28-अगस्त-2014 19:47 IST
PIB फीचर पीएमजेडीवाई-सबका साथ सबका विकास -डॉ. एच. आर. केशवमूर्ति
भारत के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को अपने प्रथम स्वतंत्रता दिवस संबोधन में ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ नामक वित्तीय समावेश पर राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की थी। एक पखवाड़े से कम समय में देश इस विशाल योजना को लागू करने के लिए तैयार हुआ और प्रधानमंत्री ने स्वयं नई दिल्ली में इस योजना की शुरूआत की। राज्यों की राजधानियों तथा सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ समारोह आयोजित कर योजना प्रारंभ की गई। बैंकों की शाखाओं ने पूरे देश में शिविरों का आयोजन किया।
PIB फीचर पीएमजेडीवाई-सबका साथ सबका विकास -डॉ. एच. आर. केशवमूर्ति
भारत के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को अपने प्रथम स्वतंत्रता दिवस संबोधन में ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ नामक वित्तीय समावेश पर राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की थी। एक पखवाड़े से कम समय में देश इस विशाल योजना को लागू करने के लिए तैयार हुआ और प्रधानमंत्री ने स्वयं नई दिल्ली में इस योजना की शुरूआत की। राज्यों की राजधानियों तथा सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ समारोह आयोजित कर योजना प्रारंभ की गई। बैंकों की शाखाओं ने पूरे देश में शिविरों का आयोजन किया।
यह योजना क्या है और यह पहले की योजनाओं से कैसे भिन्न है..........
’प्रधानमंत्री
धन जन योजना’ की परिकल्पना वित्तीय समावेश पर राष्ट्रीय मिशन के रूप
में की गई है। इसका उद्देश्य देश के प्रत्येक परिवार को बैंकिंग सुविधा
के दायरे में लाना और प्रत्येक परिवार के लिए बैंक खाता खोलना है।
वित्तीय समावेश यह समावेशी वित्त समाज के वंचित तथा निम्न आय वर्ग के
लोगों वहन करने योग्य लागत पर वित्तीय सेवाएं देना है। यह वित्तीय अलगाव
की उस अवधारणा के उलट है जिसमें सेवा उपलब्ध नहीं होते यह सेवा वहन करने
योग्य मूल्य पर नहीं मिलती। यह कहा जाता है कि बैंकिंग सेवाओं का स्वभाव
जन उत्पाद है पूरी आबादी को बिना किसी भेदभाव के बैंकिंग तथा भुगतान
सेवाएं देना लोक नीति में वित्तीय समावेश का उद्देश्य है। बैंक खाता होने
से प्रत्येक परिवार की पहुंच बैंकिंग तथा ऋण सुविधा तक होती है इससे
परिवार के लोग कर्जदारों के चंगुल से बाहर आते हैं, आपात स्थिति के कारण
वित्तीय संकट को दूर रख पाते हैं। और विभिन्न प्रकार के वित्तीय
उत्पादों/लाभों का फल उठाते हैं। प्रधानमंत्री ने सभी बैंक अधिकारियों को
भेजे ई-मेल में इसे इस कार्य को विशाल बताते हुए उन्होंने सात करोड़
परिवारों को शामिल करने तथा उनका बैंक खाता खोलने की आवश्यकता पर जोर
दिया, क्योंकि बैंक खाते के अभाव में सभी की विकास गतिविधियां ठप रही।
देश में वित्तीय समावेश की वर्तमान स्थिति :
वित्तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक/भारत सरकार
ने अनेक प्रयास किये हैं। इनमें बैंकों का राष्ट्रीयकरण, बैंक शाखा
नेटवर्क का विस्तार, सहकारी तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना और
उनका विस्तार, पीएस उधारी व्यवस्था लागू करना, लीड बैंक योजना स्वयं
सहायता समुह का गठन तथा राज्य विशेष दृष्टि से एसएलबीसी द्वारा सरकार
प्रायोजित योजनाओं को विकसित करना शामिल है। 2005-06 के दौरान भारतीय
रिजर्व बैंक ने बैंकों को सलाह दी कि वे अपनी नीतियों को वित्तीय समावेश
के उद्देश्य से जोड़े। अधिक वित्तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिए तथा
बैंकिग पहुंच बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया कि ‘कारोबारी सहायक तथा
कारोबारी प्रतिनिधि मॉडल‘ के जरिये वित्तीय तथा बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध
कराने में बिचौलियों के रूप में स्वयं सेवी संगठनों/स्वयं सहायता समूहों,
एमएफआई तथा अन्य सिविल सोसायटी संगठनों की सेवाओं का उपयोग किया जाये।
लेकिन
2011 की जनगणना के अनुसार देश में 24.67 करोड़ परिवारों में से 14.48
करोड़ परिवारों (58.7 प्रतिशत) वित्तीय सेवाएं मिलती हैं। 16.78 करोड़
ग्रामीण परिवारों में से 9.14 करोड़ (54.46 प्रतिशत) परिवार बैंकिंग सेवाओं
का लाभ उठा रहे हैं। 7.89 करोड़ शहरी परिवारों में से 5.34 करोड़ (67.68
प्रतिशत) परिवारों बैंकिंग सेवा मिल रही हैं। वर्ष 2011 में बैंकों ने 2000
से अधिक आबादी वाले (2001 की जनगणना के अनुसार) 74,351 गांवों को कारोबारी
प्रतिनिधियों के जरिये स्वाभिमान अभियान के तहत कवर किया। लेकिन इस
कार्यक्रम का सीमित प्रभाव पड़ा।
31.03.2014 को वर्तमान
बैंकिंग नेटवर्क में 1,15,082 शाखाएं हैं और 1,60,055 एटीएम नेटवर्क हैं।
इनमें से 43 हजार 962 शाखाएं (38.2 प्रतिशत) तथा 23,334 एटीएम (14.58
प्रतिशत) ग्रामीण इलाकों में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र
के बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 1.4 लाख कारोबारी प्रतिनिधि
हैं। ये कारोबारी प्रतिनिधि बैंकों के प्रतिनिधि होते हैं और बुनियादी
बैंकिंग सेवाएं जैसे- बैंक खाता खोलना, नकद जमा, रकम निकासी, धन अंतरण,
बैलेंस की जानकारी तथा मिनी स्टेटमेंट देते हैं। लेकिन वास्तविक जमीनी
अनुभव से यह प्रतीत होता है कि अनेक कारोबारी प्रतिनिधि कार्यरत नहीं हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अनुमान
व्यक्त किया है कि 31.05.2014 तक 13.14 करोड़ ग्रामीण परिवार को कवर करने
की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी और इसमें से 7.22 करोड़ परिवारों को कवर
किया गया है (5.94 करोड़ कवर नहीं किये गये)। अनुमान है कि ग्रामीण क्षेत्र
के छह करोड़ परिवार तथा शहरी क्षेत्र के 1.5 करोड़ परिवारों को कवर किये
जाने की जरूरत हैं।
पीएमजेडीवाई
पीएमजेडीवाई के लक्ष्यों को
प्राप्त करने के 6 मुख्य स्तंभ निर्धारित किये गये हैं। पहले चरण (15
अगस्त, 2014 से 14 अगस्त 2015) में पहले वर्ष के क्रियान्वयन के तहत तीन
मुख्य स्तंभ हैं।
1. बैंकिंग सुविधाओं तक सब की पहुंच सुनिश्चित करना।
2. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम
3.
6 महीने बाद रुपये 5000 की ओवर ड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बैंक
खाते और एक लाख रूप्ये के अंतर्निहित दुर्घटना बीमा कवर के साथ रुपया
डेबिट कार्ड और रु-पे किसान कार्ड सुविधा प्रदान करना।
दूसरे चरण (15 अगस्त, 2015 से 15 अगस्त, 2018) में भी तीन लक्ष्य रखे गए हैं
1. ओवर ड्राफ्ट खातों में चूक कवर करने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना।
2. सूक्ष्म बीमा
3. स्वावलम्बन जैसी असंगठित क्षेत्र बीमा योजना।
इसके
अतिरिक्त इस चरण में पर्वतीय, जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले
परिवारों को शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं, इस चरण में परिवार के शेष
व्यस्क सदस्यों और विद्यार्थियों पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
योजना की कार्यान्वयन नीति यह है कि वर्तमान बैंकिंग ढांचे का उपायोग
करते हुए सभी परिवारों को कवर करते हुए इसका लाभ पहुंचाया जा सके। ग्रामीण
और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में अब तक कवर नहीं हुए परिवारों के बैंक खाते
खोलने के लिए वर्तमान बैंकिंग नेटवर्क को भलीभांति तैयार किया जाना है।
विस्तार कार्य के अंतर्गत 50000 अतिरिक्त व्यापार प्रतिनिधियों की
व्यवस्था, 7000 से अधिक शाखाओं और 2000 अधिक नये एटीएम भी पहले चरण में
स्थापित करने का प्रस्ताव है। पिछले अनुभवों के आधार पर देखा गया है कि
सुप्त खातों पर बैंकों की लागत अधिक आती है और लाभार्थियों को कोई लाभ
नहीं होता। इस तरह बड़ी संख्या में खोले गए खातों के सुपत पड़े रहने के
पिछले अनुभवों से सीखे लेते हुए व्यापक योजना जरूरी है। अतः नए कार्यक्रम
में सभी सरकारी लाभों (केंद्र/राज्य/स्थानीय निकाय) को बैंकों के जरिए
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के तहत लाने का प्रस्ताव है। इसके अंतर्गत
एलपीजी योजना में डीबीटी फिर शामिल की जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय
द्वारा प्रायोजित महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम को भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण
योजना में शामिल किए जाने की संभावना है। योजना के कार्यान्वयन में विभाग
की सहायता के लिए एक परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता/समूह की सेवाएं ली
जाएंगी। यह भी प्रस्ताव है कि कार्यक्रम को दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर
और प्रत्येक राज्य की राजधानी तथा सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ शुरू
किया जाए। कार्यक्रम की प्रगति की रिपोर्टिंग/निगरानी के लिए एक वेब पोर्टल
भी स्थापित किया जाएगा। विभिन्न पक्षों जैसे केंद्र सरकार, राज्य सरकारों
के विभागों, रिजर्व बैंक, नाबार्ड, एनपीसीआई और अन्य की भूमिकाओं को
परिभाषित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों के व्यापार
प्रतिनिधियों के रूप में ग्राम दल सेवकों की नियुक्ति का प्रस्ताव है। दूर
संचार विभाग से अनुरोध किया गया है कि वह कनेक्टिविटी कम होने या न होने की
समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करे। उन्होंने सूचित किया है कि 2011 की
जनगणना के अनुसार देश के 5.93 लाख गांवों में से करीब 50000 दूर संचार
सम्पर्क के अंतर्गत कवर नहीं किए गए हैं।
सरकार के वित्तीय
समावेशन के इस प्रयास में एक अलग बात यह है कि पहले जहां गांवों को लक्ष्य
बनाकर योजना शुरू की जाती थी, वहीं इस बार प्रत्येक परिवार को लक्ष्य
बनाया गया है। पहले केवल ग्रामीण क्षेत्रों को लक्ष्य के रूप में लिया
जाता था, लेकिन इस बार ग्रामीण और शहीरी दोनों क्षेत्रों को शामिल किया
गया। वर्तमान योजना में वित्त मंत्री की अध्यक्षता में निगरानी पर विशेष
जोर देना और डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
जहां एक ओर योजना के शुभारंभ पर वित्तीय समावेशन नाम की एक फिल्म के
प्रदर्शन और वित्तीय समावेशन पर मिशन दस्तावेज जारी किए जाने से जागरूकता
बढ़ाने में मदद मिलना सुनिश्चित है, वहीं एकाउंट आपनिंग किट और बेसिक
मोबाइल फोन पर मोबाइल बैंकिंग सुविधा दिए जाने से सरकार का रूख बिल्कुल
स्पष्ट हो जाता है कि वह वित्तीय अलगाव की परम्परा का अंत करते हुए अब
लोगों के लिए शासन के एक नये अध्याय की शुरूआत करना चाहती है।
प्रधानमंत्री के अपने शब्दों में '' प्रधानमंत्री जन-धन योजना का मुख्य
उद्देश्य सरकार के विकास दर्शन- यानी सबका साथ, सबका विकास'' है।
*डॉक्टर एच आर केशवमूर्ति, (मीडिया एवं संचार) पीआईबी कोलकाता में निदेशक हैं। (पीआईबी फीचर)
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