Thursday, August 28, 2014

प्रधानमंत्री जन धन योजना: ‘सबका साथ सबका विकास’ की ओर कदम

28-अगस्त-2014 19:47 IST
PIB फीचर     पीएमजेडीवाई-सबका साथ सबका विकास                         -डॉ. एच. आर. केशवमूर्ति
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 28 अगस्त, 2014 को नई दिल्ली में 'प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पी.एम.जे.डी.वाई)' का शुभारंभ करते हुए। साथ में हैं केंद्रीय वित्त, कारपोरेट मामलों और रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली, वाणिज्य एवं उद्योग (स्वतंत्र प्रभार), वित्त और कारपोरेट मामलों की राज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव श्री नृपेन्द्र मिश्रा, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री रघुराम राजन और अन्य गणमान्य व्यक्ति। (पसूका-हिंदी इकाई)
The Prime Minister, Shri Narendra Modi launching the ‘Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana (PMJDY)’, in New Delhi on August 28, 2014. The Union Minister for Finance, Corporate Affairs and Defence, Shri Arun Jaitley, the Minister of State for Commerce & Industry (Independent Charge), Finance and Corporate Affairs, Smt. Nirmala Sitharaman, the Principal Secretary to Prime Minister, Shri Nripendra Misra, the Governor of Reserve Bank of India, Shri Raghuram Rajan and other dignitaries are also seen.
भारत के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्‍त 2014 को अपने प्रथम स्‍वतंत्रता दिवस संबोधन में ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ नामक वित्‍तीय समावेश पर राष्‍ट्रीय मिशन की घोषणा की थी। एक पखवाड़े से कम समय में देश इस विशाल योजना को लागू करने के लिए तैयार हुआ और प्रधानमंत्री ने स्‍वयं नई दिल्‍ली में इस योजना की शुरूआत की। राज्‍यों की राजधानियों तथा सभी जिला मुख्‍यालयों में एक साथ समारोह आयोजित कर योजना प्रारंभ की गई। बैंकों की शाखाओं ने पूरे देश में शिविरों का आयोजन किया।
यह योजना क्‍या है और यह पहले की योजनाओं से कैसे भिन्‍न है..........
’प्रधानमंत्री धन जन योजना’ की परिकल्‍पना वित्‍तीय समावेश पर राष्‍ट्रीय मिशन के रूप में की गई है। इसका उद्देश्‍य देश के प्रत्‍येक परिवार को बैंकिंग सुविधा के दायरे में लाना और प्रत्‍येक परिवार के लिए बैंक खाता खोलना है। वित्‍तीय समावेश यह समावेशी वित्‍त समाज के वंचित तथा निम्‍न आय वर्ग  के लोगों वहन करने योग्‍य लागत पर वित्‍तीय सेवाएं देना है। यह वित्‍तीय अलगाव की उस अवधारणा के उलट है जिसमें सेवा उपलब्‍ध नहीं होते यह सेवा वहन करने योग्‍य मूल्‍य पर नहीं मिलती। यह कहा जाता है कि बैंकिंग सेवाओं का स्‍वभाव जन उत्‍पाद है पूरी आबादी को बिना किसी भेदभाव के  बैंकिंग तथा भुगतान सेवाएं देना लोक नीति में वित्‍तीय समावेश का उद्देश्‍य है। बैंक खाता होने से प्रत्‍येक परिवार की पहुंच बैंकिंग तथा ऋण सुविधा तक होती है इससे परिवार के लोग कर्जदारों के चंगुल से बाहर आते हैं, आपात स्‍थिति के कारण वित्‍तीय संकट को दूर रख पाते हैं। और विभिन्‍न प्रकार के वित्‍तीय उत्‍पादों/लाभों का फल उठाते हैं। प्रधानमंत्री ने सभी बैंक अधिकारियों को भेजे ई-मेल में इसे इस कार्य को विशाल बताते हुए उन्‍होंने सात करोड़ परिवारों को शामिल करने तथा उनका बैंक खाता खोलने की आवश्‍यकता पर जोर दिया, क्‍योंकि बैंक खाते के अभाव में सभी की विकास गतिविधियां ठप रही।
देश में वित्‍तीय समावेश की वर्तमान स्थिति :
   वित्‍तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक/भारत सरकार ने अनेक प्रयास किये हैं। इनमें बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण, बैंक शाखा नेटवर्क का विस्‍तार, सहकारी तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्‍थापना और उनका विस्‍तार, पीएस उधारी व्‍यवस्‍था लागू करना, लीड बैंक योजना स्‍वयं सहायता समुह का गठन तथा राज्‍य विशेष दृष्टि से एसएलबीसी द्वारा सरकार प्रायोजित योजनाओं को विकसित करना शामिल है। 2005-06 के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को सलाह दी कि वे अपनी नीतियों को वित्‍तीय समावेश के उद्देश्‍य से जोड़े। अधिक वित्‍तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिए तथा बैंकिग पहुंच बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया कि ‘कारोबारी सहायक तथा कारोबारी प्रतिनिधि मॉडल‘ के जरिये वित्‍तीय तथा बैंकिंग सेवाएं उपलब्‍ध कराने में बिचौलियों के रूप में स्‍वयं सेवी संगठनों/स्‍वयं सहायता समूहों, एमएफआई तथा अन्‍य सिविल सोसायटी संगठनों की सेवाओं का उपयोग किया जाये।

लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 24.67 करोड़ परिवारों में से 14.48 करोड़ परिवारों (58.7 प्रतिशत) वित्‍तीय सेवाएं मिलती हैं। 16.78 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 9.14 करोड़ (54.46 प्रतिशत) परिवार बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। 7.89 करोड़ शहरी परिवारों में से 5.34 करोड़ (67.68 प्रतिशत) परिवारों बैंकिंग सेवा मिल रही हैं। वर्ष 2011 में बैंकों ने 2000 से अधिक आबादी वाले (2001 की जनगणना के अनुसार) 74,351 गांवों को कारोबारी प्रतिनिधियों के जरिये स्‍वाभिमान अभियान के तहत कवर किया। लेकिन इस कार्यक्रम का सीमित प्रभाव पड़ा।

     31.03.2014 को वर्तमान बैंकिंग नेटवर्क में 1,15,082 शाखाएं हैं और 1,60,055 एटीएम नेटवर्क हैं। इनमें से 43 हजार 962 शाखाएं (38.2 प्रतिशत) तथा 23,334 एटीएम (14.58 प्रतिशत) ग्रामीण इलाकों में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 1.4 लाख कारोबारी प्रतिनिधि हैं। ये कारोबारी प्रतिनिधि बैंकों के प्रतिनिधि होते हैं और बुनियादी बैंकिंग सेवाएं जैसे- बैंक खाता खोलना, नकद जमा, रकम निकासी, धन अंतरण, बैलेंस की जानकारी तथा मिनी स्‍टेटमेंट देते हैं। लेकिन वास्‍तविक जमीनी अनुभव से यह प्रतीत होता है कि अनेक कारोबारी प्रति‍निधि कार्यरत नहीं हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अनुमान व्‍यक्‍त किया है कि 31.05.2014 तक 13.14 करोड़ ग्रामीण परिवार को कवर करने की जिम्‍मेदारी उन्‍हें मिली थी और इसमें से 7.22 करोड़ परिवारों को कवर किया गया है (5.94 करोड़ कवर नहीं किये गये)। अनुमान है कि ग्रामीण क्षेत्र के छह करोड़ परिवार तथा शहरी क्षेत्र के 1.5 करोड़  परिवारों को कवर किये जाने की जरूरत हैं।
पीएमजेडीवाई
पीएमजेडीवाई के लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के 6 मुख्‍य स्‍तंभ निर्धारित किये गये हैं। पहले चरण (15 अगस्‍त, 2014 से 14 अगस्‍त 2015) में पहले वर्ष के क्रियान्‍वयन के तहत तीन मुख्‍य स्‍तंभ हैं।
1.      बैंकिंग सुविधाओं तक सब की पहुंच सुनिश्चित करना।  
2.      वित्‍तीय साक्षरता कार्यक्रम   
3.      6 महीने बाद रुपये 5000 की ओवर ड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बैंक खाते और एक लाख रूप्‍ये के अंतर्निहित दुर्घटना बीमा कवर के साथ रुपया डेबिट कार्ड और रु-पे किसान कार्ड सुविधा प्रदान करना।
दूसरे चरण (15 अगस्‍त, 2015 से 15 अगस्‍त, 2018) में भी तीन लक्ष्‍य रखे गए हैं
1.       ओवर ड्राफ्ट खातों में चूक कवर करने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की स्‍थापना।
2.       सूक्ष्‍म बीमा
3.       स्‍वावलम्‍बन जैसी असंगठित क्षेत्र बीमा योजना।

इसके अतिरिक्‍त इस चरण में पर्वतीय, जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं, इस चरण में परिवार के शेष व्‍यस्‍क सदस्‍यों और विद्यार्थियों पर भी ध्‍यान केन्द्रित किया जाएगा।

  योजना की कार्यान्‍वयन नीति यह है कि वर्तमान बैंकिंग ढांचे का उपायोग करते हुए सभी परिवारों को कवर करते हुए इसका लाभ पहुंचाया जा सके। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में अब तक कवर नहीं हुए परिवारों के बैंक खाते खोलने के लिए वर्तमान बैंकिंग नेटवर्क को भलीभांति तैयार किया जाना है। विस्‍तार कार्य के अंतर्गत 50000 अतिरिक्‍त व्‍यापार प्रतिनिधियों की व्‍यवस्‍था, 7000 से अधिक शाखाओं और 2000 अधिक नये एटीएम भी पहले चरण में स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव है। पिछले अनुभवों के आधार पर देखा गया है कि सुप्‍त खातों पर बैंकों की लागत अधिक आती है और लाभार्थियों को कोई लाभ नहीं होता। इस तरह बड़ी संख्‍या में खोले गए खातों के सुपत पड़े रहने के पिछले अनुभवों से सीखे लेते हुए व्‍यापक योजना जरूरी है। अतः नए कार्यक्रम में सभी सरकारी लाभों (केंद्र/राज्य/स्थानीय निकाय) को बैंकों के जरिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के तहत लाने का प्रस्ताव है। इसके अंतर्गत एलपीजी योजना में डीबीटी फिर शामिल की जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रायोजित महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम को भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना में शामिल किए जाने की संभावना है। योजना के कार्यान्वयन में विभाग की सहायता के लिए एक परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता/समूह की सेवाएं ली जाएंगी। यह भी प्रस्ताव है कि कार्यक्रम को दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर और प्रत्येक राज्य की राजधानी तथा सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ शुरू किया जाए। कार्यक्रम की प्रगति की रिपोर्टिंग/निगरानी के लिए एक वेब पोर्टल भी स्थापित किया जाएगा। विभिन्न पक्षों जैसे केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के विभागों, रिजर्व बैंक, नाबार्ड, एनपीसीआई और अन्य की भूमिकाओं को परिभाषित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों के व्यापार प्रतिनिधियों के रूप में ग्राम दल सेवकों की नियुक्ति का प्रस्ताव है। दूर संचार विभाग से अनुरोध किया गया है कि वह कनेक्टिविटी कम होने या न होने की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करे। उन्होंने सूचित किया है कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश के 5.93 लाख गांवों में से करीब 50000 दूर संचार सम्पर्क के अंतर्गत कवर नहीं किए गए हैं।

  सरकार के वित्‍तीय समावेशन के इस प्रयास में एक अलग बात यह है कि पहले जहां गांवों को लक्ष्‍य बनाकर योजना शुरू की जाती थी, वहीं इस बार प्रत्‍येक परिवार को लक्ष्‍य बनाया गया है। पहले केवल ग्रामीण क्षेत्रों को लक्ष्‍य के रूप में लिया जाता था, लेकिन इस बार ग्रामीण और शहीरी दोनों क्षेत्रों को शामिल किया गया। वर्तमान योजना में वित्‍त मंत्री की अध्‍यक्षता में निगरानी पर विशेष जोर देना और डिजिटल वित्‍तीय समावेशन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

  जहां एक ओर योजना के शुभारंभ पर वित्‍तीय समावेशन नाम की एक फिल्‍म के प्रदर्शन और वित्‍तीय समावेशन पर मिशन दस्‍तावेज जारी किए जाने से जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलना सुनिश्चित है, वहीं एकाउंट आपनिंग किट और बेसिक मोबाइल फोन पर मोबाइल बैंकिंग सुविधा दिए जाने से सरकार का रूख बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट हो जाता है कि वह वित्‍तीय अलगाव की परम्‍परा का अंत करते हुए अब लोगों के लिए शासन के एक नये अध्‍याय की शुरूआत करना चाहती है। प्रधानमंत्री के अपने शब्‍दों में '' प्रधानमंत्री जन-धन योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य सरकार के विकास दर्शन- यानी सबका साथ, सबका विकास'' है।

*डॉक्‍टर एच आर केशवमूर्ति, (मीडिया एवं संचार) पीआईबी कोलकाता में निदेशक हैं।         (पीआईबी फीचर)

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Tuesday, October 8, 2013

तेजी से बढ़ते शहरीकरण की चुनौति‍यों का सामना

07-अक्टूबर-2013 18:42 IST
समावेशी शहरी योजना की आवश्‍यकता- डॉ. गि‍रि‍जा व्यास
नई दिल्ली: 7 अक्टूबर 2013: (पीआईबी):केन्‍द्रीय शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्री डॉ. गि‍रि‍जा व्‍यास ने कहा है कि‍शहरी योजना और डि‍जाइन का कार्य सि‍र्फ परि‍वहन और बुनि‍यादी सुवि‍धाओं को बढ़ाने के बजाए इस बात केंद्रि‍त होना चाहि‍ए कि किस प्रकार लोगों और स्‍थानों को एक-दूसरे के साथ जोडा जाय ताकि शि‍क्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, वाणि‍ज्‍य और कृषि‍के क्षेत्र में लोगों को अच्छे अवसर मिल सके। श्रीमती व्‍यास आज वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस, 2013 के अवसर पर आयोजि‍त एक समारोह में बोल रही थीं। समारोह में संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रति‍नि‍धि‍यों के अलावा शहरी गरीबी उन्‍मूलन और आवास एवं शहरी वि‍कास नि‍गम (हुडको) मंत्रालय के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारि‍यों ने भी भाग लि‍या। 

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए हर साल अक्‍टूबर के पहले सोमवार को नामि‍त कि‍या है। इस साल यह 7 अक्‍टूबर, 2013 को मनाया गया। वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस का उद्देश्‍य हमारे शहरों और कस्‍बों में आश्रय को सभी के लि‍‍ए बुनियादी अधि‍कार के रुप में प्रति‍बिंबि‍त करना है। यह हमें याद दि‍लाता है कि‍भवि‍ष्‍य शहरों और कस्‍बों के आकार की जि‍म्‍मेदारी हमारी होगी। इस साल संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने इसका मूल विषय 'शहरी आवागमन' को चुना है क्‍योंकि‍आवागमन माल और सेवाओं तक और पहुंच शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। सभा की पहुँच वाले शहर यातायात के सतत साधनों को प्रोत्‍साहि‍त करते हैं, ताकि लोग अपने वाहनों को छोडकर जन परिवहन के साधनों जैसे- रेलगाडियों, बसों का का प्रयोग करें। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए 'शहरी आवागमन' का मूल विषय इस वर्ष के लि‍ए चुनी गई है जो ‍भारत के लि‍ए बहुत प्रासंगि‍क है। माल और सेवाओं में गति‍शीलता हमारे शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि‍हमारे देश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण हमारी योजनाकारों और डि‍जाइनरों के लि‍ए चुनौती है लेकि‍न आवागमन सि‍र्फ हमारे परि‍वहन उपयोग के बारे में नहीं है यह माल सेवाओं के साथ लोगों की कुशलता, तेजी और अच्‍छे परि‍वहन के बारे में भी है। उन्‍होंने कहा कि‍शहरों को अपने चरि‍त्र को बदलने की आवश्‍यकता है किस प्रकार कार से चलने वाले समुदाय, ऊर्जा संपन्‍न समुदाय साइकि‍ल, रि‍क्‍शा और अन्‍य बिना मोटरवाहनों का उपयोग कर सकते हैं। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍शहरी क्षेत्रों में 18.78 मि‍लि‍यन आवासों की कमी हैं और इसमें आर्थि‍क रूप से कमजोर तथा नि‍म्‍न आय वर्गों के लि‍ए यह 96 प्रति‍शत है। उन्‍होंने कहा कि‍शहरी गरीब अपने और परि‍वार को जोखि‍म में डालकर अपनी आजीवि‍का कमाने के लि‍ए मजबूरी में मलि‍न बस्तियों मे रहने को मजबूर हैं और आजीविका कमाने के लिए इन्हें दूर-दूर तक जाना पडता है जो न केवल उनके बल्कि सभी के लिए एक जोखिम है। इसलि‍ए शहरी गरीब और झुग्‍गि‍यों में रहने वाले लोगों के लि‍ए आजीवि‍का के साथ गति‍शीलता को भी एकीकृत करने की तत्‍काल जरूरत है। उन्‍होंने राजीव गांधी आवास योजना का जि‍क्र करते हुए कहा कि‍इसकी मदद से स्‍लम मुक्‍त भारत बनाया जा सकता है। 

डॉ. व्‍यास ने कहा कि‍उनका शहरों में रहने वाले गरीबों को आवास एवं रोजगार के साधन उपलब्ध करा रहा है। आवासीय असुरक्षा से नि‍पटने के लि‍ए लोगों और उनके परि‍वारों को सस्‍ता हाउसिंग लोन को बढ़ावा देने, कि‍राए के मकान बनाने, रोजगार बढ़ाने, क्रेडि‍ट गारंटी फंड को आसानी से पहुंचाने के लि‍ए प्रयास कर रहा है। मंत्रालय सक्रि‍य रूप से 'स्‍ट्रीट वेंडर्स वि‍धेयक, 2012' (आजीवि‍का के संरक्षण के लि‍ए और स्‍ट्रीट वेंडिंग) को अमलीजामा पहनाने का प्रयास कर रहा है। 

इस अवसर पर डॉ. व्‍यास ने 'भारत में मलि‍न बस्‍ति‍यों की स्थिति - एक सांख्‍यि‍कीय संग्रह, 2013' का वि‍मोचन कि‍या। जि‍से हुडको एवं बीएमपीपीसी के साथ एनबीओ के द्वारा प्रकाशि‍त इस कि‍ताब में मलि‍न बस्‍ति‍यों और नागरि‍कों से संबंधि‍त सुवि‍धाओं जैसे जनसंख्‍या, स्‍वास्‍थ्‍य, शि‍क्षा आदि‍वि‍षयों के महत्‍वपूर्ण राज्‍यवार आंकडे उपलब्‍ध हैं। उन्होंने कहा कि यह संग्रह शहरी वि‍कास और गरीबी उन्‍मूलन में नीति‍नि‍र्माताओं, योजनाकारों, प्रशासकों, समाज के नागरि‍कों की भागीदारी और अन्‍य हि‍तधारकों के लि‍ए एक महत्‍वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करेगी। 

वि.कासोटिया/कि‍शोर/मनीषा-6523

Tuesday, August 20, 2013

बिहार रेल दुर्घटना: देश भर में शोक की लहर

20-अगस्त-2013 15:49 IST
बिहार की रेल दुर्घटना पर राष्‍ट्रपति ने किया दुःख व्‍यक्‍त
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिहार में हुई दर्दनाक रेल दुर्घटना पर गहरा दुःख व्‍यक्‍त किया है, जिसमें कई कांवडि़यों की मौत हो गई और कई अन्‍य घायल हो गये। श्री मुखर्जी ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त की है और घायलों के शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य के लिए शुभकामनाएं दी हैं। 

राष्‍ट्रपति ने अधिकारियों से राहत और बचाव कार्य तेजी से करने को कहा है और उस क्षेत्र के लोगों से कहा है कि वे अधिकारियों को सहयोग दें।
उप राष्‍ट्रपति ने भी दुर्घटना में मरे लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की 
19-अगस्त-2013 16:47 IST
उप राष्‍ट्रपति श्री एम.हामिद अंसारी ने आज बिहार के ख‍गडि़या जिले में हुई रेल दुर्घटना में मारे गये लोगों के प्रति गहरा दु:ख प्रकट किया है। 
उप राष्‍ट्रपति ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है और घायल लोगों के शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना की है। 
 प्रधानमंत्री ने शोक व्‍यक्‍त किया 
--19-अगस्त-2013 14:48 IST
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बिहार में मानसी रेल खंड पर ख‍गडि़या जिले के बदला घाट रेलवे स्‍टेशन के निकट हुई रेल दुर्घटना में श्रद्धालुओं की मृत्‍यु पर गहरा दु:ख व्‍यक्‍त किया है। प्रधानमंत्री ने रेल मंत्रालय को बचाव और राहत कार्य चलाने के लिए सभी उपलब्‍ध संसाधनों को भेजने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है ताकि बचाव और राहत कार्य बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से चलाया जा सके। 
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बिहार रेल दुर्घटना: देश भर में शोक की लहर 

Thursday, August 15, 2013

सभी को इस स्वाधीनता दिवस पर बधाई-डा. मनमोहन सिंह

15-अगस्त-2013 08:42 IST
आज यकीनन ही खुशी लेकिन दिलों में दर्द भी
15 अगस्त 2013  को 67 वें स्वतन्त्रता दिवस पर लाल किले के सामने कुछ इस तरह का दृश्य था 


लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर से जय हिन्द का जय घोष करते प्रधानमन्त्री डाक्टर मनमोहन सिंह 
आज प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने स्‍वतंत्रता दि‍वस 2013 के अवसर पर लाल कि‍ले के प्राचीर से देश को संबोधि‍त कि‍या । इस अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है - 

“मेरे प्यारे भारतवासियो, 

भाइयो-बहनो और प्यारे बच्चो, 

मैं आप सभी को इस स्वाधीनता दिवस पर बधाई देता हूँ। 

आज यकीनन ही खुशी का दिन है। लेकिन आज़ादी के इस त्यौहार पर हमारे दिलों में इस बात का दर्द भी है कि उत्तराखण्ड के हमारे भाई-बहनों को करीब दो महीने पहले भारी तबाही का सामना करना पड़ा। हमारी संवेदना और सहानुभूति उन सभी परिवारों के साथ है जिनको जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा । मैं आज उत्तराखण्ड की जनता को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इस मुश्किल की घड़ी में सारा देश उनके साथ है। हमारी सरकार जल्द से जल्द लोगों के उजड़े हुए घर दोबारा बसाने और बर्बाद हुए Infrastructure को फिर से बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है। 

उत्तराखण्ड में कठिन परिस्थितियों में हमारी फौज़, अर्धसैनिक बलों और केन्द्र और राज्य सरकार के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों ने आम लोगों के साथ मिलकर, घिरे हुए लोगों को राहत पहुंचाने का जो काम किया, वह तारीफ के काबिल है। हम ख़ास तौर पर Air Force, ITBP और NDRF के उन अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने दूसरों को बचाने में अपनी जान कुर्बान कर दी। 

हमें इस बात का भी बेहद अफसोस है कि कल एक दुर्घटना में हमने अपनी पनडुब्बी INS Sindhurakshak को खो दिया। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के शहीद होने की आशंका है। यह नुकसान इसलिए और भी दर्दनाक है क्योंकि अभी हाल में हमारी Navy ने अपनी पहली Nuclear पनडुब्बी Arihant और Aircraft Carrier, INS Vikrant के रूप में दो बड़ी कामयाबियां हासिल की थीं। 

हम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। साथ-साथ Navy की सफलताओं के लिए उन्हें मुबारकबाद भी देते हैं। 

भाइयो और बहनो, 

1947 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में हमने आज़ादी हासिल की। उसके बाद के अपने सफर पर अगर हम ग़ौर करें तो पाएंगे कि हर दस साल पर हमारे देश में बड़े बदलाव आए हैं।

1950 के दशक में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के नेतृत्व में एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत ने अपने पहले कदम रखे। देश में Atomic Energy Commission, योजना आयोग और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई जिन्होंने आगे चलकर राष्ट्र निर्माण के काम में बहुत बड़ा योगदान दिया। पहली बार आम चुनाव कराए गए और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए पहली पंचवर्षीय योजना बनाने का सिलसिला शुरू किया गया। 

1960 के दशक में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने नए-नए उद्योग और कारखाने लगवाए, नई सिंचाई परियोजनाएं शुरू की और नए विश्वविद्यालय खोले। राष्ट्र निर्माण में विज्ञान और Technology के महत्व पर ज़ोर देकर उन्होंने इस प्राचीन देश को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया। 

1970 के दशक में इंदिरा जी ने हमारे राष्ट्र का आत्मविश्वास बढ़ाया। इस दौरान हमने अंतरिक्ष में अपना पहला उपग्रह छोड़ा। हरित क्रांति ने पहली बार हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्रदान की। 

राजीव गांधी जी ने अगले दशक में तकनीकी और आर्थिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान Information Technology के क्षेत्र में हमारी प्रगति की नींव रखी गई। 

पंचायती राज संस्थाओं के महत्व पर ज़ोर दिया गया जिसकी वजह से आगे चलकर इन संस्थाओं को मज़बूत और अधिकार संपन्न बनाने के लिए हमारे संविधान में संशोधन हुआ। 

साल 1991 में हमने श्री नरसिम्हा राव जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़े आर्थिक संकट का सामना बख़ूबी किया और देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए आर्थिक सुधारों को अपनाया। उस समय इन सुधारों का कई राजनैतिक दलों ने विरोध किया। लेकिन ये सुधार राष्ट्र हित में थे और इसीलिए बाद में आने वाली सभी सरकारों ने उनको जारी रखा। साल 1991 से लेकर आज तक सुधारों की ये प्रक्रिया आगे बढ़ती रही है। 

भाइयो और बहनो, 

मेरा मानना है कि पिछला दशक भी हमारे देश के इतिहास में बहुत बड़े बदलावों का दशक रहा है। देश की आर्थिक समृद्धि जितनी इस दशक में बढ़ी है उतनी पहले किसी दशक में नहीं बढ़ी। लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा मिला है और समाज के बहुत से वर्ग विकास की प्रक्रिया से पहली बार जुड़े हैं। आम आदमी को नए अधिकार मिले हैं जिनकी बदौलत उसकी सामाजिक और आर्थिक ताकत बढ़ी है। 

भाइयो और बहनो, 

मई 2004 में पहली UPA सरकार सत्ता में आई थी। तब से लेकर आज तक हमने एक प्रगतिशील और आधुनिक भारत बनाने के लिए लगन और ईमानदारी से काम किया है। 

हमने एक खुशहाल भारत की कल्पना की है। एक ऐसा भारत जो सदियों से चले आ रहे गरीबी, भूख और बीमारी के बोझ से मुक्ति पा चुका हो। जहाँ शिक्षा के उजाले से अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधेरे दूर हो चुके हों। 

जहां सामाजिक समानता हो और सबको एक जैसे आर्थिक अवसर प्राप्त हों। जहाँ समाज के किसी भी तबके को अन्याय और शोषण का सामना न करना पड़े। 

हमने एक ऐसे भारत का सपना देखा है जहाँ नौजवानों को रोज़गार के ऐसे अवसर मिलें जिनके जरिए वह राष्ट्र निर्माण के महान काम में योगदान कर सकें। 

हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज़ बुलंद करनी चाही है। हमने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहा है जिसे सारी दुनिया आदर और सम्मान के साथ देखे। 

इन सपनों को साकार करने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं। लेकिन सफर लंबा है, अभी बहुत फासला और तय करना है। 

भाइयो और बहनों, 

अभी कुछ दिन पहले हमने Food Security कानून बनाने की दिशा में एक Ordinance जारी किया है। Food Security Bill अब संसद के सामने है और हमें उम्मीद है यह जल्द ही पास हो जाएगा। इस कानून का फायदा हमारे गांवों की 75 प्रतिशत और शहरों की आधी आबादी को पहुंचेगा। इसके तहत 81 करोड़ भारतीयों को 3 रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो मोटा अनाज मिल पाएगा। यह दुनिया भर में इस तरह का सबसे बड़ा प्रयास है। 

हम अपने किसानों की मेहनत की वजह से ही इस कानून को लागू कर पाए हैं। साल 2011-12 में हमारी अनाज पैदावार 25.9 करोड़ टन रही, जो एक रिकार्ड है। 

बिना तेज़ कृषि विकास के हम अपने गांवों में खुशहाली पहुंचाने का मक़सद हासिल नहीं कर सकते हैं। पैदावार बढ़ाने और किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलवाने के लिए हमने लगातार कोशिशें की है। फसलों के खरीद मूल्यों में पिछले 9 सालों में पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ोत्तरी की गई है। गेहूं और धान के खरीद मूल्य दुगुने से भी अधिक किए गए हैं। कई ऐसे राज्यों में जहां पहले अनाज की कमी रहती थी आज उनकी अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पैदावार हो रही है। 

11 वीं पंच-वर्षीय योजना के दौरान कृषि विकास की औसत सालाना दर 3.6 प्रतिशत रही है जो 9वीं और 10वीं योजना, दोनों से ज्यादा है। 

अब ग्रामीण इलाकों में खुशहाली बढ़ने के साफ संकेत दिखाई देने लगे हैं। साल 2004 से लेकर 2011 तक प्रतिव्यक्ति उपभोग किया जा रहा सामान और सुविधाएं पहले के मुकाबले चार गुना तेजी से बढ़े हैं। 

ग्रामीण मजदूरी दर में भी कहीं अधिक तेजी से वृद्धि हुई है। मनरेगा की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों गरीब लोगों को रोज़गार मिल रहा है। 

गरीबी को नापना एक मुश्किल काम है। गरीबी की परिभाषा को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं। लेकिन हम गरीबी की चाहे कोई भी परिभाषा अपनाएं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि 2004 के बाद गरीबी कम होने की गति तेज़ हुई है। 

कई ऐसे राज्य, जो बहुत समय से पिछड़े माने जाते थे और जिनमें से कुछ को "बीमारू" कहा जाता था, आज तेज़ी से विकास कर रहे हैं। 

भारत में हर बच्चे को शिक्षा के अवसर देने के लिए हमने शिक्षा का अधिकार कानून बनाया है। आज देश में लगभग सभी बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं। 

कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या पिछले नौ सालों में दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। गरीबों और कमजोर तबकों के बच्चों को शिक्षा के अवसरों का फायदा दिलाने के लिए हमने बड़े पैमाने पर वज़ीफों के कार्यक्रम शुरू किए हैं। आज देश भर में 2 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को केन्द्र सरकार द्वारा वज़ीफे दिए जा रहे हैं। 

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई नए संस्थान खोले गए हैं। जैसे 8 नए IIT, 7 नए IIM, 16 नई Central Universities और 10 नए NIT । Scientific Research को बढ़ावा देने के लिए भी नई संस्थाएं खोली गई हैं। Science की पढ़ाई में ज्यादा छात्रों को शामिल करने के लिए और विदेशों से भारतीय Scientists की वापसी आसान करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। 

लेकिन शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बहुत सारे स्कूलों में अभी भी पीने का साफ पानी, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। शिक्षा की Quality को बेहतर बनाने की ज़रूरत है। इसके लिए अध्यापकों की training पर ज़्यादा जोर दिया जाना आवश्यक है। 

Mid-day-Meal योजना में रोज करीब 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में दोपहर का खाना दिया जा रहा है। यह योजना बच्चों की पढ़ाई और पोषण दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन इसको बेहतर तरह से लागू करना भी बहुत ज़रूरी है। बिहार में पिछले दिनों जो दर्दनाक हादसा हुआ वह देश में कहीं भी दोबारा नहीं होना चाहिए। 

2005 में हमने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। देश में Maternal Mortality Rate और Infant Mortality Rate दोनों तेज़ी से घटे हैं। पहले से कहीं अधिक बच्चों का जन्म आज अस्पतालों में होता है। टीकाकरण के प्रतिशत में भी काफी वृद्धि हुई है। 

पिछले दो सालों से हमारे देश में पोलियो का कोई भी केस सामने नहीं आया है। हमें एक ऐसे रोग को मिटाने में कामयाबी मिली है जो लाखों लोगों को अपंग बना दिया करता था। 

हमारे ग़रीब भाई-बहनों को अस्पतालों में इलाज के लिए मुफ्त बीमा सुविधा प्रदान कराने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अब साढ़े तीन करोड़ परिवारों को फायदा पहुंचा रही है। 

हमने शहरी क्षेत्रों में भी Health Mission लागू किया है जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा और उनमें सुधार आएगा। 

महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए, हमने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से संबंधित कानून को मज़बूत बनाया है। 

Infrastructure यानि सड़कों, रेलगाड़ी, बिजली उत्पादन, Civil Aviation, बंदरगाहों और Telecom जैसे क्षेत्रों में भी पिछले 9 सालों में काफी तरक्की हुई है। गांवों को जोड़ने वाली प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2 लाख किलोमीटर नई सड़कें बनाई गई हैं। सैंतीस हजार Kilometer से ज़्यादा नए Highway बनाए गए हैं जिनसे व्यापार और यात्रा अब ज़्यादा आसान हो गए हैं। चालीस से ज़्यादा हवाई अड्डों का निर्माण या नवीनीकरण किया गया है। सन् 2004 में सिर्फ 7 प्रतिशत लागों के पास telephone connection थे। आज 73 प्रतिशत लोगों को यह सुविधा प्राप्त है। ग्रामीण इलाकों में यह प्रतिशत 2 से बढ़कर 40 हो गया है। बिजली उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई है। 

भाइयो और बहनो, 

हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में यह बात चर्चा में रही है कि पिछले साल हमारी विकास दर कम होकर 5% रह गई है। यह बात सच है और हम इस हालत में सुधार लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ हमारा देश ही अकेला आर्थिक कठिनाईयों का सामना नहीं कर रहा है। पूरी विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पिछला साल मुश्किल भरा रहा है। यूरोप के बड़े देशों में इस वक्त मंदी चल रही है। दुनिया भर में हर जगह निर्यात बाज़ारों की स्थिति में गिरावट आई है। सभी विकासशील देशों को मंदी का सामना करना पड़ा है। 

मेरा मानना है कि भारत में धीमे विकास का दौर बहुत दिन नहीं चलेगा। पिछले 9 सालों में हमारी अर्थव्यवस्था में औसतन 7.9 प्रतिशत सालाना की बढ़ोत्तरी हुई है। विकास की यह रफ्तार अब तक किसी भी दशक में हुई प्रगति से कहीं ज्यादा है। 

भाइयो और बहनो, 

आज दुनिया के देश एक दूसरे से जितना जुड़े हुए हैं उतना पहले कभी नहीं रहे। हमने अपनी विदेश नीति के जरिए यह कोशिश की है कि भारत को इस बात का पूरा फायदा मिले। दुनिया की बड़ी ताकतों से पिछले 9 सालों में हमारे संबंध लगातार सुधरे हैं। पूर्व और दक्षिण पूर्व Asia में स्थित दस ASEAN राष्ट्रों के साथ हमारी Look East Policy के अच्छे नतीजे सामने आए हैं, खासकर आर्थिक मामलों में। हमारी यह भी कोशिश रही है कि पड़ोसी देशों के साथ हमारी दोस्ती बढ़े। लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर होने के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपनी सरज़मीन और अपने नियंत्रण वाली ज़मीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए न होने दे। 

राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी स्थिति में सुधार हुआ है। 2012 में और इस साल कुछ राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की चिंताजनक घटनाओं के बावजूद, पिछले 9 साल सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से अच्छे गुजरे हैं। आतंकवादी और नक्सली हिंसा में भी कमी आई है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हमें लगातार सावधानी बरतने की ज़रूरत है। समय-समय पर हो रहे नक्सली हमलों को पूरी तरह रोकने में हम सफल नहीं हो पाए हैं। छत्तीसगढ़ में पिछली 25 मई को जो नक्सली हिंसा हुई वह भारत के लोकतंत्र पर एक सीधा हमला था। भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर हाल में हमारे जवानों पर कायरतापूर्ण हमला किया गया। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हम हर मुमकिन कोशिश करेंगे। 

भाइयो और बहनो, 

सरकार के काम को ज़्यादा संवेदनशील, पारदर्शी, और ईमानदार बनाने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से मैं सिर्फ दो का ज़िक्र यहां करना चाहूंगा। 

RTI कानून के जरिए आम आदमी को अब सरकारी कामकाज के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा जानकारी मिल रही है। इस कानून का इस्तेमाल एक बड़े पैमाने पर, हर स्तर पर हो रहा है। यह कानून अक्सर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को सामने लाता है और सुधार का रास्ता खोलता है। मुझे यकीन है कि आने वाले समय में RTI की वजह से सरकारी कामकाज में और सुधार आएगा । 

हमने संसद में लोकपाल बिल प्रस्तुत किया है। लोक सभा ने इसे pass कर दिया है और अब इस पर राज्य सभा विचार कर रही है। यह कानून हमारी राजनैतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। 

भाइयो और बहनो, 

हमने पिछले दशक में एक लंबा सफर तय किया है। लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बदलाव का जो सिलसिला हमने शुरू किया है उसे आने वाले वक्त में जारी रखा जाएगा। 

जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, तेज़ आर्थिक विकास हमारे देश के लिए बेहद ज़रूरी है। गरीबी दूर करना, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और रोज़गार के नए-नए अवसर पैदा करना – यह सब तेज़ आर्थिक विकास के बगैर मुमकिन नहीं है। पिछले 9 साल में हमने आर्थिक विकास की जो औसत रफ्तार हासिल की है उससे हमारे देश की क्षमताओं का पता चलता है। लेकिन इस वक्त देश के आर्थिक विकास की दर में कमी आई है। हम इस कमी को दूर करने के लिए पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। 

उद्योगों के लिए सरकारी मंज़ूरियों की प्रक्रिया को तेज़ करने, देश में उद्योग और व्यापार के लिए बेहतर माहौल बनाने और निवेश को बढ़ाने के लिए हमने हाल ही में कई कदम उठाए हैं। बड़ी परियोजनाओं की मंजूरियों की प्रक्रिया में मदद करने के लिए एक विशेष cell की स्थापना की गई है। Cabinet Committee on Investment रुकी हुई परियोजनाओं की अड़चनें दूर करने का काम कर रही है। 

बिजली उत्पादन बढ़ाने के रास्ते में कोयले की आपूर्ति एक समस्या बन गई थी। इसको हमने काफी हद तक सुलझा लिया है। 

आने वाले महीनों में Infrastructure के क्षेत्र में बहुत सी बड़ी परियोजनाओं पर हम काम शुरू करने वाले हैं। इनमें 2 नए बंदरगाह, 8 नए हवाईअड्डे, नए Industrial Corridors और रेल परियोजनाएं शामिल हैं। 

Foreign Direct Investment को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में हमने कई क्षेत्रों में ऐसे निवेश की सीमा बढ़ाई है और इसकी प्रक्रिया को आसान बनाया है। 

निवेश बढ़ाने की इन कोशिशों के अच्छे नतीजे हमें अगले कुछ महीनों में साफ देखने को मिलेंगे। इससे आर्थिक विकास की रफ्तार तेज़ होगी, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और infrastructure में भी सुधार आएगा। 

भाइयो और बहनो, 

Food Security कानून बनने के बाद उसे प्रभावी ढंग से लागू करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक रहेगी। इस दिशा में हमने राज्यों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। Public Distribution System के Computerization के काम में तेज़ी लाई जाएगी। 

Mid-day-Meal Scheme में सुधार लाए जाएंगे। बच्चों को स्कूल में मिल रहा भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ साफ सुथरे ढंग से बना हुआ होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए हम ठोस कदम उठाएंगे। 

Skill Development के क्षेत्र में शुरुआत में हम उतनी अच्छी प्रगति नहीं कर पाए जितनी चाहते थे, लेकिन अब इसमें तेज़ी आई है। हमने कुछ महीने पहले National Skill Development Authority का गठन किया है। हम जल्द ही एक नई योजना शुरू करेंगे जिसके तहत उन नौजवानों को लगभग 10 हज़ार रुपये की राशि दी जाएगी, जिन्होंने सफलतापूर्वक नई Skills हासिल की हैं। इस योजना से अगले 12 महीने में करीब 10 लाख नौजवानों को फायदा पहुंचेगा। 

अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए Multi-Sectoral Development Programme में हाल ही में सुधार लाए गए हैं। अब इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। 

Minor Forest Produce के लिए खरीद मूल्य निर्धारित करने की स्कीम को मंजूरी दे दी गई है। इससे हमारे आदिवासी भाई-बहनों को लघु वन उपज के सही दाम मिलेंगे। इस योजना को हम जल्द-से-जल्द लागू करेंगे। 

आदिवासी भाई-बहनों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर के बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति की Report से हमें उनके लिए बेहतर योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। 

हम अपने देश में बहुत सी समस्याओं को बेहतर Technology के ज़रिए हल कर सकते हैं। इसकी एक मिसाल है आधार योजना। इस योजना के तहत इस साल के आख़िर तक पचास करोड़ लोगों को अपनी पहचान साबित करने का जरिया मिलेगा और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उनको सहूलियत पहुंचेगी। इसके ज़रिए हम करोड़ों लोगों को पहली बार बैंकों की सुविधाओं का लाभ दे पाएंगे। 

भाइयो और बहनो, 

एक आधुनिक, प्रगतिशील और Secular देश में तंग और सांप्रदायिक ख्यालों की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। ऐसी सोच हमारे समाज को बांटती है और हमारे लोकतंत्र को कमज़ोर करती है। हमें इसे रोकना होगा। हमें अपनी संस्कृति की उन परंपराओं को मज़बूत करना होगा, जो हमें अन्य विचारधाराओं के प्रति सहनशील होना और उनका सम्मान करना सिखाती हैं। मैं आज सभी राजनैतिक दलों, समाज के सभी वर्गों और आम जनता से इस दिशा में प्रयास करने की अपील करता हूँ । 

भाइयो और बहनो, 

कुछ देर पहले मैंने कहा था कि आज़ादी के बाद के हर दशक में भारत में बड़े परिवर्तन आये हैं। हमें आज यह सोचना है कि आने वाले दस सालों में हम किस तरह का परिवर्तन चाहते हैं। 

पिछले दस सालों में जैसी प्रगति हमने की है यदि हम उसे आगे भी जारी रखें तो वह वक्त दूर नहीं जब भारत को ग़रीबी, भूख, बीमारी और अशिक्षा से complete मुक्ति मिल जाएगी। हमारा भारत खुशहाल होगा और उसकी खुशहाली में सभी नागरिक बराबर के शरीक होंगे चाहे उनका धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा कुछ भी हो। 

इसके लिए हम सबको मिलकर देश में राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और सुरक्षा का माहौल भी बनाना होगा। 

आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाने के लिए अपने आपको फिर से समर्पित करें। 

प्यारे बच्चों, अब आप मेरे साथ मिलकर तीन बार बोलिए… 

जय हिन्द जय हिन्द - जय हिन्द ।”  (PIB)
***
शरत/रतनानी/नवनीत/शाहबाज/सनोज/सतीश/लालमणी

Monday, May 27, 2013

के. रहमान खान ने कांग्रेसि‍यों पर हमले की नि‍न्‍दा की

27-मई-2013 13:38 IST
केन्‍द्रीय अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मेत्री श्री के. रहमान ने छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले की नि‍न्‍दा की है। 

''मैं छत्‍तीसगढ़ में हुए हमले की कड़े शब्‍दों में नि‍न्‍दा करता हॅूं, जि‍समें कई बेगुनाह मारे गए और कई अन्‍य घायल हो गए। मुझे गहरा सदमा पहुंचा है और मैं उन परि‍वारों के प्रति‍ सहानुभूति‍व्‍यक्‍त करता हॅू, जि‍नके परि‍जन मारे गए हैं। मैं घायलों के शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य लाभ की कामना करता हॅूं। सभ्‍य समाज में इस तरह की बर्बर घटनाओं के लि‍ए कोई जगह नहीं है। 

मैं हमलावरों से अपील करता हॅूं कि‍वे अगवा कि‍ए गए लोगों को यथा शीघ्र मुक्‍त कर दें।'' (PIB)

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वि‍.कासोटि‍या/राजेन्‍द्र/बि‍ष्‍ट- 2511

Friday, May 3, 2013

भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी की वार्षिक आमसभा

03-मई-2013 19:40 IST
राष्‍ट्रपति का युवाओं/युवतियों से स्‍वैच्छिक रक्‍तदान करने का आह्वान
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्‍ट्रपति भवन सभागार, नई दिल्‍ली में भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी (आईआरसीएस) और सेंट जॉन एम्‍बुलेंस (इंडिया) की वार्षिक आमसभा के रस्‍मी सत्र में हिस्‍सा लिया। इस अवसर पर उन्‍होंने स्‍वयंसेवियों और सेंट जॉन एम्‍बुलेंस (इंडिया) के केंद्रों को समर्पित भावना से की गई उनकी सेवाओं के लिये छह पदकों तथा चार शील्‍ड्स से सम्‍मानित किया। 

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने मानवता के लिये उल्‍लेखनीय सेवायें करने वाले सभी पदक विजेताओं को बधाई दी। उन्‍होंने कहा कि रेड क्रॉस ने अपने 150 वर्षो के इतिहास में मानवता, न्‍याय, तटस्‍थता, स्‍वतंत्रता, स्‍वयंसेवा, एकता और सार्वभौमिकता के बुनियादी मूल्‍यों को बरकरार रखा। उन्‍होंने कहा कि भारत में भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी और सेंट जॉन एम्‍बुलेंस सन् 1920 से मानवीय सेवाओं के मामले में हमेशा अग्रणी रहे हैं और अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से उन्‍होंने अपनी पहुंच बढ़ायी है। उन्‍होंने नर्सिंग स्‍क़ूलों, वृद्धाश्रमों, तपेदिक कार्यक्रमों, आपदा राहत और तैयारियों तथा बच्‍चों और युवाओं को सकारात्‍मक दृष्टिकोण सिखाने में अहम् भूमिका निभायी है। उन्‍होंने कहा कि इनके प्रयासों से लाखों लोग लाभांवित हुये हैं। 

राष्‍ट्रपति ने युवाओं और यु‍वतियों से बड़ी तादाद में आगे आने और स्‍वैच्छिक रक्‍तदान के अभियान में अपना योगदान देने के लिए कहा। उन्‍होंने कहा कि इस महत्‍वपूर्ण सामाजिक सेवाओं के लिए हमारे सभी युवाओं को संवेदनशील बनाना बेहद जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि हमें ये सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि प्रत्‍येक इंसान की रक्‍त की जरूरत पूरी हो सकें। इस अवसर पर केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य परिवार कल्‍याण मंत्री तथा पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ के राज्‍यपाल सहित अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी उपस्थित थे। (PIB)

वि.कासौटिया/रीता/गीता-2208

Monday, April 29, 2013

इंस्‍टैंट कॉफी संयंत्र का उद्घाटन

29-अप्रैल-2013 12:57 IST
डी पुरनदेश्‍वरी ने वियतनामी नेताओं से बातचीत की 

वाणिज्‍य और उद्योग राज्‍यमंत्री डॉक्‍टर डी पुरनदेश्‍वरी ने वियतनाम में कल और आज विभिन्‍न कार्यक्रमों में हिस्‍सा लिया। हो ची मिन्‍ह शहर में उन्‍होंने भारतीय और वियतनामी उद्यमियों को संबोधित किया। इस बैठक में वियतनाम में भारत के राजदूत श्री रंजीत राय और 40 उद्यमियों ने हिस्‍सा लिया। 

वियतनाम के डक लेक प्रांत में डॉक्‍टर डी पुरनदेश्‍वरी ने इंस्‍टैंट कॉफी संयंत्र का उद्घाटन किया। इसे सीसीएल प्रोडक्‍स इंडिया लिमिटेड ने तीन सौ करोड़ रूपये की लागत से स्‍थापित किया है। उद्घाटन समारोह में वियतनाम में भारत के राजदूत सहित वियतनाम के वेस्‍टर्न हाइलैंड की संचालन समिति की उप-प्रमुख श्री त्रि जुआन होआ, डक लेक प्रांत की पीपुल्‍स कमेटी की उपाध्‍यक्ष माई हुआन, कु क्‍वीन जिला समिति के उपाध्‍यक्ष एन गुवेन नामचुंग और अन्‍य वियतनामी नेता मौजूद थे। सीसीएल प्रोडक्‍ट्स इंडिया लिमिटेड के अध्‍यक्ष श्री चल्‍ला राजेन्‍द्र प्रसाद और एन गुआन कॉफी कंपनी के अध्‍यक्ष सहित कई भारतीय वियतनामी और अंतर्राष्‍ट्रीय प्रति‍निधि उपस्थित थे।

डॉक्‍टर डी पुरनदेश्‍वरी ने व्‍यापार और निवेश के परस्‍पर हित के मामलों पर वियतनामी नेताओं से बातचीत की। बातचीत में भारत की ओर से श्री रंजीत राय के अलावा वाणिज्‍य विभाग में संयुक्‍त सचिव श्री सिद्धार्थ तथा अन्‍य अधिकारियों ने भाग लिया। (PIB)
वि.कासोटिया/गांधी/सोनिका-2075