Sunday, September 16, 2012

200 साल पुराने मंदिर को गिराए जाने पर रोक

अगली सुनवाई तक रोक लगाई सिंध उच्च न्यायालय ने 
आस्था टूटती है तो बहुत कुछ टूट जाता है। विशवास को चोट लगती है तो बहुत से आधार डगमगाने लगते हैं। आजकल विशवास और आस्था पर चोट वाली खबरें कुछ ज्यादा ही आ रही हैं। पकिस्तान से आ रहे हिन्दू परिवारों की दास्तान ने तो इस निराशा को चिंतनीय हद तक बढ़ा दिया है। पर इन निराशाजनक ख़बरों के बीच कभी कभी प्रेम और विशवास की सगन्ध से भरी पवन के झोंके भी आते हैं। अब एक अच्छी खबर आई है कराची पाकिस्तान से। जालंधर से प्रकाशित दैनिक पंजाब केसरी में कराची डेटलाईन से जारी खबर के मुताबिक सिंध उच्च न्यायालय ने कराची के पुराने इलाके में करीब 200 साल पुराने एक मंदिर को गिराए जाने पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश मुशीर आलम की अगुवाई वाली एक पीठ ने कैलाश विश्राम की याचिका पर यह आदेश जारी किया। पीठ ने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर को गिराए जाने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 दिनों के बाद होनी है। यह मंदिर कराची बंदरगाह के पास है और पोर्ट ट्रस्ट तथा अन्य वादियों ने इसे गिराए जाने की मांग की थी।  इस फैसले से उम्मीद की जानी चाहिए कि पाकिस्तान में हिन्दू भावनायों को आह्त करने वाली कई घटनायों के बाद   निराशा के गहन अँधेरे में भी आशा की एक नई किरन पैदा हो सकेगी। अगर आपके पास ही कोई ऐसी ही अच्छी खबर हो तो उसे तुरंत भेजिए। हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे।--रेक्टर कथूरिया   

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