माध्यम से भी संवर्धन किया जाता है। (PIB)  
चिकित्सा पर्यटन
मीणा/बिष्ट/शदीद -5656

Wednesday, November 21, 2012

संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर, 2012 से

संसद का शीतकालीन सत्र (15वीं लोकसभा का 12वां सत्र और राज्‍यसभा का 227वां सत्र) बृहस्‍पतिवार, 22 नवंबर 2012 को शुरू हो रहा है। यह सत्र विधायी कार्यों की आवश्‍यकताओं को मद्देनजर रखते हुए 20 दिसंबर, 2012 को समाप्‍त होगा। सत्र 29 दिन चलेगा और इस दौरान 20 बैठकें होंगी। 

सत्र में जरूरी विधायी कार्य किए जाएंगे, जिनमें वित्‍तीय विधायी कार्य, पूरक मांगें और वर्ष 2012-13 के लिए आम बजट के अनुदान शामिल हैं। 

शीतकालीन सत्र 2012 के विधायी कार्यों को अंतिम रूप देने के लिए संसदीय कार्य मंत्री श्री कमलनाथ ने विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों के सचिवों तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ 16 नवंबर, 2012 को एक बैठक की। संसदीय कार्य राज्‍य मंत्रियों ने भी बैठक में हिस्‍सा लिया। श्री कमलनाथ ने इस संबंध में प्रेस सम्‍मेलन को भी संबोधित किया। उन्‍होंने कहा कि सरकार संसद के आगामी सत्र के दौरान विधायी कार्यों पर राजनीतिक सहमति बनाने का प्रयास करेगी। (PIB)
20-नवंबर-2012 19:19 IST
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Sunday, October 28, 2012

केरल में जेलों के लिए सौर-ऊर्जा का उपयोग


26-अक्टूबर-2012 12:15 IST
विशेष लेख                                                                                               जैकब अब्राहम
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केंद्रीय जेल, तिरूवनंतपुरम स्‍वच्‍छ और नवीकरणीय सौर-ऊर्जा पर पूरी तरह निर्भर रहने वाली देश की पहली जेल बन गई है। तिरूवनंतपुरम में पूजापुरा स्थित इस केंद्रीय जेल में 7.9 करोड़ रूपये की लागत से सौर-ऊर्जा परियोजना स्‍थापित की गई है। जेल के विभिन्‍न ब्‍लॉकों की स्‍ट्रीट-लाइट और पंखे, खाना बनाने, चपाती बनाने और पानी के लिए पंप चलाने से संबंधित कार्य सौर-ऊर्जा से किये जायेंगे। इस परियोजना द्वारा लगभग 229 किलोवॉट बिजली का उत्‍पादन होगा।
     इस परियोजना से बिजली की खपत में काफी कमी आयेगी जिससे जेल विभाग को राहत मिलेगी। केरल राज्‍य बिजली बोर्ड ने पिछले वर्ष इस केंद्रीय जेल से 1.27 करोड़ रूपये का भुगतान लिया है। बिजली की दरें बढ़ने से यह राशि 2 करोड़ प्रतिवर्ष हो जायेगी। सौर बिजली के पारगमन से 24 घंटे बिजली की आपूर्ति और 12 घंटे का बैकअप सुनिश्चित किया जा सकेगा। राज्‍य के अपर महानिदेशक (जेल) के अनुसार सौर बिजली परियोजनाएं राज्‍य की सभी जेलों में स्‍थापित की जायेंगी, जिसके लिए 25.56 करोड़ रूपये की राशि निर्धारित की गई है। 13वें वित्‍त आयोग ने राज्‍य में जेलों के आधुनिकीकरण के लिए 154 करोड़ रूपये आवंटित किये थे। इसमें से 14.79 करोड़ रूपये केंद्रीय जेल पूजापुरा के विकास कार्यक्रमों के लिए रखे गये हैं।
     24 घंटे बिजली की आपूर्ति और 12 घंटे के बेकअप से केंद्रीय जेल की सुरक्षा व्‍यवस्‍था में मजबूती आई है। जेलों से कैदियों के फरार होने की अधिकांश घटनायें बिजली की कटौती के दौरान हुई है। सोलर-ऊर्जा के पारगमन से यह समस्‍या पूरी तरह समाप्‍त हो गई है।
     केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस परियोजना की कार्यान्‍व्‍यन लागत का 30 प्रतिशत अनुदान उपलब्‍ध करायेगा और इतना ही अनुदान गैर-परंपरागत ऊर्जा एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी (एएनईआरटी) के लिए राज्‍य की एजेंसी द्वारा उपलब्‍ध कराया जायेगा। केरल वर्तमान में बिजली की कमी का सामना कर रहा है और सरकार ने राज्‍य में प्रतिदिन 1 घंटा बिजली कटौती लागू कर रखी है। वर्ष 2020 तक राज्‍य की बिजली की आवश्‍यकता बढ़कर 6,000 मेगावाट हो जायेगी, जबकि वर्तमान बिजली उत्‍पादन इससे बहुत कम है।
     इन पहलुओं को ध्‍यान मे रखते हुए राज्‍य बडे स्‍तर पर सौर-ऊर्जा को उपयोग में लाने की योजना बना रहा है। सरकार ने राज्‍य में 10,000 घरों की छतों पर सोलर पैनल स्‍थापित करने के लिए एक पायलट योजना लागू करने का निर्णय लिया है। यह‍ सोलर पैनल 1 किलोवाट क्षमता के होंगे जिनसे उत्‍पादित बिजली को 1 बैटरी में संचित कर लिया जायेगा और इसका घर में लगे विद्युत उपकरणों को चलाने में उपयोग किया जा सकेगा। इस परियोजना से प्रत्‍येक वर्ष 10 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन करने में मदद मिलेगी। राज्‍य के विद्युत मंत्री श्री अर्यादान मोहम्‍मद ने कहा कि सफल होने पर इस परियोजना का अधिक से अधिक घरों में विस्‍तार किया जायेगा।
केरल में जेलों के लिए सौर-ऊर्जा का उपयोग
मीणा/इंद्रपाल/चंद्रकला-273

Wednesday, October 17, 2012

आवाज की रफ्तार से तेज़

17-अक्टूबर-2012 14:41 IST
विशेष लेख                                                                                            विज्ञान
उसकी स्थिति, मनुष्‍यों के लिए बल्‍लेबाज होने अथवा सुपरमैन होने के लगभग जैसी है। उन्‍होंने कार्बन फाइबर के पंखों की सहायता से क्‍वालालम्‍पुर में पेट्रोनस टॉवर से छलांग लगायी है, और यहां तक की इंग्लिश चैनल को उड़कर पार किया है। आकाश में गोता लगाने वाले ऑस्ट्रिया के नागरिक निर्भीक फैलिक्‍स से मिलिए, जिन्‍होंने हाल ही में आवाज की गति को मात करने वाले प्रथम पुरूष बनने का विश्‍व रिकॉर्ड बनाया है।
 जैसा कि विश्‍व के लाखों लोगों ने गोल नीली पृथ्‍वी के दृश्‍य का अनुभव किया, जो रेड बुल स्‍ट्राटोस मिशन के कैप्‍सूल के कैमरे द्वारा लिये गये चित्र के अनुसार अंतरिक्ष की कालिमा से घिरी हुई है, फैलिक्‍स बॉमर्टनर ने अपने पैराशूट की सहायता से शून्‍य में छलांग लगायी और न्‍यू मैक्सिको के मरूस्‍थल में सुरक्षित उतरने से पहले 1342 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति पर चार मिनट से अधिक समय तक तेजी से नीचे गिरे।
 उन्‍होंने वायुसेना के सेवानिवृत्‍त कर्नल जो किटिंगर, जो अब 84 वर्ष के हैं, द्वारा अर्द्ध शताब्‍दी पहले स्‍थापित ऊंचाई और गति के रिकॉर्ड तोड़े। किटिंगर ने रोज़वैल मिशन के नियंत्रण कक्ष से तनावपूर्ण क्षणों में फैलिक्‍स मार्गदर्शन किया। फैलिक्‍स ने अपनी ऐतिहासिक छलांग के दौरान विश्‍व के चार नये रिकॉर्डों में से तीन रिकॉर्ड बनाये।
1.      39.04 किलोमीटर की सर्वाधिक ऊँचाई पर पहुंचना।
2.      1342.08 किलोमीटर प्रति घंटे की सर्वाधिक गति, जो 1.24 मैश के बराबर है।
3.      कुल 36,529 मीटर की ऊँचाई से कूदना।
वे सबसे लंबी अवधि तक गिरने का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाये। उनकी छलांग की अवधि 4 मिनट 20 सैंकंड थी, जो उनके पथ प्रदर्शक, जो किटिंगर के वर्तमान विश्‍व रिकॉर्ड से 16 सैंकंड कम था।
    फैलिक्‍स ने अपने मिशन के दौरान संवाददाता सम्‍मेलन में कहा ‘यह जैसा कि मैने अपेक्षा की थी, उससे भी मुश्किल था। मुझ पर विश्‍वास कीजिए, जब आप विश्‍व के शिखर पर खड़े होते हैं, तो अत्यधिक विन्रम हो जाते हैं। यह रिकॉर्ड तोड़ने के बारे में नहीं है। यह वैज्ञानिक आंकड़े प्राप्‍त करने के बारे में नहीं है। यह सब तो घर लौटने के बारे में है।
रेड बुल स्‍ट्राटोस मिशन
   सेल्‍ज़बर्ग में जन्‍मे 43 वर्षीय फैलिक्‍स बॉमगार्टनरका नासा जैसा मिशन नियंत्रण कक्ष
बनाकर रेड बुल स्‍ट्राटोस ने मदद की। न्‍यू मैक्सिको के शहर रोजवैल स्थित इस मिशन
नियंत्रण कक्ष में 70 से अधिक इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और चिकित्‍सकों सहित 300 से अधिक लोगों ने काम किया। 
  यह मात्र अत्‍यधिक साहसिक खेल जैसा मिशन नहीं था। रिकॉर्ड बनाने के अलावा रेड बुल स्‍ट्राटोस दल के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों का उद्देश्‍य ऐसे आंकड़े एकत्र करना था जो भविष्‍य में पायलटों, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष पर्यटकों को कूदकर जान बचाने में सहायक होंगे। इस मिशन का उद्देश्‍य नये अंतरिक्ष सूटों का परीक्षण करना, अत्‍यधिक ऊँचाई पर एकदम प्रेशर कम हो जाने पर बचाव संबंधी नवाचार भी था। इससे बढ़कर प्रत्‍येक व्‍यक्ति यह भी जानना चाहता था कि जब आवाज की गति से तेजी से गिरने का मानव शरीर पर क्‍या असर पड़ता है।
आवाज की गति से अधिक तेजी से गिरने के मिशन के बारे में जनवरी 2010 में घोषणा की गई थी और यह मिशन ऊर्जा पेय कंपनी-रेड बुल द्वारा प्रायोजित किया गया था। यह निर्णय किया गया कि फैलिक्‍स बॉमगार्टनर 36 हजार फुट की ऊँचाई से छलांग लगाएंगे और इस प्रकार आवाज की गति को तोड़ने वाले वे पहले पैराशूट धारक बन जाएंगे। यह संभव होगा। आकाश में ऊँचाई से छलांग लगाने की सामान्‍य गति लगभग 320 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
तैयारी की अवधि बड़ी दुष्‍कर थी। हालांकि फैलिक्‍स को इमारतों और पुलों के ऊपर से छलांग लगाने और इंग्लिश चैनल के ऊपर उड़ान भरने में कोई कठिनाई नहीं थी, लेकिन उन्‍होंने उस समय मानसिक रूप से कठिनाई महसूस की, जब उन्‍हें दाबानुकूलित (प्रेसुराइज्‍ड) सूट और हेलमेट पहनकर विवश होना पडा। सन् 2010 में एक समय सहनशीलता परीक्षण से गुजरने की बजाय वे हवाई अड्डे पर गये और अमरीका जा रहे विमान पर सवार हो गये। बाद में उन्‍होंने एक खेल मनोवैज्ञानिक और अन्‍य विशेषज्ञों की सहायता से क्लॉस्ट्रफोबिया से निपटने की तकनीक सीखी।
छलांग
 कार्यक्रम के अनुसार फैलिक्‍स को 9 अक्‍टूबर, 2012 को सवेरे छलांग लगानी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण मिशन में देरी हो गयी। प्रक्षेपण स्‍थल पर तकनीशियनों ने यह भी देखा कि कैप्‍सूल का एक संचार रेडियो दोषपूर्ण है, इस कारण विवश होकर प्रक्षेपण के समय में परिवर्तन करना पडा।
 अंतत: मिशन रविवार 14 अक्‍टूबर, 2012 को सवेरे 9.30 बजे साफ मौसम में और हवा के 5.5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर चलने पर आरंभ किया गया। उस समय पृथ्‍वी का तापमान 14 डिग्री सेल्सियस था। फैलिक्‍स बॉमगार्टनर के हीलियम गुब्‍बारे से जुड़े विशेष रूप से तैयार कैप्‍सूल को आवश्‍यक ऊँचाई तक पहुंचने में लगभग 2.5 घंटे लगे।
 आर्मस्‍ट्रांग सीमा पार करने के तत्‍काल बाद स्थिति कुछ कठिन हो गयी और फैलिक्‍स के वाइजर में कुछ खराबी आ गई। आर्मस्‍ट्रांग सीमा वह ऊँचाई है जहां पहुंचने पर वातावरणीय दबाव इतना कम हो जाता है कि मानव शरीर जैसे सामान्‍य तापमान पर भी पानी उबलने लगता है। इस सीमा के बाद मनुष्‍य बिना प्रेशर वाला माहौल में जीवित नहीं रह सकता।

  फैलिक्‍स ने जो तरीके अपनाए उनमें से एक था कि उन्‍होंने ऊपर की उड़ान के दौरान अपने
आपको व्‍यस्‍त रखा। वे रोजवैल नियंत्रण कक्ष में श्री किटिंगर के साथ लगातार बातचीत कर रहे और 40 वस्‍तुओं की सूची पढ़ते रहे तथ अपनी हर चाल दोहराते रहे, जो वे कैप्‍सूल से अलग होने के समय करेंगे।
 जब निश्चित समय आया तो श्री किटिंगर ने फैलिक्‍स से कहा, ‘हां, बाहरी पायदान पर कदम रखो। कैमरे चालू करो। और अब परमात्‍मा तुम्‍हारी रक्षा करेंगे।‘ ये वास्‍तव में दैवी शब्‍द थे।
 फैलिक्‍स ने छलांग लगायी और एक संदेश दिया जो रेडियो तंरगों द्वारा ग्रहण किया गया। बाद में उन्‍होने अपने संदेश को दोहराते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि समूचा विश्‍व देख रहा है और मैं कामना करता हूं कि जो मैं देख रहा हूं उसे समूचा विश्‍व देखे। यह जानने के लिए कि वास्‍तव में आप कितने छोटे हैं, कभी-कभी आपको वास्‍तव में ऊँचा जाना पड़ता है..........मैं अब घर आ रहा हूं।‘
 बामगार्टनर ने नमस्‍कार किया और स्‍थानीय समय के अनुसार 12.08 बजे आगे छलांग लगायी। छलांग लगाने के 42 सैकंड बाद फैलिक्‍स 1,342 किलोमीटर प्रति घंटे (834 मील प्रति घंटे) की सर्वाधिक गति पर पहुंच गये । दो मिनट में ही उन्‍होंने अपनी शरीर का नियंत्रण खो दिया और उनका शरीर बेकाबू होकर घूमने लगा। नियंत्रण कक्ष में वे चिंताजनक क्षण थे क्‍योंकि यदि स्थिति पर जल्‍दी काबू नहीं पाया गया तो वह घातक सिद्ध हो सकता था और फैलिक्‍स की आंखों से खून निकल पड़ता। 
 सौभाग्‍य की बात है कि फैलिक्‍स ने स्थिति संभाल ली। उनके पास एक अबोर्ट स्विच था जिसे दबाकर वे ड्रोग पैराशूट को खोल सकते थे जिससे शरीर का चक्‍कर खाना रूक सकता था, लेकिन इससे उसकी गति के रिकॉर्ड में बाधा आ सकती थी।
 फैलिक्‍स यह नहीं बता सके कि आवाज से तेज रफ्तार से गिरने पर उन्‍होंने कैसा महसूस किया। उन्‍होंने कहा कि दाबानुकूलित (प्रेसुराइज्‍ड) अंतरिक्ष सूट के कारण वे सुपरसोनिक बूम का अनुभव नहीं कर पाये। कैप्‍सूल से छलांग लगाने के 11 मिनट बाद बामगार्टनर पूर्वी न्‍यू मैक्सिको में सफलतापूर्वक उतर गये।
 श्री किटिंगर ने कहा कि फैलिक्‍स ने यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्‍य सर्वाधिक ऊँचाई से गिरने पर भी बच सकता है। भावी अंतरिक्ष यात्री उस अंतरिक्ष सूट को पहनेंगे जिसे फैलिक्‍स ने आज छलांग लगाते समय पहना था।
 रेड बुल स्‍ट्रैटोस ने अपनी बेवसाइट पर घोषणा की ‘मिशन सफल रहा’

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मीणा/क्‍वात्रा/शुक्‍ल/मधुप्रभा–268

Monday, October 8, 2012

केबल सेट टॉप बॉक्स द्वारा बिजली की खपत

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण
पिछले दिनों कुछ समाचारपत्रों में छपा है कि केबल टीवी के डिजिटीकरण से सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) के जरिए बिजली की खपत काफी बढ़ जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया है कि यह खबर गलत है कि एसटीबी की बिजली की खपत 20 वाट है। मल्टी सिस्टम और स्थानीय केबल ऑपरेटरों द्वारा एसटीबी के कई तरह के मेक और मॉडल सप्लाई किए जाते हैं। अलग-अलग किस्मों के केबल एसटीबी की बिजली की खपत के आंकड़े नीचे तालिका में दिए गए हैं, जिनसे पता चलता है केबल एसटीबी इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता करीब आठ वाट बिजली खर्च करते हैं, जो सीएफएल की खपत से भी कम है।
तालिका 1- विभिन्न मेकों के केबल एसटीबी की बिजली खपत की दरें
एसटीबी मेक एवं मॉडल
बिजली खपत  (वाट)
चालू स्थिति
प्रतीक्षा स्थिति
डेन एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स
स्काईवर्थ 7000
8
7
स्काईवर्थ 7600
8
7
स्काईवर्थ 7631
8
7
डिजिकेबल
इंडियोन एलडीसीए 1000
5.4
4.5
चांगहोंग C8899C0
7.5
6.9
स्काईवर्थ C371N EN
10
8
आईएमसीएल
एसडी एसटीबी
12
10
मॉयबॉक्स
7.5
6.9
हैथवे डेटाकॉम
स्काईवर्थ 9000
8
7
हुमा एनडी-1200C
15
5
डब्ल्यूडब्ल्यूआईएल
हेंडोन 1002C
6.5
5.8
हेंडोन 1041C
6.5
5.8
एरियोन 5012S
7.5
6.9
चांगहोंग C8899C0
7.5
6.9
मॉयबॉक्स
7.5
6.9
स्रोतः विनिर्माताओं के उत्पादों के विवरण से प्राप्त
विभिन्न घरेलू बिजली उपकरणों द्वारा बिजली की खपत की दरें नीचे तालिका 2 में दर्शायी गई हैं।
तालिका 2- विभिन्न मेकों के केबल एसटीबी की बिजली खपत की दरें
उपभोक्ता उपकरण
मॉडल
बिजली खपत (वॉट)
फ्रिज
210 लीटर
270
कूलर (डेजर्ट)
बजाज DC 2012
200
टेलीविजन
सोनी  KV-SZ292M88 CRT - 29”
138
टेलीविजन
एलजी  14D7RBA CRT
80
टेलीविजन
सोनी  KLV 20S400A LCD
60
टेलीविजन
सोनी  KDL 26EX550 LCD
50
पंखा
क्रॉम्पटन ग्रीव्ज – 56”
80
पंखा
ओरियंट 32 – टेबल पंखा
70
पीसी (कंप्यूटर)
एचपी V185E
60
पीसी (कंप्यूटर)
मॉनीटर – 17”
80
लाइट
बल्ब इनकेंडिसेंट
100
डीवीडी प्लेयर
सोनी BDP S350
26
लाइट
फ्लोरेसेंट ट्यूब
50
लाइट
सीएफएल
10
एसटीबी
केबल टीवी के लिए औसत
8
स्रोतः विनिर्माताओं के उत्पादों और एनपीसीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण
जैसा कि उपरोक्त तालिका से पता चलता है कि  टेलीविजन,पंखें और ट्यूबलाइटें 60-60 वाट की बिजली की खपत करती हैं,जबकि एसटीबी की खपत 8 वाट है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति एक घंटे तक टेलीविजन देखता है और एक कमरे मे एक पंखा और एक ट्यूबलाइट भी चलाता है तो इन उपकरणों द्वारा एक घंटे में बिजली की खपत एसटीबी की खपत से ज्यादा होगी, चाहे उसे 24 घंटे तक क्यों न चलाया जाए। दूसरे शब्दों में एसटीबी की खपत 1 दिन में 1/5 यूनिट है जबकि एक पंखे, एक टेलीविजन और एक ट्यूबलाइट की खपत 1.5 यूनिट है। इसी प्रकार घरेलू फ्रिज की खपत रोजाना औसतन 4-5 यूनिट है, जो एसटीबी की एक दिन की खपत के 20 गुना से भी ज्यादा है। इस प्रकार केबल एसटीबी की खपत महीने में 5-6 यूनिट बैठती है और अन्य बिजली उपकरणों के मुकाबले बहुत मामूली है।
डिजिटिकरण से उपभोक्ताओं को तस्वीर और आवाज की बेहतर क्वालिटी मिलेगी और चैनल चुनने की आजादी होगी। फिल्म और गेम आदि भी अपनी पसंद के मांगे जा सकेंगे और यह सब बिजली की मामूली खपत पर ही उपलब्ध होंगे।
आमतौर पर घरों में एसटीबी स्विच ऑफ नहीं किए जाते है। जब टीवी नहीं देखा जा रहा होता, तब भी एसटीबी को प्रतीक्षा स्थिति में रखा जाता है, ताकि ऑफ होने के बाद एसटीबी को फिर से शुरू करने में और समय न लगे। प्रतीक्षा स्थिति में एसटीबी के ऑन रहने के बिजली की खपत और भी कम होती है।(PIB)  (08-अक्टूबर-2012 15:17 IST)

मीणा/राजगोपाल/अर्जुन- 4825